मिल गयी बिचित्र: मत्स्य कन्या

|| मिल गयी बिचित्र: मत्स्य कन्या || 

 

ये फोटो एक मत्स्य कन्या की है. जो हमने किस्से-कहानियों में सुना ही था. आज इस फोटो के साथ साक्षात दर्शन कीजिये. इसकी सत्यता इतनी ही है कि ये फोटो मेरे एक फोटोग्राफर मित्र ने खुद खीचनें का दावा किया है. जैसा उन्होंने बताया. मैं यहाँ शेयर कर रहा हूँ।

 

मैं कुछ साल नौकरी के दौरान त्रिपुरा में था वहीं  इन मिस्टर सेन के साथ हमारी दोस्ती हुई. जिनका "senco" नाम से स्टूडियो भी है और इस मत्स्य कन्या का एक बड़ा फोटो फ्रेम उनके स्टूडियो में लगा है. इस बारे में जिज्ञासा हुई और पूछने पर उन्होंने बताया कि यह 1971 की बात है. जब बांग्लादेश आजाद हुआ था और त्रिपुरा से भी हमारी फ़ौज ने मोर्चा संभाला था. जीत के बाद पूरा बॉर्डर खुला था और वह भी उन दिनों जश्न मनाते-मनाते ढाका चले गये थे | वैसे भी वे वही से हैं |

 

तत्काल उन्हें एक दिन पता चला की चटगांव के समुद्री तट पर कॉक्स बाजार में फ़ौज ने एक मत्स्य कन्या को मारा है | फिर वह तो फोटोग्राफर था ही | वह आखिर वहां चला ही गया. तभी ये अमूल्य फोटो खिंची | वह आगे कहता है की उसने इस फोटो को बेचकर पैसा भी कमाया. बताते हैं कि उन्होंने जैसा सुना था की ये दो मत्स्य कन्या दिखे थे और फ़ौज ने कई दिन तक इनको वाच किया. ये समुद्र तट के थोड़ी दूर पानी में अठखेलियां खेलते दीखते थे. फिर एक दिन उन्होंने  पकड़ने की बजह से गोली मार दी जिसमे से एक को गोली लगी और मर गई. दूसरी भागने में सफल हो गई। उन्हें ठीक से याद नहीं पर उसे कहीं कोई  रिसर्च के लिए भी ले गए थे।  मिस्टर सेन का दावा है कि ये original है और सत्य कथा है।


अब आप लोग दिमाग लगाइये...

(फोटो: senico studio/अगरतला/Tripura)