सावन को आने दोे
बादल छा जाने दो,
सावन को आने दोे ।
काली घटाओं के आने से ,
उम्मीद की एक आस जगेगी।
तपती धरा, सूर्य किरणों से ,
अब धरती की प्यास बुझेगी।
प्यासे हैं मन ,व्याकुल है तन,
तन-मन भीग जाने दो,
सावन को आने दो।
बादल छा जाने दो।
है कितना धैर्य धरा प्रकृति ने,
पृथ्वी के सब जन जीवों ने,
गर्मी से अब अकुुलाये हैं,
बस एक ही रट लगायें हैं।
सावन को आने दों,
बादल छा जाने दो।
नीले-नीले अम्बर पर,
लो काली घटायें घिर आयीं हैं,
खग मृग हो रहे प्रसन्नचित ,
कण कण ने ली अंगडाई है।
छम-छम करके बरसे बादल,
जमकर बरस जाने दो
सावन को आने दो,
बादल छा जाने दो।
Bharti Aanand