जलग्रहण विकास कोष: रणनीति, उपयोग हेतु व्यवस्थाएं

(द्वारा -  वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा
किताब - जलग्रहण विकास-क्रियान्यवन चरण, अध्याय - 10)
सहयोग और स्रोत - इण्डिया वाटर पोटर्ल-


||जलग्रहण विकास कोष: रणनीति, उपयोग हेतु व्यवस्थाएं||


परियोजना अवधि समाप्त हो जाने के पश्चात परियोजना के अन्तर्गत निर्मित परिसम्पत्तियों का रखरखाव कार्य परियोजना के स्थायित्व के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। इसके लिए जलग्रहण विकास कोष प्रस्तावित किया गया है।


10.2 जलग्रहण विकास कोष: रणनीति, उपयोग हेतु व्यवस्थाएँ ( )


10.2.1 राष्ट्रीय जलग्रहण विकास परियोजना


राष्ट्रीय जलग्रहण विकास परियोजना का क्रियान्वयन कृषि मन्त्रालय, भारत सरकार के सहयोग से किया जा रहा है। भारत सरकार की वरसा जन सहभागिता मार्गदर्शिका के अनुसार जलग्रहण विकास निधि की स्थापना के सम्बन्ध में निम्नानुसार उल्लेखित किया गया हैं-



  1. परियोजना अवधि समाप्त हो जाने के पश्चात परियोजना के अन्तर्गत निर्मित परिसम्पत्तियों का रखरखाव कार्य परियोजना के स्थायित्व के लिए महत्वपूर्ण घटक है। अधिकांश पंचायते आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होती और वे अपने संसाधनों से रखरखाव कार्य करने में सक्षम नहीं होती। इस समस्या से निबटने के लिए सामुदायिक समूहों/पंचायतों आदि को प्रंबधन. सामुदायिक परिसम्पत्तियों के रखरखाव और प्रबन्धन और व्यवस्थापकीय जैसे कठिन कार्यो, सामाजिक, आर्थिक गतिविधियों के लिए सहायता प्रदान करने के लिए कोर्पस निधि प्रस्तावित है। इसमें कुल परियोजना लागत की एक प्रतिशत राशि कोर्पस निधि के रूप में तथा अन्य एक प्रतिशत राशि राज्य सरकार और लाभ प्राप्तकर्ताओं से अंशदान के रूप में लेना प्रस्तावित है, जिसका प्रचलन निम्नानुसार किया जावेगा।

  2. परियोजना के अन्तर्गत जलग्रहण में निर्मित सामुदायिक परिसम्पत्तियों के उपयुक्त रखरखाव के सुनिश्चित करने हेतु अनुमोदित परियोजना लागत की एक प्रतिशत राशि कोर्पस निधि के रूप में चिन्हित की जावेगी।

  3. एक प्रतिशत परियोजना अंशदान जलग्रहण समुदाय और राज्य सरकार के आर्थिक रूप से अंशदान के समरूप होगी।

  4. इस निधि को सामान्य संसाधनों के उपज की बिक्री करके तथा साख ( क्रेडिट ) संस्थाओं से उधार लेकर साथ ही साथ जवाहर रोजगार योजना, पंचायत विकास निधि आदि के तहत अन्य रखरखाव स्त्रोतों के द्वारा और आवर्धित किया जायेगा।

  5. डब्ल्यू.सी. बैंक की स्थानीय शाखा में जलग्रहण विकासकोर्पस ) निधि के नाम से एक खाता खोलेगी। यह खाता सावधि जमा/ब्याज परक खाता होगा और इसका संचालन जलग्रहण संस्था के अध्यक्ष तथा डब्ल्यू.डी.टी. के परियोजना लीडर द्वारा संयुक्त रूप से किया जायेगा। उपभोक्ता समूहों के सदस्यों तथा लाभान्वित व्यक्तियों से प्राप्त नकद अंशदान राशि या सामग्री के बराबर आर्थिक सहायता( जलग्रहण परियोजना खाते से निकाल कर ) को जलग्रहण विकास निधि में अन्तरित कर दिया जायेगा। डब्ल्यू. ./डब्ल्यू.सी. द्वारा अन्य किसी रूप में प्राप्त किया गया नकद, संग्रह जैसे दान/अंशदान, जुर्माने की वसूतियों या दी गई सेवाओं आदि के लिए शुल्क को भी जलग्रहण विकास निधि में जमा कराया जायेगा। इसके अतिरिक्त जिला नोडल एजेन्सी ( डी. एन. ) द्वारा परियोजना लागत की एक प्रतिशत राशि को कोर्पस निधि के रूप में उपर्युक्त खाते में अन्तरित कराया जायेगा। यह राशि जिला नोडल एजेन्सी द्वारा प्रतिधारित समुदाय संगठन घटक में से निकाली जायेगी।

