||अतिक्रमण के बहाने वटवृक्षों का कत्ल-ए-आम||
https://www.youtube.com/watch?v=VfJ6vRXtkk8
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पिछले वर्ष 2018 से देहरादून में अतिक्रमण को हटाने का कार्य न्यायालय के आदेश पर चल रहा है। अभी तक सरकार का यह अभियान जारी है। अतिक्रमण हटाने की आड़ में कितनी जैवविविधता नष्ट हुई इसकी जानकारी किसी भी विभाग के पास नही है। सिर्फ व सिर्फ न्यायालय का रूतबा दिखाकर जिला प्रशासन एक तरफ लोगो का उत्पीड़न कर रहा है और दूसरी तरफ शहर में दुर्लभ प्रजाति के पेड़ों पर जेसीबी को बरपाया जा रहा है। वन विभाग है जो तमाशबीन बना हुआ है।
ज्ञात हो कि कभी वन विभाग एक झाड़ी काटने पर भारी-भरकम का जुर्माना काट देता है। इतना ही नहीं बल्कि अमुक को कानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ता है। किन्तु राज्य बनने के बाद उतराखण्ड का वन विभाग अब जनप्रतिनिधियों के चकडै़तो से घिरा रहता है। फलस्वरूप इसके वनो का पातन तेजी से बढ रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण देहरादून शहर है।
बात दें कि देहरादून की सड़कों पर, और सार्वजनिक स्थलों पर बहुत ही दुर्लभ प्रजाति के पेड़ है। इनमे से अधिकांश पेड़ पिछले दो वर्ष से ''अतिक्रमण हटाओ'' की भेंट चढ़ गए है। उदाहरण स्वरूप देहरादून का बहुत ही महत्व का स्थान परेडग्राउंड है। जिस मैदान के चारो तरफ यानी सुरक्षावाल की तरह पंक्तिवार विभिन्न प्रजाति के पेड़ थे, इनकी छाव एक तरफ लोगो को सुकून देते थे, दूसरी तरफ पेड़ो के कारण मैदान की सुंदरता बनी हुई थी। यही नही ये हजारो पेड़ शहर का पर्यावरण संतुलित बनाये रखते थे। पर अतिक्रमण हटाओ का बहाना सरकार के पास आया और बिना वजह इन पेड़ो को धराशाही किया गया।
इसी तरह शहर की तमाम सड़को के किनारे जैसे ईसीरोड़, चकराता रोड़, ऋषिकेश रोड़, सहारनपुर रोड़ आदि के किनारे किनारे से लगभग लाख पेड़ो को ''अतिक्रमण हटाओ अभियान'' के तहत काटा गया। जबकि रायपुर रोड़ पर बहुत ही दुर्लभ प्रजाति के ''वट वृक्षो'' को काटा गया। अधिकांश जगह पर तो इन पेड़ों को जेसीबी से उखाड़ा गया। ताज्जुब हो कि बहुत सरंक्षित वृक्ष ''वट'' को जब उखाड़ा जा रहा था तो लगभग 1000मीटर क्षेत्रफल में तमाम छोटे बड़े पेड़ स्वस्फूर्त उखड़ गए। इस हालात पर भी वन विभाग मौन साधे हुआ है।
उल्लेखनीय हो कि न्यायालय ने ऐसा आदेश कभी भी नही दिया था कि बहुत महत्व और सरंक्षित प्रजाति के पेड़ों को अवैधानिक रूप से ''अतिक्रमण हटाओ अभियान'' के तहत काट दिया जाय। न्यायालय का फरमान कहता है कि जहाँ जहाँ लोगो ने सरकारी भूमि पर या नदियों पर, सार्वजनिक मार्गो व राष्ट्रीय सम्पति पर अतिक्रमण किया हुआ है, उसे त्वरित हटाया जाय। इस आदेश में ऐसा कही भी जिक्र नही है कि अतिक्रमण के अंर्तगत हरे व स्वास्थ पेड़ो को काटा जाय। मगर सरकार ने न्यायालय के आदेश की आड़ में देहरादून शहर में लगभग लाख से भी अधिक पेड़ो को काटकर समाप्त कर दिया है।
काबिले गौर हो कि काटे गए हरे पेड़ो से वन विकास निगम को लगभग 20 करोड़ का राजस्व प्राप्त होना बताया जा रहा है। मगर वृक्ष विदोहन के एवज में देहरादून शहर का पर्यावरण मौजूदा समय में 10 गुना प्रदूषित और गर्म हो गया है।
इस बावत वन विभाग का कहना है कि उन्हें देहरादून शहर के अतिक्रमण हटाओ अभियान की जानकारी है, मगर इस अभियान के तहत दुर्लभ प्रजाति के वृक्षो का जो अवैध पातन हुआ है उसकी विभाग को कुछ भी जानकारी नही है। प्रमुख वन संरक्षक जयराज का कहना है कि यदि उनके पास देहरादून शहर में पेड़ो के अवैध पातन की पुख्ता सूचना आती है तो वे शीघ्र ही कानूनी कार्रवाई करेंगे।
इधर रायपुर रोड़ पर जेसीबी से ढहाए गए वट वृक्षो के कारण रायपुर ढाल पर 10 परिवार खतरे में पड़ गए है। रायपुरढाल निवासी श्रीमती स्यामा शर्मा व अन्य का कहना है कि उनके घर के आगे तीन वटवृक्ष कभी भी उनके आवासीय भवन पर गिर सकते है। क्योंकि इन पेड़ों की जड़ अतिक्रमण हटाने आई जेसीबी ने उखाड़ दी है, ये पेड़ कभी भी उनके आवास पर कहर बरपा सकते है। यदि ये पेड़ उनके आवासीय भवन पर गिरेंगे तो यहां 25 लोगो की जान खतरे में पड़ जाएगी। कहा जा रहा है कि इन तीन पेड़ो के गिरने से रायपुरढाल में छः भवनों को खतरा बना हुआ है जहाँ लगभग 60 से भी अधिक लोग निवास करते है।