औषधीय खेती - 1

(द्वारा -  वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा
किताब - जलग्रहण विकास-क्रियान्यवन चरण, अध्याय - 1)
सहयोग और स्रोत - इण्डिया वाटर पोटर्ल-


||जलग्रहण विकास से सम्बन्धित अन्य जानकारियाँ - औषधीय खेती||


हमारे देश में बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए भविष्य में खाद्यान्न एवं उससे जुड़ी अन्य मूलभूत आवश्यकताओं के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता अर्जित करना एवं उसे निरन्तर बनाये रखना एक गम्भीर चुनौती है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि जिसमें सिंचाई के साधन हैं, उस भूमि में पारम्परिक खेती के स्थान पर आधुनिक तकनीक को अपनाते हुए खेती के क्षेत्र में नयी प्रजातियाँ उगाई जानी चाहिए जिससे प्रति इकाई भूमि से होने वाले उत्पाद की समतुल्य राशि अधिकाधिक हो अर्थात ऐसी फसलें, फल, चारा, मसालें, दलहन, तिलहन, औषधीय पौधें इत्यादि का उत्पादन करना चाहिए, जिससे कृषक परिवार की आमदनी सीधे रूप से बढ़े। इस सम्बन्ध में यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि भौगोलिक क्षेत्र की जलवायु एवं तकनीकी रूप से पुष्टि उस विशेष प्रजाति के लिए सुनिश्चित कर ली गई हो तथा सिंचाई हेतु पर्याप्त मात्रा में जल उपलव्य हो तथा मिट्टी एवं जल गुणवत्ता की जांच प्रयोग हेतु कर ली गई हो। कृषि विभाग द्वारा मृदा एवं जल के नमूनों की जांच राज्य में विभिन्न स्थानों पर की जाती है। इस हेतु मोबाइल इकाई भी कार्यरत है।


इसके अतिरिक्त नवीन प्रयोग लेने से पहले जिन स्थानों पर उन्हें अपनाया गया है उनके कृषकों से अनुभव, आदान-प्रदान, लागत एवं लाभ की गणना कर ली जानी चाहिए। यह भी गौर करना चाहिए कि उत्पाद के विपणन/उपयोग की सुविधाएं स्थानीय स्तर पर निरन्तर नष्ट नहीं होता हो।


आज के युग में बढ़ती प्रतिस्पद्र्धा, बढ़ती आवश्यकताओं की पूर्ति, स्वावलम्बन के ध्येय को हासिल करने के उद्देश्य से कृषि के क्षेत्र में नवीन प्रयोग किये जाना समय की मांग बन गये हैं। इस हेतु विभिन्न संस्थाओं द्वारा आदान/प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता है। इस अध्याय में जलग्रहण विकास के क्षेत्र में आर्थिक उन्नति के मानदण्ड हासिल करने के उद्देश्य से यह प्रयास किया गया है कि विद्यार्थी औषधीय फसलों के सम्बन्ध में ज्ञानार्जन करे एवं इसका प्रचार-प्रसार करे। राजस्थान में इस सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि अनुसंधान केन्द्रों कृषि विज्ञान केन्द्रों, कृषि विभाग, राष्ट्रीय बागवानी मिशन, राज्य औषधीय बोर्ड इत्यादि से सम्पर्क किया जा सकता है।


1.2          जलग्रहण क्षेत्र में औषधीय पौधों एवं फूलों की खेती


प्रदेश में गत वर्षो से औषधीय फसलों का उत्पादन करने में राज्य के कृषकों का रूझान बढ़ रहा है। इसके लिये आवश्यक है कि उन्हें फसल की बुवाई से कटाई तक ऐसी तकनीकी विधियों की जानकारी दी जाये ताकि उत्पादन में बढ़ोत्तरी एवं गुणवत्ता में सुधार हो सके। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण औषधीय फसलों के बारे में सम्बन्धित जानकारी दी जा रही हैः