जलग्रहण विकास में जवाबदेही व्यवस्थाएँ

(द्वारा -  वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा
किताब - जलग्रहण विकास-क्रियान्यवन चरण, अध्याय - 07)
सहयोग और स्रोत - इण्डिया वाटर पोटर्ल-


||जलग्रहण विकास में जवाबदेही व्यवस्थाएँ||


देश की आजादी के पश्चात् से ही भारत सरकार के स्तर से यह प्रयास किये जा रहें हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी रूप से आत्मनिर्भरता हासिल हो जिस हेतु विभिन्न प्रकार की योजनाएं विभिनन पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान क्रियान्वित की जाती रही हैं एवं उनके उद्येश्यों में भी परिवर्तन समय  के साथ होता रहा है। देश में बढ़ती जनसख्यां के समानुपात में प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि भूमि के प्रत्येक भाग का उत्पादन में उपयोग किया जावे एवं जल की प्रत्येक बूदं का संरक्षण कर उपयोग किया जावे। जहाँ एक और बारानी क्षेत्रों से कृषि उत्पादन बढाये जाने की चुनौती हमारे सामने है वहीं दूसरी ओर सिंचित क्षेत्रों में उत्पादन एवं उत्पादकता के स्तर में स्थिरता प्राप्त करना भी सर्वोपरी लक्ष्य है। विभिन्न वर्षो के दौरान भारत सरकार के स्तर से अनेक करोड़ रूपये राज्यों को ग्रामीण विकास की योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु उपलब्ध कराये जाते हैं। देश के नागरिक होने के नाते हमारा यह कर्तव्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए व्यय होने वाली समस्त राशि के उद्देश्य, परिणाम अथवा लाभ प्राप्ति की जानकारी आमजन को विभिन्न माध्यमों से प्राप्त होती रहे। लाभ लागत अनुपात की यदि बात की जाये तो यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यह अनुपात प्रत्येक स्थिति में एक से ज्यादा हो, अर्थात किये गये व्यय के मुकाबले अर्जित लाभों का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष योग अधिक हो।


