पहाड़ी शहरो के विकास के लिए कदमताल


|| पहाड़ी शहरो के विकास के लिए कदमताल|| 


देश के हिल स्टेशनों पर संरक्षण और नियोजित विकास के लिए एकीकृत योजना व दृष्टिकोण को कैसे अपनाया जाय। उनकी समस्याओं को कैसे दूर किया जाए। इस बावत इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के साथ मिलकर संवेदनशील और नाजुक पारिस्थितिक तंत्र में विकास के लिए पहाड़ी-केंद्रित दृष्टिकोण के लिए ग्रीन हिल हैबिटेट राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।


एक दिवसीय कार्याशाला में देशभर के हिमालयी क्षेत्र के 140 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस दौरान तय किया गया कि पहाड़ी पारिस्थितिकी तंत्र के सभी हितधारकों जैसे सरकार, वास्तुकारों, डेवलपर्स, उद्योग और शिक्षा सहित तमाम लोगो की भागीदारी ग्रीन हिल हैबिटेट कार्यक्रम में होनी चाहिए। अथवा हिल स्टेशनों की हरियाली के लिए नीति-चालित मॉडल को योजनागत रूप से तैयार करना होगा। कार्याशाला में पंहुचे उत्तराखंड सरकार के वन और पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव आनंद वर्धन ने कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्र में सर्वाधिक प्राकृतिक संसाधन हैं, लेकिन वे पारिस्थितिक रूप से बहुत संवेदनशील हैं। सरकार को यह जानने में बेहद दिलचस्पी होगी कि पहाड़ी शहरो की दीर्घकालिक योजना और निरंतर वृद्धि में क्या संशोधन सहायक होंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि कार्यशाला कुछ सीखने की सिफारिशों को सामने लाएगी और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सर्वोत्तम प्रथाओं को उजागर करेगी, जो पर्वतीय शहरों के सतत विकास में मदद करेगी।


आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो॰ अजीत के॰ चतुर्वेदी ने सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारतीय हरित परिषद के सहयोग से आईआईटी रुड़की में ग्रीन हिल हैबिटेट पर महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यशाला हो रही है, जिसकी मेजबानी वे कर रहे है, जो की बेहद सुखद है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय शहरो में पर्यावरण को केन्द्र में रखकर तकनीक, सामग्री, रेटिंग, मानकों को विकसित करने की आवश्यकता है। आईआईजीसी ग्रीन हिल हैबिटेट और सीएमडी, आईएनआई डिजाइन स्टूडियो के अध्यक्ष, जयेश हरियानी ने भी सभा को संबोधित किया। उन्होंने उल्लेख किया कि आईजीबीसी ग्रीन हिल हैबिटेट रेटिंग सिस्टम पहाड़ी शहरों के लिए है। मैदानी इलाकों में एक शहर की तुलना में उन्होंने केदारनाथ के पुर्ननिर्माण और पुनः विकास के बारे में बताया कि ग्रीन हिल हैबिटेट रेटिंग सिस्टम के तहत यह कार्य हुआ है। कहा कि यह इस तरह का पहाड़ी क्षेत्र का पहला प्रोजेक्ट होगा। आने वाले समय में पर्वतीय क्षेत्रो के शहरो को विकसित करने के लिए पर्वायरण संतुलन का अनिवार्य रूप से ख्याल रखना होगा।



अरजीत कुमार गुप्ता सह-अध्यक्ष ग्रीन हिल हैबिटेट और सलाहकार टाउन प्लानिंग हेड एंव पंजाब अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी भी कार्याशाला में मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों के शहरी विकास में एक संवेदनशील दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। ग्रीन हिल लॉबीट उनके पास है। अर्थात उन रणनीतियों को सूचीबद्ध करने की आवश्यकता है, जो पहाड़ी बस्तियों को अधिक स्थायी और अधिक टिकाऊ बनाएगी। उन्होंने सुझाव दिया कि रुड़की पहाड़ी राज्य उत्तराखंड का हिस्सा है। विकास को बढ़ावा देने और तर्कसंगत बनाने में तंत्रिका केंद्र रूड़की ही बनना चाहिए।


इस दौरान सीआईआई उत्तराखंड राज्य परिषद के पूर्व अध्यक्ष विकास गर्ग, आईआईटी रूड़के के डा॰ अश्वनी कुमार, एमएनआईटी जयपुर, एकीकृत पर्वतीय पहल (आईएमआई) के उपाध्यक्ष डा॰ लालबिक माविया नंगेय, प्रो॰ जय ठक्कर डीआईसीआरसी, सीईपीटी विश्वविद्यालयय के कामेश सलाम, संस्थापक दक्षिण एशिया बांस फाउंडेशन के सौरव चैधरी, एसोसिएट काउंसलर आदि सैकड़ो योजनाकार व अध्ययेता मौजूद रहे।