अनुसूचित जाति आयोग भारत सरकार में मुख्य सचिव की पेशी

अनुसूचित जाति आयोग भारत सरकार में मुख्य सचिव की पेशी



उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा जारी विज्ञप्ती में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अभ्यार्थियों की उपेक्षा की गई जो मामला अब अनुसूचित जाति आयोग भारत सरकार की चैखट पर पंहुच गया है। आरोप है कि विज्ञप्ति में उत्तराखंड पेयजल संशाधन एवं निर्माण निगम में कनिष्ठ अभियंता सिविल के 100 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की गई है। जिसमे अनुसूचित जाति व जन जाति के लिए पदों की संख्या शून्य कर दी गई है। इस मामले की गम्भीरता को भांपते हुए अनुसूचित जाति आयोग भारत सरकार ने 25 जुलाई को मुख्य सचिव उतराखण्ड सरकार को दिल्ली तलब किया है।


अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के प्रषिक्षित बेरोजगार अभ्यार्थियों ने अनुसूचित जाति आयोग भारत सरकार को प्रेषित पत्र में बताया कि उत्तराखंड पेयजल संशाधन एवं निर्माण निगम में कनिष्ठ अभियंता सिविल के 100 पदों हेतु अति पिछड़ा वर्ग के लिए 21, अति कमजोर वर्ग के 13 और सामान्य के लिए 66 पदों बावत पिज्ञप्ति जारी की गई है जिसमें आरक्षण को एकदम दरकिनार किया गया है। आरोप है कि अधीनस्थ चयन सेवा आयोग और संबधित विभाग ने इस विज्ञप्ति को आरक्षण के विरोधी में जारी किया है। यह राज्य में भेदभाव के चरित्र को स्पष्ट करता है। इधर अनुसूचित जाति आयोग भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है, और उत्तराखंड पेयजल संसाधन एवं निर्माण निगम के महाप्रबंधक, व मुख्य सचिव उत्तराखंड सरकार को 25 जुलाई के लिए आयोग ने नोटिस जारी कर उपस्थित होने का आदेश किया है| 


उल्लेखनीय हो कि विज्ञप्ति को जारी किया उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने। नियुक्ति होनी है उत्तराखंड पेयजल संशाधन एवं निर्माण निगम में, और पेषी पर जायेंगे राज्य के मुख्य सचिव। पर इस विज्ञप्ति ने यह जाहीर कर दिया कि राज्य में अभी भी भेदभाव की जड़ी गहरें है। इस पर षिक्षित बेरोजगारो का कहना है कि 100 पदो में आरक्षण का मानक प्रस्तुत कर दिया जाता तो वे आयोग क्यों जाते। उनका आरोप है कि विज्ञप्ति जारी होने के तुरन्त बाद उन्होंने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से षिकायत कर दी थी। साथ ही साथ उत्तराखंड पेयजल संशाधन एवं निर्माण निगम को भी इा बावत षिकायत पंहुचा दी गई थी मगर इन विभागो के कान तक जूं नहीं रेंगी। अन्ततः उन्हे अनुसूचित जाति आयोग भारत सरकार का दरवाजा खटखटाना पड़ा।



इधर अनुसूचित जाति आयोग भारत सरकार की सदस्य डा० स्वराज विद्धवान ने कहा कि यह गंभीर विषय है, जिस पर राज्य सरकार को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आरक्षण के मानकों के अनुसार ही सरकारी रोजगार की विज्ञप्ति या भर्ती की प्रक्रिया जारी होनी चाहिए। यदि शिकायत के अनुसार इस विज्ञप्ति में खामियां पायी गई तो आयोग शख्त कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा।