औषधीय खेती - 6 - ग्वारपाठा/घृतकुमारी

(द्वारा -  वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा
किताब - जलग्रहण विकास-क्रियान्यवन चरण, अध्याय - 6)
सहयोग और स्रोत - इण्डिया वाटर पोटर्ल-


||[ग्वारपाठा/घृतकुमारी] वानस्पतिक नाम: एलो वेरा||


ग्वारपाठा 1 से 2 फीट बहुवर्षीय मांसल पौधा है, जो कि सम्पूर्ण भारतवर्ष में पाया जाता है। इसके पत्ते मांसल, भालाकर, डेढ तक लम्बे तथा 3-4 इन्च चैड़े एवं छोटे-छोटे कांटों से युक्त होते हैं। पौधें पुराने होने पर इनमें लाल हल्के पीले रंग के पुष्प व फलियाँ आती है। इसकी खेती विशेषतः मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में की जाती है। ग्वारपाठे के सहयोग से प्रायः सभी प्रकार की औषधियों के निर्माण जिनका उपयोग कटार्तव, चर्मरोम, दाँत का हिलना व दाँत दर्द, चोट लगने पर, अग्निदग्ध, कफ विकार, खांसी, उदरशूल, बवासीर, कब्ज, यकृत सूजन आदि रोगों एवं प्रसाधन सामग्री बनाने में किया जाता है।


भूमि


ग्वारपाठा की खेती असिंचित तथा सिंचित दोनों ही तरह की भूमि पर की जा सकती है। लेकिन इसकी खेती सदैव असिंचित जमीन पर ही जानी चाहिए। जिस जमीन पर इसकी खेती करना हो वहाँ पानी भरा नहीं रहना चाहिए, तथा पानी के निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।


रोपण


ग्वारपाठा की बुवाई इसके कंदो/ट्यूबर्स से की जाती है। इसके छोटे पौधों का रोपण वर्षाकाल अथवा जुलाई-अगस्त माह में किया जाता है। इसके लिए पुराने पौधों की जड़ों के पास से ही कुछ छोटे पौधे निकलने लगते है। वर्षाकाल में इन छोटे पौधों को जड़ सहित निकालकर खेत में लगा दिया जाता है। इसकी एक मीटर में दो कतार लगाने के बाद एक मीटर खाली छोड्कर फिर एक मीटर में दो कतार लगानी चाहिए।


कटाई व उपज


पौधें लगाने के एक वर्ष बाद हर तीन माह में प्रत्येक पौधें की 3-4 पत्तियों को छोड्कर शेष सभी पत्तियों को तेज धारदार हंसिये से काट लेना चाहिए। एक वर्ष में 20,000 कि.ग्रा. प्रति एकड़ ताजा पत्ते प्राप्त होते हैं।


ग्वारपाठा की खेती के विशेष लाभ



  1. इसकी खेती के लिए खाद, कीटनाशक आदि की कोई आवश्यकता नहीं होती है।

  2. कोई जानवर इसको नहीं खाता अतः इसकी रखवाली की आवश्यकता नहीं होती है।

  3. यह फसल वर्षपर्यन्त आमदनी देती है।

  4. इस पर आधारित एलुवा बनाने व सूखा पाउडर बनाने वाले उद्योगों की स्थापना की जा सकती है।

  5. इसके सूखे पाउडर व जैल की विश्व बाजार में व्यापक मांग होने के कारण इससे विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है।