  6. परियोजना के अन्तर्गत प्रंबधन घटकों के लिए 22.5 प्रतिशत बजट आंवटित किया गया हैं इसमें से 10 प्रतिशत प्रशासनिक लागत पर, 7.5 सामुदायिक संगठन पर, 5.0 प्रतिशत प्रशिक्षण कार्यक्रम पर व्यय की जायेगी। उसी तरह शेष 77.5 प्रतिशत बजट विकास घटकों के लिए आंवटित हैं इसमें से 55 प्रतिशत प्राकृतिक स्त्रोतों के विकास के लिए 20 प्रतिशत भूमि आधारित उपक्रमों के सुधार के लिए तथा 7.5 प्रतिशत जीविका उपार्जन में सहायता के लिए ( भूमिहीन तथा सीमान्त विकास परिवरों को व्यय की जायेगी )

  7. प्राकृतिक स्त्रोतों की विकास निधि में से 50 प्रतिशत राशि को जल एवं भूमि जैसे प्राकृतिक संसाधनों के सरंक्षण और विकास पर खर्च किया जाता हैं। इन स्त्रोतों के संरक्षण और विकास के लिए उपभोक्ताओं से या उपभोक्ता समूहों से 10 प्रतिशत राशि वैयक्तिक कार्यो हेतु गतिविधियों के लिए अंशदान के रूप में ली जायेगी। अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों से दोनो ही प्रकार की गतिविधियों के लिए केवल न्यूनतम पांच-पांच प्रतिशत अंशदान वसूल किया जायेगा।

  8. प्रक्षेप (फार्म ) उत्पादन पद्धति के लिए रखी गयी 20 प्रतिशत का उपयोग तीन घटकों ( सब कम्पोनेन्टस ) जैसे नई तकनीकी की जाँच प्रदर्शन ( कृषि अन्य क्षेत्रों में ) उत्पादन पद्धतियों का विविधिकरण ( बागवानी, वृक्षारोपण तथा कृषि वानिकी फसलों, हाउस होल्ड उत्पादन पद्धति ) तथा सिद्ध तकनीकी को ( कृषि अन्य क्षेत्रों में ) अपनाने पर किया जाता है। नई तकनीकों की जाँच के लिए आंवटित निधि का उपयोग केवल नए आदानों की खरीद के लिए परियोजना से 100 प्रतिशत अनुदान के रूप में किया जाएगा। बागवानी, कृषि वानिकी फसलों के रोपण की निधि का उपयोग परियोजना से 50 प्रतिशत अनुदान तथा 50 प्रतिशत सहभागियों से अंशदान के रूप में प्राप्त किया जाएगा।  सिद्ध तकनीक का उपयोग करते हुए निधि का उपयोग अनुच्छेद 82 में विरूपितानुसार विशिष्ट माइक्रो प्लान के विरूद्ध समर्थ उपभोक्ता ग्रुपों के द्वारा  प्रवाहित परिक्रमी निधि ( रिवाल्विंग फण्ड ) के रूप में किया जाएगा।

  9. जीविका समर्थन पद्धति के लिए रखी गई 75 प्रतिशत निधि ( भूमिहीन तथा सीमान्त किसान परिवारों) का उपयोग उनकी आय बढानें, वर्तमान जीविका से पोषाहार और खाद्य अनुपूरक तथा नये माइक्रो उद्यमों को अपनाने के लिए किया जायेगा। इस निधि का उपयोग रिवाल्विंग फण्ड के रूप में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से विशिष्ट माइक्रो प्लान के विरूद्ध किया जायेगा। डब्ल्यू. डी. टी. समूह के सदस्यों के लिए सफल केन्द्रों, विशेष रूप से जहाँ नई माइक्रो उद्यम तकनीकी अपनाई जा रही है, के प्रशिक्षण दौरे का प्रयोजन करेगा।


10.2.2 कामन मार्गदर्शिका के अनुसार जलग्रहण विकास कोष की रणनीति, उपयोग हेतु व्यवस्थाएँ (watershed ddevemopment funds- arrangement, strategy] use as per new common guidelines ) ;-.


