ऐ चांद


||ऐ चांद||


ऐ चांद, सुनो !
जब आओगे मेरे शहर।।
खबर करना,
हम जागेंगे चारों पहर।।
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यकीं न हो तुम्हें लेकिन, 
आने का तुम्हारे हम,
पूर्वानुमान लगाये बैठे हैं।।
कुछ आस लगाये बैठे हैं,
कुछ अहसास जगाये बैठे हैं ।।
..
ऐ चांद सुनो !
जब आओगे मेरे शहर,
खबर करना, 
हम बेसब्री से इंतजार करेंगे तेरा,
चारों पहर।।
..
मानता हूँ ये सब मुमकिन नहीं,
तुम्हारे लिए भी,
पर विरह के बाद मिलन,
क्या नहीं आता है ।।
..
और फिर मेरे पास तेरे अलावा,
है ही कौन अपना,
तो खुशनुमा यादोँ के खंजर को,
सीने पर खाने में क्या जाता है।।
..
तुम आओगे जरूर इक दिन,
इस दिवास्वपन को जीने में क्या जाता है,,
यादोँ के झरोखे में झांक कर मुस्कराइए, 
कि मुस्कुराने में क्या जाता है ।।।
..
इसीलिए,,
ऐ चांद सुनो,
जब आओगे मेरे शहर ।
खबर करना,
हम बेसब्री से इंतजार करेंगे तेरा,
जागते हुए चारों पहर।।।



( संजय मोहन जायसवाल, कविवर - उतराखण्ड पुलिस में सेवारत हैं।)


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