प्रत्येक स्तर पर जवाबदेही की व्यवस्था कायम करना अत्यधिक  जरूरी है जिस हेतु सक्षम स्तर एवं सक्षम अधिकारी की पहचान आवश्यक है। विगत कुछ वर्षो के दौरान सूचना के अधिकार की व्यवस्था देश में लागू की जा चुकि है जिसके तहत प्रत्येक नागरिक को निर्धारित न्यूनतम शुल्क जमा कराकर किसी भी प्रकार की सूचना लिखित में प्राप्त किये जाने का सांवैधानिक हक प्रदान किया गया है। इस व्यवस्था से राजकीय स्तर पर सवंदशीलता एवं जागरूकता आई तथा आम जनता के हितों की रक्षा हो सकी है। जवाबदेही के सम्बन्ध में सूचना के अधिकार की व्यवस्था एक आर्दश उदाहरण है। आने वाले वर्षो में यह बहुत जरूरी होगा कि विभिन्न  परियोजनाओं एवं कार्यक्रमों के अन्तर्गत होने वाले व्यय का सम्पूर्ण लेखा जोखा  सुस्पष्ट एवं सुव्यवस्थित तरीके से प्रत्येक स्तर पर रखा जावे। इसके साथ ही सामाजिक अकेंक्षण की व्यवस्था ग्राम पंचायत/पंचायत समिति स्तर पर लागू है जिसमें कि ग्राम सभा में समस्त सदस्यों के समक्ष विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत निर्धारित भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्यों के विपरीत अर्जित प्रगाति की समीक्षा एवं अनुमोदन किया जाता है प्रत्येक गतिविधि की प्रगाति की समीक्षा की जाती है। यदि किसी प्रकार के आक्षेप सामने आते हैं तो योजना से जुड़े हुये कार्यकर्ता/राज्यकर्मी की यह जिम्मेदारी होगी  कि वह उसका निपटारा वहीं पर करें एवं किसी प्रकार का भ्रम उत्पन्न अथवा विद्यमान नही रहने देवें। योजना से जुडे़ राजकीय कर्मी की यह जिम्मदारी होती है कि वे ग्रामसभा में नियमित रूप से सामाजिक अंकेक्षण करवाये। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जवाबदेही बेहद जरूरी है।  पारदर्शिता होगी तो जन सहभागिता भी होगी एवं परियोजना से प्राप्त होने वाले लाभों का स्थायित्व भी होगा। सामाजिक अकेंक्षण के बतिरिक्त ग्राम स्तर पर प्रदर्शन बोर्ड लगाये जाकर अथवा राजकीय भवनों/सामुदायिक भवनों की दीवारों पर वाल पेन्टिगं के माध्यम से जलग्रहण योजनान्तर्गत किये गये अथवा किये जा रहे कार्यो का ब्यौरा लिख जाकर प्रदर्शित किया जाता हहै। ये स्थल ऐसे स्थल होते हैं जहां कि आते जाते हर व्यक्ति की नजर पड़े। जवाबदेही के लिए यह भी जरूरी है कि श्रमिकों के नियोजन की व्यवस्था आम सहहमति से की जावे। इसके अतिरिक्ति निर्माण कार्यो में प्रयुक्त होने वाली सामग्री आपूर्ति जैसे सीमेंन्ट, पत्थर, मिटटी, रोडी़, बजरी, लोहे के सरिये एवं गर्टर इत्यादि भी आम सहमति से क्रय की जावें। इस व्यवस्था से किसी प्रकार का विवाद अथवा शिकायत की संभावना से बचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त श्रमिकों को निर्धारित न्यूनतम मजदूरी भी आवश्यक रूप से दी जावे। मजदूरी का भुगतान सार्वजनिक जगह पर ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों की मौजूदगह में निर्विवाद रूप से पूर्ण किया जावे। जलग्रहण विकास परियोजनाओं के परिप्रेक्ष्य में , जिसमें कि परिसम्पत्तियों एवं प्राकृतिक संसाधनों के स्थायित्व,, स्थानीय स्तर की जन सहभागिता का विशेष महत्व है, जवाबदेही व्यवस्थाएँ प्रभावी होना महत्वपूर्ण है।


7.2 जवाबदेही के सरलीकरण की क्रियाविधि  (   )


ग्राम स्तर पर निधि के निर्विघन की दृष्टि से इसकी जवाबदेही के लिए उपपर्युक्त क्रियाविधि विकसित करने की आवश्यकता है। इस प्रोजन हेतु निम्न विशिष्ट कदम उठाये जायें। राष्ट्रीय जलग्रहण विकास परियोजना अन्तर्गत परियोजना प्रारम्भ होने के समय जिला नोडल एजेन्सी ( जिला परिषद स्तर ) और जलग्रहण संस्था तथा जिला नोडल एजेन्सी ( जिला परिषद् स्तर ) और परियोजना क्रियान्वयन एजेन्सी ( पंचायत समिति ) के बीच दो अलग-अलग एम. . यू. ( अनुबन्ध पत्र ) हस्ताक्षरित कियें जायें। जिनके खण्डों में (क्लाज) उनकी भूमिका उत्तरदायित्व एवं जवाबदेहियों सम्बन्धी बातें कार्यो के अचानक निरीक्षण करने के लिए जिला नोडल एजेन्सी को सशक्त बनाने, डब्ल्यू. . या पी. आई. . को जारी निधि के दुरूपयोग किये जाने सम्बन्धी प्राप्त शिकायतों को निपटाने हेतु नोडल एजेन्सी के कार्यालय में सतर्कता प्रकोष्ठ/डेस्क स्थापित करने, जिला नोडल एजेन्सी को जलग्रहण में कार्यक्रम स्थागित करने, निधि देना रोकने या निधि का दुरूपयोग पाये जाने की स्थिति में अन्य कोई विधिक कार्यवाही करने हेतु प्राधिकृत करने सम्बन्धी स्तम्भ निहित होगें। निधि के  दुरूपयोग किये जाने सम्बन्धी गंभीर और सिद्व मामलों में पी. आई. . को प्रतिस्थापित करने या काली सूची में रखने और जलग्रहण में कार्यक्रम बंद किया जा सकेगा, इसके लिए डी. डब्ल्यू. सी. निर्णायक/सक्षम प्राधिकरणहोगा। आर्दश एम. . यू. एस. परिशिष्ट-1 तथा परिशिष्ट-2 में उपलब्ध है, जिसे राज्य/जिला नोडल एजेन्सी के स्तर पर आवश्यकतानुसार और अधिक विशेषीकृत किया जा सकता है।