भारत सरकार द्वारा सभी प्रकार की जलग्रहण योजनाओं हेतु नई कामन मार्गदर्शिका जारी की गई जो कि 1.4.2008 से सम्पूर्ण देश में प्रभावी हो गई है। इस मार्गदर्शिका में जलग्रहण परियोजना की क्रियान्वयन रणनीति, लचीलापन के साथ साथ परियोजना पश्चात जलग्रहण विकास गतिविधियों के रखरखाव एवं प्रबन्धन हेतु व्यवस्थाओं का पृथक से उल्लेख किया है। कामन मार्गदर्शिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि जलग्रहण कार्यो की आयोजना, क्रियान्वयन, प्रबोधन एवं मूल्यांकन अकेंक्षण इत्यादि में विभिन्न प्रकार के मान्यता प्राप्त गैर सरकारी संगठनों/स्वायत्तशासी संगठनों/अनुसंधानकर्ता संस्थानों से सहयोग लिया जाये।


कामन मार्गदर्शिका के अनुसार लाभार्थी अंशदान


जलग्रहण क्षेत्र में ग्राम सभा जलग्रहण समिति के साथ मिलकर उपयोगकर्ताओं द्वारा चुकाये जाने वाले शुल्क को एकत्र करने के लिए व्वस्था बनायेगी। भूमिहीन,, संसाधनहीन या विकलांग (डिसएबल्ड) ऐसे परिवार जिनकी मुखिया विधवा, हो, से निजी या सार्वजनिक भूमि पर किये गये कार्य के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जायेगा। परियोजना के दौरान सृजित परिसम्पत्तियों के रख रखाव हेतु डब्ल्यू. डी. एफ. ( जलग्रहण विकास कोष ) में उपयोगकर्ता शुल्क जमा किया जायेगा।


जलग्रहण विकास कोष (डब्ल्यू. डी. एफ watershed develooopment fund )


जलग्रहण परियोजनाओं के लिए ग्राम चयनित करते समय आवश्यक शर्तो में से एक डब्ल्यू. डी. एफ. में व्यक्तियों का अंशदान देना है।


जलग्रहण विकास कोष में अंशदान


 


























गतिविधि



गैर अनुसूचित जाति/जनजाति, लघु सीमान्त कृषकों से लिये जाने वाला अंशदान



अनुसूचित जाति/जनजाति,लघु सीमान्त कृषकों से लिये जाने वाला अंशदान



प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन कार्यो हेतु जो कि सिर्फ निजी भूमि पर किये गये हों



कुल लागत का 10 प्रतिशत



कुल लागत का 5 प्रतिशत



सघन लागत वाली कृषि व्यवस्थाओं जैसे कि एक्वाकल्चर, उद्यानिकी, कृषि वानिकी, पशुपालन  आदि। जो कि व्यक्तिगत लाभार्थी कि निजी भूमि पर उसके लाभ हेतु किये गये हों



कुल लागत का 40 प्रतिशत व्यक्ति द्वारा अंशदान 60 प्रतिशत परियोजना से देय होगा। लाभार्थी हेतु परियोजना अंश अधिकतम परियोजना के लिए लागू मानक इकाई लागत नार्मस का दोगुना हो सकता है



कुल लागत का 40 प्रतिशत व्यक्ति द्वारा अंशदान 60 प्रतिशत परियोजना से देय होगा। लाभार्थी हेतु परियोजना अंश अधिकतम परियोजना के लिए लागू मानक इकाई लागत नार्मस का दोगुना हो सकता है



उपयोगकर्ताओं द्वारा चुकाये जाने वाले शुल्क को एकत्र करने के लिए व्यवस्था बनाने का कार्य



ग्राम सभा ( डब्ल्यू सी. के जरिये )


 

 


यह अंशदान कार्य क्रियान्वित करते समय नकद अथवा स्वैच्छिक श्रम के रूप में स्वीकार्य होगें। स्वैच्छिक श्रम के मामले में श्रम नकद कीमत ( मानेटरी वैल्यू ) जलग्रहण परियोजना खाते से डब्ल्यू. डी. एफ. बैंक खाते में स्थानान्तरित कर दी जावेंगी। डब्ल्यू. सीएवं डब्ल्यू. डी. एफ. बैंक का खाता पृथक-पृथक होगा।


