हां, कुछ अलग थीं एंकर नीलम शर्मा


|| हां, कुछ अलग थीं एंकर नीलम शर्मा|| 


चैनलों की भीड़ में भी अलग दिखती थी. सच्ची पत्रकारिता की मिसाल थी. वो बात 1996-97 की है। मैं उन दिनों दिल्ली में पत्रकारिता का कोर्स कर रहा था। तब दूरदर्शन ही मुख्य समाचार चैनल थे। दूरदर्शन की एंकर नीलम शर्मा को देखकर हम युवाओं की धड़कनें तेज हो जाती थी। उनके पहनावे और बोलने के सलीके पर पत्रकारिता के छात्र बहस करते। खुले बाल, मैचिंग बिन्दी और साड़ी मे वो दिखती भी सुंदर थी और बोलती भी बहुत मीठा थी। आईआईएमसी की छात्रा होने से उनकी भाषा और विचार बहुत भाते थे। पत्रकारिता की दुनिया में आने के बाद चैनलों की भीड़ आ गयी। पर नलिनी सिंह और नीलम दोनों ही मेरी फेवरेट रही।


बहुत संभव है कि नीलम जी को निजी चैनलों के भारी-भरकम पैकेज के आफर भी आए होंगे, लेकिन नीलम इस झुंड में शामिल नहीं हुई। वो अलग ही अपनी बनायी लकीर पर चलती रही। वक्त के साथ वो और भी सौम्य और प्रखर होती गई। निजी समाचार चैनलों के टीआरपी के खेल में बक-बक करती बदतमीज लेडी एंकरों से दूर वो तेजस्वनी जैसे कार्यक्रम से आज भी लोकप्रिय बनी रही। उन्होंने कई तरह के कार्यक्रमों का संचालन किया लेकिन उनकी चर्चा में भी मिठास और जादू का एहसास होता था। या यूं कहें कि दूरदर्शन की लोकप्रियता में उनका अहम योगदान था तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।


निजी चैनलों की एंकरों को नीलम से प्रेरणा लेने की जरूरत है। नारी शक्ति सम्मान समेत कई पुरस्कार हासिल करने वाली इस प्रखर और सौम्य पत्रकार की कमी हिन्दी मीडिया को बहुत खलेगी। यह हिन्दी पत्रकारिता की अपूरणीय क्षति है। नीलम शर्मा का असमय चले जाना बहुत दुखद है। विनम्र श्रद्धांजलि।