7.2.1 परिपत्र-1 अंकीय व्यवस्था ( )


राजस्थान में वर्तमान में 31 जिलों के लगभग 210 चयनित विकास खण्डों/पंचायत समितियों में विभिन्न योजनान्तर्गत जलग्रहण विकास कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। इसे अतिरिक्त लगभग 6500- 7000 जलग्रहण परियोजनाएं चालू अवस्था में हैं। प्रत्येक वर्ष औसतन 400-500 करोड़ रूपये का उपयोग राज्य में जलग्रहण परियोजनाओं के क्रियान्वयन पर किया जाता है। प्रत्येक स्तर पर नियमित रूप से जलग्रहण विकास कार्यो हेतु समीक्षा हेतु व्यवस्थाएं स्थापित है तथा पूर्व के अनुभव यह दर्शाते हैं कि राज्य सम्पूर्ण देश में  जलग्रहण विकास कार्यो के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में अग्रणी राज्य है। विभिन्न जिलों की समीक्षा हेतु राज्य स्तर पर बैठकों का आयोजन किया जाता है। जलग्रहण परियोजनाओं से अर्जित होने वाले लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से यह आवश्यक है  कि  परियोजनाओं की समयबद्व क्रियान्वित सुनिश्चित की जावे एवं सम्पूर्ण धनराशि का सदुपयोग पूर्ण जन सहभागिता के साथ निर्धारित परियोजना अवधि में किया जावें।


विभिन्न जिलों की प्रगाति की समीक्षा हेतु निम्नलिखित अंकीय व्यवस्था अमल में लाये जाने हेतु निर्देश हैं।
























































क्र.सं.



गतिविधि



अंक



1



लक्ष्यों के विपरीत प्रतिशत व्यय



20



2



जिला परिषद द्वारा विस्तृत  कार्य योजना अनुमोदन उपरांत कितने  प्रतिशत परियोजनाओं में कार्य निर्धारित समय पर प्रारम्भ हो चुका है।


 

3



भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय को राशि  के क्लेम हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत कर दियें हैं-


1. द्वितीय किश्त हेतु


2. चतुर्थ किश्त हेतु


3. अन्य






3


3


3



4



निर्धारित मापदण्डों के विपरीत किये गए  प्रतिशत निरीक्षण



15



5



जल भण्डारण संरचनाओं के लक्ष्यों के विपरीत  प्रतिशत उपलब्धि



15



6



जलग्रहण विकास दल पूर्णतः गठित कर नियोजित एवं कार्यरत (  प्रतिशत )



10



7



प्रतिशत विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन सैल्फ आफ प्रोजेक्ट के लक्ष्यों के विपरीत अग्रिम तैयार



5



8



परियोजना क्रियान्वयन संस्था द्वारा राशि  प्राप्ति के 15 दिवस के भीतर  प्रतिशत राशि  का आंवटन



5



9



कुल



100



7.2.2 परिपत्र-2 (    )