जलग्रहण विकास कोष में निम्न जमा होगी।



  • उपयोगकर्ता द्वारा चुकाये जाने वाला शुल्क

  • सामूहिक सम्पदा संसाधनों पर सृजित परिसम्पत्तियों से प्राप्त होने वाली आमदनी

  • निजी भूमि पर क्रियान्वित कार्य का अंशदान

  • संसाधन से बिक्री रूप में प्राप्त आय

  •  मध्यवर्ती उपयोग अधिकारों को निस्तारित करने पर प्राप्त राशि


























गतिविधि



जिम्मेदारी



पर्यवेक्षण/अधिस्वीकृत



1. डब्ल्यू.डी.एफ. के आय व्यय का सम्पूर्ण पृथक रिकार्ड संधारण करना



सचिव डब्ल्यू. सी



ग्राम पंचायत



2. डब्ल्यू. डी. एफ. के संचालन हेतु नियम तैयार करना



डब्ल्यू. सी.



ग्राम सभा



3. डब्ल्यू. डी. एफ. खाते का संचालन



सरपंच (ग्राम पंचायत अध्यक्ष बतौर ) एस. एच. जी. का ग्राम सभा द्वारा नांमाकित व्यक्ति



ग्राम सभा यह हस्ताक्षरकर्ता सदस्य एस. एच. जी. को नामित करेगी



विकल्प के रूप में डब्ल्यू. डी. एफ. के प्रबन्धऩ उपयोग हेतु मार्गदर्शिका संबधित नोडल मंत्रालय द्वारा तैयार की जा सकती है।


द्वितीय चरण के पूर्ण होने के पश्चात डब्ल्यू. डी. एफ. के कम से कम 50 प्रतिशत को सामुदायिक भूमि पर सृजित परिसम्पत्तियों अथवा परियोजनान्तर्गत सामूहिक उपयोग हेतु आरक्षित कर लिया जायेगा। शेष रही राशि भूमि पर लिये गये कार्यो की मरम्मत रखरखाव हेतु इस कोष का उपयोग नही किया जायेगा। शेष रही राशि का उपयोग रिवाल्विगं फण्ड के बतौर परियोजना क्षेत्र के उन ग्रामीणों को प्रदान करने हेतु किया जा सकता है जिन्होने कोष में अंशदान प्रदान किया है। व्यक्ति एवं दानदाता संस्थाओं को इस फण्ड में उदारतापूर्वक सहयोग प्रदान करने हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।


अन्य योजनाओं/परियोजनाओं से समन्वय


ग्यारवीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत जलग्रहण विकास परियोजनाओं को विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों विशेषतः भारत निर्माण एवं अन्य ध्वजधारक योजनाओं के साथ तालमेल एवं संसाधनों में लय बिठाने का अवसर देता है। जिला स्तरीय आयोजना की अनिवार्य तैयारी द्वारा जमीनी स्तर पर तालमेल सुनिश्चित किया जायेगा। डी. पी आर. गैप फिलिंग या बी. आर. जी. एफ. ,, नरेगा, कृत्रिम भूगर्भ जल पुनर्भरण, तालाबों, जल निकायों का सुधार   मरम्मत और कोई अन्य उपलब्ध स्त्रोतों से जलग्रहण गतिविधियों को लेने हेतु सविस्तार वर्णन प्रदर्शित कर सकती है। विपणन मूल्य संवद्र्वन भी संशोधित . पी. एम. सी. ( एग्रीकल्चर प्रोडयूस मार्केअिंग कंट्रोल ) अधिनियम के अन्तर्गत सम्भव है। परियोजना स्तर पर समस्त संबधित योजनाओं के तालमेल का प्रयास किया जाना चाहिए। विद्यार्थियो से अपेक्षा की जाती है कि भारत सरकार द्वारा नई कामन मार्गदर्शिका का विस्तृत अध्ययन वे अपने स्तर पर करें।


10.2.3 ग्रामीण विकास मत्रंालय की हरियाली मार्गदर्शिका के अनुसार जलग्रहण विकास निधि की स्थापना के सम्बन्ध में निम्नानुसार उल्लेखित किया गया है  ( establishment of watershed deveeloppment funds as per haryali ghiidelines )


