लोगों को समझौतावादी बनाने के लिये


 

@R. P. VISHAL@

|| लोगों को समझौतावादी बनाने के लिये ||

अर्नब गोस्वामी की बालाकोट एयर स्ट्राइक से पहले की वाट्सएप चैट लीक हुई तो गोदी मीडिया और पत्रकारिता पर आपको कुछ कुछ संदेह हुआ लेकिन सुधीर चौधरी की नोटबन्दी से पहले की वाट्सएप चैट लीक हो जाये तो देश में भूचाल आ सकता है। आपातकाल परिस्थिति में daily news analysis (DNA) के नाम पर इतनी झूठी ख़बर दिखाना कि 2000 के नोट में नैनों चिप लगी है अपने आप में एक देशद्रोह है।

यह ख़बर प्रायोजित है अब इसपर बिल्कुल भी संदेह नहीं है। लोगों को समझौतावादी बनाने के लिये ऐसे पत्रकारों ने मोटी रकम तो वसूली ही है साथ में इन्होंने अबतक इसपर कोई सफाई तक नहीं दी और खुद को श्रेष्ठ, नम्बर वन, डीएनए, राष्ट्रवादी मीडिया आदि कहकर पुकारते हैं जबकि विश्व रैंकिंग सूची में विश्वसनीयता के मामले में भारतीय मीडिया कुल देशों में 140 वें स्थान के आसपास है।
जिन्हें पहले दूसरे स्थान पर होना चाहिए था वे टॉप सौ में भी स्थान नहीं रखते फिर भी श्रेष्ठता का ढोल पीटते हैं यह विचारणीय बात है। हर स्थिति, परिस्थितियों पर यह लोग ऐसे ही विश्लेषण करके मासूम जनता को बरगलाने व भटकाने का काम कर रहे हैं। आज इनकी हालत ऐसी होती जा रही है कि इनके करोड़ों फॉलोअर्स व फ्री पोस्ट रीच तथा मेरे मात्र कुछ हजार साथी व रिड्यूस्ड रीच होने के बावजूद मेरी विश्वसन्यता, व पोस्ट शेयरिंग इनसे कहीं अधिक है।
निष्पक्ष, पारदर्शी प्लेटफॉर्म यदि मिले तो इनको या तो चैनल बन्द करने पड़ेंगे या फिर अपना कंटेंट बदलना पड़ेगा। ये अपने चैनल में पूछ रहे चंद्रशेखर आजाद कौन है? जितनी गोदी मीडिया की दिनभर की पोस्ट लाईक व शेयर होती है उतनी भीम आर्मी की एक पोस्ट की शेयरिंग होती है। अफसोस तो बस इसी बात का है कि जबतक सच दहलीज़ से बाहर आता है तबतक झूठ आधी दुनिया घूम चुका होता है और मनुस्ट्रीम मीडिया में 99 प्रतिशत कंटेंट झूठ पर आधारित ही हैं।