जलग्रहण विकास कार्यो के निरीक्षण हेतु भ्रमण, रात्रि विश्राम के निर्धारण बाबत जलग्रहण विकास कार्यो की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए संबधित अधिकारियों द्वारा कार्यो का निरीक्षण किया जाना  अत्यन्त आवश्यक है। आयुक्तालय द्वारा उक्त संदर्भ में पूर्व  में जारी कार्यालय आदेश क्रमांक एफ17(12) निसभूस/तक./2003-04/2400-3025 दि0 18.3.2006 के अतिक्रमण में विभागीय कार्यो के निरीक्षण  के लिए भ्रमण एवं रात्रि विश्राम हेतु परिशिष्ट-3 अनुसार भ्रमण एवं मीटिंग के मानदण्ड निर्धारित कर संशोधित किये जाते हैं। निरीक्षण प्रतिवेदन निर्धारित चैक लिस्ट ( परिशिष्ट-4) अनुसार भ्रमण के 3 दिन के अन्दर/अन्दर अधिकरियों द्वारा अपने उच्च नियंत्रण अधिकारी को प्रेषित किये जावेगें। अधिकारियों द्वारा भ्रमण की सूचना समस्त सम्बन्धित को पूर्व में लिखित ( नोटिफाइड) की जावेगी। निरीक्षण के दौरान अधिकारी पंचायत के सदस्यों के सदस्यों से भी गहन विचार-विमर्श कर पता लगायेगें कि क्या लोग कार्य से सतुष्टं हैं ? निरीक्षण के उद्देश्य कमियाँ निकालना नहीं है बल्कि कार्यकारी एजेन्सी  कनिष्ठ अभियन्ता की क्षमतावद्र्वन का है, ताकि वे उद्येश्यों की प्राप्ति हेतु सही गुणवत्तापूर्वक कार्य कर सकें। निंयत्रक अधिकारियों का उत्तरदयित्व होगा कि वे इन मानदण्डों को   सख्ती से पूर्ति  करावें वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन भरते समय इसे ध्यान में रखें। निरीक्षण प्रतिदिन प्राप्त होने पर उसकी समीक्षा करें यह सुनिश्चित करें कि अधीनस्थ अधिकारी इस कार्य को पूरी जिम्मेदारी के साथ पूरा कर रहें हैं।


उपर्युक्त अनुसार निरीक्षण प्रतिवेदनों का रिकार्ड अगले वरिष्ठ अधिकारी द्वारा उनके कार्यालय में रखा जावेगा।


परिशिष्ट-1


जलग्रहण संसथा और जिला नोडल एजेन्सी के बीच समझौते ( एम. . यू. ) का ज्ञापन समझौते का यह ज्ञापन आज दिनांक ......... माह .......................वर्ष  को जलग्रहण संस्था ( समितियाँ पंजीकरण अधिनियम के अन्तर्गत विधिवत पंजीकृत ) प्रतिनिधि के रूप में इसके अध्यक्ष, जिन्हें कि एतद् पश्चात् संस्था कहा और संदर्भित किया जायेगा।


के पक्ष में 


जिले की ......... जिला नोडल एजेन्सी, जिसका प्रतिनिधित्व किया जायेगा। चूकिं जिला नोडल एजेन्सी ने ग्राम  (ग्रामों )..............में जलग्रहण परियोजना अभिचिन्हित की है और जलग्रहण के अध्यक्ष इसे लेने में सहमत हैं। अब यह दस्तावेज निम्न का साक्षी होगा-



  1. जलग्रहण संस्था ( डब्ल्यू. . ) की ओर से इसके अध्यक्ष समझौते के वर्तमान ज्ञापन का एजेन्सी के पक्ष में निष्पादित करते हैं। अध्यक्ष, डी.एन. . से एम. .यू. इन्द्राज करने हेतु अधिकृत हैं।

  2. जलग्रहण संस्था ग्राम के चयन को अंन्तिम रूप देते समय समुदाय द्वारा पूर्व में किये गये संकल्प प्रतिबद्वता की पुष्टि करेगी। ( अनुच्छेद..................के अनुसार )

  3. डब्ल्यू. . एजेन्सी द्वारा स्वीकृत राशि, केवल एजेन्सी द्वारा उल्लेखित प्रयोजनों के लिए ही व्यय करेगी।