जल संग्रहण विकास निधि


जल संग्रहण विकास निधि कार्यक्रमों में गाँवों के चयन के लिए अनिवार्य शर्त जल संग्रहण विकास निधि ( डब्ल्यू. डी. एफ. ) में लागों द्वारा अंशदान करना है। जल संग्रहण विकास निधि में अशंदान लागों की निजी भूमि पर किए गए कार्य की लागत के कम से कम 10 प्रतिशत की दर से किया जाएगा। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्तियों के मामले में न्यनतम अंशदान उनकी भूमि पर किए गए कार्य की लागत के 5 प्रतिशत की दर से किया जाएगा। सामुदायिक सम्पत्ति केअसम्बन्ध में निधि के लिए अंशदान सभी लाभार्थियों से प्राप्त किया जा सकता है, जो व्यय की गई विकास लागत का न्यूनतम 5 प्रतिशत की दर से होगा। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अंशदान लाभ प्राप्त करने वाले किसानों से प्राप्त किया जाए और इसे श्रमिकों को अदा की गई मजदूरी से नहीं काटा जाए। यह अंशदान नकद रूप में स्वैच्छिक श्रम के रूप में अथवा सामग्री के रूप में स्वीकार्य होगा। स्वैच्छिक श्रम और सामग्री के मूल्य के बराबर राशि जल संग्रहण परियोजना खाते से ली जाएगी और इस निधि में जमा करवा दी जाएगी। ग्राम पंचायत जल संग्रहण विकास निधि का खाता अलग से रखेगी। ग्राम पंचायत के अध्यक्ष और सचिव जल संग्रहण विकास निधि के खाता अलग रखेगी। ग्राम पंचायत के अध्यक्ष और सचिव जल संग्रहण विकास निधि के खाते को संयुक्त रूप से संचालित करेगें। अलग-अलग व्यक्तियों और धर्मार्थ संस्थाओं को इस निधि में भरपूर अंशदान करने हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इस निधि में प्राप्तियों को परियोजना अवधि समाप्त होने के बाद सामुदायिक भूमि पर अथवा सार्वजनिक उपयोग के लिए सृजित की गई परिसम्पत्तियों को बनाये रखने के लिए उपयोग में लाया जायेगा। व्यक्तिगत लाभ हेतु किये गये कार्यो में मरम्मत/रखरखाव के कार्य पर व्यय इस निधि से नहीं किया जावेगा।


10.3 परियोजना पश्चात रख-रखाव ( पोस्ट प्रोजेक्ट )


राष्ट्रीय जलग्रहण विकास परियोजना अन्तर्गत वर्ष 1997-98 में स्वीकृत जलग्रहण क्षेत्रों को भारत सरकार की वारसा जन सहभागिता मार्गदर्शिका के पैरा 11 के अनुसरण में नवीं पंचवर्षीय योजना अवधि की शेष अवधि अर्थात मार्च, 2002 तक विद्यमान बरसा मार्गदर्शिका के अनुसार, लेकिन संशोधित लागत मानकों के अनुसारपूरा किया गया। समस्त जलग्रहण क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की निजी/सामुदायिक परिसम्पत्तियों का सृजन किया गया है। महत्वपूर्ण सूचनाओं को समाविष्ट करते हुए विभिन्न एजेन्सियों को परिसम्पत्तियों के विधिवत हस्तांतरण हेतु एक तैयार किया गया इस प्रक्रिया से ना केवल जलग्रहण क्षेत्रों में प्रभावी सामाजिक अकेंक्षण सुनिश्चित होती है अपितु गतिविधियों की जानकारी, सरकारी मूल्यांकन भौतिक सत्यापन, पारदर्शिता तथा जवाबदेही होती है।


नोट -



  1. उक्त व्यवस्था नवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान व्यवहार में लाई गई थी। जिस समय जलग्रहण समिति के स्थान पर ग्रामवार यूजर्स समिति हुआ करती थी। चूकिं उक्त आदेशों में स्पष्टतः है अतः इसका अध्ययन किया जाना हितकर होगा।

  2. आगामी जलग्रहण योजनाओं में यूजर्स कमेटी के स्थान पर जलग्रहण समित तथा इकाई अधिकारी के स्थान पर परियोजना क्रियान्वयन संस्था मानकर अध्ययन किया जा सकता है।


() राष्ट्रीय जलग्रहण परियोजनान्तर्गत पूर्ण हुए जलग्रहण क्षेत्रों की सामान्य जानकारी, सांगठनिक व्यवस्थाएँ, प्रगति विवरण का ब्यौरा



