गाजणा जिला पंचायत सीटः निर्णायक मत अनुसूचित जाति


||गाजणा जिला पंचायत सीटः निर्णायक मत अनुसूचित जाति||


पहले चरण के पंचायत चुनाव का प्रचार आज थम गया है। प्रत्याशी और उनके समर्थक जीत की गुणा भाग में लग गये हैं। यहां हम बात कर रहे हैं सीमान्त जनपद उतरकाशी की गाजणा जिला पंचायत सीट की। इस सीट पर ऐसा कोई भी प्रत्याशी नहीं है, जो 45 साल से अधिक की उम्र पार चुका हो। लिहाजा सभी नवयुवक प्रत्याशियों ने मतो को अपने पक्ष में करने की खूब जोर अजमाईश की है।


चैरंगीखाल से जब इस जिला पंचायत क्षेत्र में आप प्रवेश करेंगे तो आपका पाला धौंतरी बाजार से पड़ेगा। वैसे भी धौंतरी इस बार बहुत ही प्रचारित और प्रसारित हो रहा है। धौंतरी के सामने वाले गांव भेटियारा से प्रदीप भट्ट ने जिला पंचायत सीट को अपने कब्जे में करने के लिए ऐड़ी चोंटी का जोर लगा रखा है। प्रदीप भट्ट उत्तरकाशी महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे है। वर्तमान में वह कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता है। भले कांग्रेस ने उन्हे जिला पंचायत की गाजणा सीट से कोई समर्थन नहीं दिया हो, मगर प्रदीप भट्ट स्वयं में एक सामाजिक कार्यकर्ता की हैसियत रखते है। वे लगातार पिछले 10 वर्षो से अपने क्षेत्र गाजणा के विकास के लिए सरकार से लोहा लेते रहे है। कभी गाजण क्षेत्र के विकास के लिए सड़को पर आन्दोलित दिखाई दिये तो कभी देहरादून के चिकित्सालयो में बिमार लोगो की मदद करते दिखाई दिये। यही नहीं सरकार किसी की भी रही हो वे मुख्यमंत्री के आवास से लेकर कार्यालय तक धरना दिये होते है, फकत गाजणा के विकास बावत। वे कभी बहुत छोटे व मझौले लोक कलाकारो के संग एक सहयोगी के रूप में दिखते हैं तो कभी प्रदेश की विकास नीति के बार में मुखर होते दिखते है। प्रदीप भट्ट इन सब के बावजूद लगातार अपने क्षेत्र गाजणा के प्रति सदैव संवेदनशील दिखते रहे है। फलस्वरूप इसके वे चुनाव की देहरी तक जा पंहुचे हैं।


भेटियारा के पड़ोस में चैंदियाट गांव हैं। वहां के गाविन्द सिंह चैहान भी अपने पिछले कामो के बलबूते और अपनी कार्यकुशलता के बहाने इस बार जिला पंचायत गाजणा से जीत हासिल करना चाहते हैं। वे इस क्षेत्र में भाजपा के नजदीकी बताये जाते है, साथ ही वे एक सामाजिक कार्यकर्ता की पहचान रखते है। श्री चैहान पूर्व में भी क्षेत्रपंचायत सदस्य रहे हैं। वे इस क्षेत्र में एक स्थापित कार्यकता है। धौंतरी से आगे चलेंगे तो मात्र 12 किमी के फासले पर बड़ेथ गांव है, वहां पर भाजपा समर्थित प्रत्याशी अरविन्द बिष्ट मैदान में है। श्री बिष्ट भी इस क्षेत्र में कोई नया चेहरा नही है। हाल ही में इसी जिला पंचायत सीट से उनकी पत्नि अनिता बिष्ट नेतृत्व कर चुकी है। यदि अरविन्द बिष्ट की पत्नि का कार्य सकारात्मक रहा होगा तो इस बार फिर अरविन्द बिष्ट की झोली में यह सीट आ सकती है। बताया जाता है कि अरविन्द बिष्ट इस क्षेत्र के सम्पन्न परिवार से आते है। इनकी पृष्टभूमि कामरेड राजनीतिक संगठन से रही है पर मौजूदा हालात में वे इससे दूर हो गये है।


इसी गांव गढथाती बड़ेथ के शीशपाल सिंह पोखरियाल भी किसी से कम नहीं है। उनकी कांग्रेस पार्टी से काफी दोस्ती है। इस दौरान वे प्रदीपभट्ट को मात देकर कांग्रेस से समर्थित प्रत्याशी के रूप में जिला पंचायत के चुनाव में कूद पड़े। वैसे शीशपाल गाजणा क्षेत्र में युवाओ के दिल की धड़कन कही जाती है।   


बता दें कि चौरंगीखाल से लेकर चवाड़गाड़ तक पसरी इस जिला पंचायत सीट पर चार प्रत्याशी मैदान में है। कल मतदान होना है। इन प्रत्याशियों में से ऐसा कोई नहीं है जो अपने को किसी से कम समझ रहा हो। कोई बाहुबली, कोई धनबली कोई एक कार्यकर्ता की हैसियत से अपनी जीत पक्की बता रहे है। वैसे भी गाजणा क्षेत्र की जब बात आती है तो इतिहास गवाह है कि इस क्षेत्र में सर्वाधिक दबदबा भेटियारा गांव का ही रहा है। उतरकाशी की इस क्षेत्र की राजनीति इस गांव के ईर्दगीर्द घूमती रही है। वह चाहे दिवंगत नेता कमलाराम नौटियाल हो या शान्तीलाल हो, ये कद्दावार नेता भेटियारा गांव के ही थे।


कुलमिलाकर मतो को यदि क्षेत्रवाद से देखा जाय तो बड़ेथ वाले क्षेत्र से दो और धौंतरी वाले क्षेत्र से भी दो प्रत्याशी मैदान में है। जातिवाद की दृष्टी से देखे तो एक प्रत्याशी ब्राहमण और बाकि तीन प्रत्याशी राजपूत समुदाय से आते है। अर्थात यदि जातिवाद और क्षेत्रवाद गाजणा जिला पंचायत सीट पर हावी हो जाता है तो यह बताना मुश्कििल होगा कि जीत का शेरा किसके सिर होगा। जानकारो का कहना है कि इस अंकगणित में वही बाजी मार पायेगा जो लोगो से लगातार सम्पर्क में रहा है। जानकार यह भी बताते है कि चुनाव में जब जातिवाद की बात आती है तो ऐसे में निर्णायक मत अनुसूचित जाति के ही होते है।