  4. डब्ल्यू. . तिमाही या जब कभी एजेन्सी द्वारा चाहा जाये अन्तरिम प्रतिवेदन लेखों के साथ प्रस्तुत करेगी।

  5. डब्ल्यू.विकासात्माक गतिविधियों का भैतिक और वित्तीय प्रगाति प्रतिवेदन त्रैमासिक रूप से अथवा एजेन्सी के चाहे अनुसार को प्रस्तुत करेगीं।

  6. डब्ल्यू.. द्वारा वर्ष के अन्त में सक्षम चार्टर्ड लेखाकार द्वारा प्रमाणित वार्षिक लेखे प्रस्तुत कियें जावगें।

  7. डब्ल्यू. . जलग्रहण समितियों के सदस्यों को मनोनीत करेगी जो कि मार्गदर्शिका में दिये गये प्रावधानों के अनुसार भुगतान आधार पर जलग्रहण सचिव और कार्यकर्ताओं की पहचान करेंगे।

  8. डी.एन.. मार्गदर्शिका के परिशिष्ट में दिये गये विस्तुत विवरणानुसार डब्ल्यू.. और डब्ल्यू.सी. के पदाधिकारियों ( जलग्रहण सचिव और कार्यकर्ताओं को सम्मिलित करते हुए ) को उनमें से प्रत्येक के द्वारा निष्पादित की जानेअवाली भूमिकाओं कर्तव्यों के बारे में स्पष्ट रूप से अवगत करायेगा।

  9. डब्ल्यू. . निधि का उपयोग किसी अन्य कार्यक्रम के लिए नहीं करेगा और निधि का व्यय पूर्णतः मार्गदर्शिका के उपबन्धों और अनुमोदित कार्य योजना के अनुसार ही किया जावेगा।

  10. डब्ल्यू. सी. सदस्य, सचिव एवं कार्यकर्ता, डब्ल्यू. डी.टी. के साथ प्रथमतः समुदाय के सदस्यों को संगठित करने प्रशिक्षित करने हेतु संयुक्त रूप से कार्य करेंगे और तत्पश्चात जलग्रहण कार्यक्रम के अन्तर्गत विकासात्मक घटाकें के लिए कार्य योजना तैयार करेगें।

  11. जलग्रहण संस्था कार्य योजना कों ( एक्शन प्लान ) डब्ल्यू. डी.टी. की सिफारिशों सहित पी.आई.. के माध्यम से स्वीकृति निधि जारी करने हेतु एजेन्सी को भेजेगी।

  12. डब्ल्यू. . उस प्रक्रिया की पहचान करेगी जो कि स्वीकृति योजना के क्रियान्वयन में हुई प्रगति की समय समय पर अनुवीक्षण और समीक्षा जलग्रहण समिति की सहयता से करने में उपयोग में लाई जायेगी।

  13. एम. ओं. यू. पर हस्ताक्षर होने पर एजेन्सी अद्र्ववार्षिक आधार पर जलग्रहण विकास गतिविधियों के लिए जलग्रहण समिति के बैंक खाते में निधि जारी करेगी।

  14. डब्ल्यू. . और डब्ल्यू. सी. के पदाधिकारी किसी राजनैतिक और धार्मिक गतिविधियों में लिप्त नहीं होंगें।

  15. डब्ल्यू. सी. सदस्य निकटवर्ती क्षेत्रों में जागरूकता कैम्पस और एक्सपोजर विजिट आयोजित करेंगें।

  16. डब्ल्यू. . तथा डब्ल्यू. सी. के पदाधिकारी गतिविधियों के क्रियान्वयन से पूर्व सहभागियों से अपेक्षित अशंदान जुटा सकेंगें और उस अशंदान की राशि को किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक में जलग्रहण विकास निधि के नाम से खोले खाते में जमा करायेगें।

  17. डब्ल्यू. . और डब्ल्यू. सी. के पदाधिकारी जाति,, नस्ल और धर्म का विचार किये बिना समुदाय में सभी के साथ सम्पर्क स्थापित करेंगें।