  1. सामान्य जानकारीः-


1.1 जलग्रहण परियोजना का नाम


1.2 पंचायत समिति का नाम


1.3 जलग्रहण में आने वाले ग्रामों के नाम


1.4 परियोजना प्रारम्भ तिथि


1.5 परियोजना पूर्ण होने की तिथि


1.6 कुल स्वीकृत राशि ( लाखों में )


1.7 कुल वास्ताविक क्षेत्रफल ( हैक्टेयर )


1.8 कुल व्यय राशि ( लाखों में )


1.9 कुल वास्तविक क्षेत्र उपचारित किया ( हैक्टेयर )


पुनरावलोकन 


जलग्रहण विकास कार्यक्रम भावनात्मक रूप से एक ऐसी पद्धति  है  जिसमें विकास की प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होती। जलग्रहण परियोजनाएं सरकार अथवा अन्य वित्त पोषित संस्थाओं द्वारा निर्धारित 5 वर्ष की अवधि हेतु संचाचित की जाती है, परन्तु यह जिम्मेदारी स्थानीय निवासियों की है कि वे उनके क्षेत्र में किये गये जलग्रहण विकास कार्यो से होने वाले लाभों को सतत रूप में प्राप्त करते रहें एवं उसमें क्रमिक बढोतरीही सुनिश्चित करें जिससे कि हमारी आने वाली पीढियों के लिए बहुउपयोगी प्राकृतिक संसाधन जैसे भूमि जल, वनस्पति, फल-फूल, खाद्यान इत्यादि बहुतायत में एवं उच्च गुणवत्ता में उपलब्ध होती रहें। जलग्रहण विकास कोष की स्थापना का उद्देश्य केवल मात्र राशि को उपयोग करना ही नहीं है वरन विभिन्न प्रकार की व्यवस्थाओं एवं प्रक्रियाओं के माध्यम से इस कोष को बनाये रखना, इसमें वृद्वि करना है। इसमें स्थानीय निवासियों के साथ-साथ पंचायत की अहम भूमिका होती है।


10.5 स्वपरक प्रश्न (     )



  1. परियोजना पश्चात रखरखाव क्या है ?

  2. हरियाली मार्गदर्शिका के अनुसार न्यूनतम अंशदान क्या है?

  3. कामन मार्गदर्शिका के अनुसार लाभार्थी अंशदान की क्या व्यवस्थाएँ है?


10.6 सांराश  (   )


समस्त जलग्रहण क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की निजी/सामुदायिक परिसम्पत्तियों का सृजन किया गया है। महत्वपूर्ण सूचनाओं को समाविष्ट करते हुए विभिन्न एजेन्सियों की परिसम्पत्तियों के विधिवत हस्तान्तरण हेतु एक प्रक्रिया तैयार की गई है।


10.7 संदर्भ सामग्री   ( )



  1. जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग के वार्षिक प्रतिवेदन।

  2. बारानी क्षेत्रों की राष्ट्रीय जलग्रहण विकास परियोजना हेतु जारी वरसा-7 मार्गदर्शिका।

  3. प्रशिक्षण-पुस्तिका- जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी।

  4. जलग्रहण मार्गदर्शिका- संरक्षण एवं उत्पादन विधियों हेतु दिशा-निर्देश- जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी।

  5. जलग्रहण विकास हेतु तकनीकी मैनुअल- जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी

  6. कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी राष्ट्रीय जलग्रहण विकास परियोजना के लिए जलग्रहण विकास पर तकनीकी मैनुअल।

  7. वाटरशेड मैनेजमेन्ट - श्री वी.वी. ध्रुवनारायण, श्री जी. शास्त्री, श्री वी. एस. पटनायक।

  8. ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी जलग्रहण विकास - दिशा-निर्देशिका।

  9. ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी जलग्रहण विकास - हरियाली मार्गदर्शिका।

  10. जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी।

  11. विभिन्न परिपत्र - राज्य सरकार/जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग।

  12. जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी स्वयं सहायता समूह मार्गदर्शिका।

  13. इन्दिरां गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान द्वारा विकसित संदर्भ सामग्री - जलग्रहण प्रकोष्ठ

  14. कृषि मंत्रालय , भारत सरकार द्वारार जारी वरसा जन सहभागिता मार्गदर्शिका

  15. जलग्रहण का अवरित विकास- श्री आर. सी. एल. मीणा

  16. भारत सरकार द्वारा जारी नई कामन मार्गदर्शिका