  18. यदि डी.एन. . कार्यक्रम की प्रगति के सम्बन्ध में डब्ल्यू. ./डब्ल्यू. सी से संतुष्ट नहीं है या यदि वह पाती है कि डब्ल्यू. ./ डब्ल्यू. सी. ने शर्तो का उल्लघंन किया है, तो एजेन्सी 15 दिन के नोटिस पर परियोजना को निलम्बित/समाप्त करने का अधिकार रखती हैं और डब्ल्यू. . को उपयोग में लाई गई समस्त राशि तत्काल लौटानी होगी।

  19. निधि के गबन की स्थिति में प्रशासनिक प्रक्रिया और विधियों के अनुसार की जावेगी।

  20. परियोजना के पूर्ण हो जाने के पश्चात अध्यक्ष ( डब्ल्यू. . ) प्राप्ति व्यय प्रपत्रों में लेखों का अकेंक्षित विवरण प्रस्तुत करेगा और इसके साथ चार्टर्ड लेखाकार का विधिवत प्रमाणित उपयोगिता प्रमाण पत्र भी संलग्न किया जायेगा।

  21. डी. एन. . के पदाधिकारी कार्यक्रम से सम्बन्धित चालू कार्यो, पूर्ण हो चुके कार्यो, दस्तावेजों, प्रतिवेदनों, वाउचरों, लेखों एवं कैश बुक आदि का निरीक्षण और जांच करने के लिए स्वतंत्र होगें।

  22. डब्ल्यू.. परियोजना के लिए अलग से खाता खोलेगा। इसके अतिरिक्त डब्ल्यू. डी. एफ. के लिए एक बलग से खाता भी खोला जायेगा।


23. कि यह समझौते का यह ज्ञापन, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जलग्रहण विकास के लिए तैयार की गई क्रियात्मक मार्गदर्शिका की निर्धारित शर्तों के अनुसार बनाया गया तथा निष्पादित किया गया है जो कि एम. ओ. ए और एम. ओ. आर. डी. द्वारा संयुक्त रूप से जलग्रहण विकास के लिए विकसित किये गये  सामान्य सिद्धान्तों पर आधारित है।



  1. पी. आई. . की ओर से श्री/डा0.........................को संगठन के परियोजना निदेशक के रूप में मनोनीत किया गया है जो कि एजेन्सी के पक्ष में समझौते के वर्तमान ज्ञापन के निष्दानकर्ता है। परियोजना निदेशक, डी.एन. . के साथ समझौते के ज्ञापन इन्द्राज करने के लिए अधिकृत है।

  2. पी. आई. . एजेन्सी द्वारा स्वीकृत राशि, केवल एजेन्सी द्वारा उल्लेखित प्रयोजनों के लिए व्यय करेगी।

  3. पी. आई. . प्रत्येक वर्ष के अन्त में वार्षिक लेखे प्रस्तुत करेगा, जो कि सक्षम चार्टड लेखाकार द्वारा विधिवत प्रमाणित होने चाहिए।

  4. पी. आई. . विभिन्न गतिविधियों से संबधित त्रैमासिक भौतिक और वित्तीय प्रगाति प्रतिवेदन एजेन्सी को प्रस्तुत करेगी।

  5. पी. आई. . जलग्रहण विकास दल में स्टाफ मनोनीत करेगा।

  6. इस परियोजना के अन्तर्गत डब्ल्यू. डी. टी. के सदस्य के रूप में मनोनीत समस्त व्यक्ति पूर्णकालिका होंगे और पूर्ण रूप से परियोजना के लिए ही कार्य करेगें। जब कभी उनकी सेवाओं की जलग्रहण समुदाय को आवश्यकता होगी, उपलब्ध रहेंगे।

  7. जैसा कि नवीन मार्गदर्शिका में दर्शाया गया है, पी. आई. . द्वारा, मनोनीत कर्मचारी व्यावसायिक रूप से योग्य होंगे और अपने सम्बन्धित क्षेंत्र के अनुभवी व्यक्ति होगें।

  8. पी. आई. . द्वारा निधि को किसी अन्य कार्यक्रम के लिए व्यय नहीं किया जावेगा और व्यय निश्चित रूप से मार्गदर्शिका तथा अनुमोदित योजना के अनुसार ही किया जायेगा।

  9. जलग्रहण संस्था और जलग्रहण समिति के गठन से पूर्व पी. आई. . पर्याप्त संख्या में स्वयं सहायता समूहों और उपभोक्ता समूहों का गठन करेगा।

  10. पी. आई. . जलग्रहण संस्था का गठन करेगा तथा समिकित पंजीकरण अधिनियम के तहत उचित प्राधिकरण के माध्यम से पजींकरण करायेगा।

  11. डब्ल्यू. . के गठन के पश्चात पी. आई. . जलग्रहण समिति के गठन को सुगम बनाएगी।

  12. पी. आई. . एक ऐसी प्रक्रिया भी विकसित करेगा जिसका उपयोग जलग्रहण समिति द्वारा स्वीकृत कार्य योजना के क्रियान्वयन में उपलब्ध हुई प्रगति का बोधन एवं समीक्षा करने हेतु किया जायेगा।

  13. आपसी समझौते के ज्ञापन पर हस्ताक्षर हो जाने के पश्चात एजेन्सी पी. आई. . के बैंक खाते में ( प्रबन्धन घटक के लिए ) और जलग्रहण संस्थान के बैंक खाते में अद्र्ववार्षिक आधार पर निधि जारी करेगा ( विकास घटक के लिए )

  14. पीआइए किसी राजनैतिक या धार्मिक गतिविधियों में संलग्न नहीं होगा।

  15. पी. आई. .जागृति केम्पों, एक्सपोजर विजिट्स तथा अन्य गतिविधियों को आयोजित करेगा, इसमें समुदाय का संगठन प्रशिक्षण भी सम्मिलित है। इसके पश्चात सहभागिता एप्रोच के माध्यम से जलग्रहण कार्यक्रम के आयोजन ( प्लानिंग ) क्रियान्वयन एवं मूल्यांकन को सुगम बनाएगा।

  16. पी. आई. . सहभागियों से अपेक्षित अंशदान जुटाएगा तथा उस राशि को जलग्रहण विकास निधि के नाम से राष्ट्रीयकृत बैंक में खोले गये खातों में जमा कराएगा।

  17. पी. आई. . जाति, नस्ल धर्म का विचार किये बिना समुदाय के सभी सदस्यों को सम्मिलित करेगा।

  18. एजेन्सी के कार्यक्रम के सम्बन्ध में पी. आई. . की प्रगति के सतुंष्ट नही होने अथवा वह पाती है कि पी. आई. . ने शर्तो का उल्लंघन किया है, तो ऐसी स्थिति में एजेन्सी परियोजना को 15 दिन के नोटिस पर समाप्त करने का अधिकार रखती है और पी. आई. . को उपयोग में नही लाई गई समस्त राशि लौटानी होगी।

  19. निधि के गबन की स्थिति में प्रशासनिक प्रक्रिया नियमों और विधियों के अनुसार की जावेगी।

  20. परियोजना के पूर्ण हो जाने के पश्चात् अध्यक्ष ( डब्ल्यू. . ) प्राप्ति व्यय प्रपत्रों में लेखो का अकेंक्षित विवरण प्रस्तुत करेगा और इसके साथ चार्टर्ड लेखाकार का विधिवत प्रमाणित उपयोगिता प्रमाण पत्र भी संलग्न किया जायेगा।

  21. एजेन्सी के पदाधिकारी कभी भी दस्तावेज, पत्रावलियों, प्रतिवेदनों तथा लेखों का निरीक्षण करने के लिए स्वतंत्र होगें।

  22. पी. आई. . परियोजना के लिए अलग से खाता खोलेगा और उसे एक अलग खाते में संधारित करेगा।


23. समझौते का यह ज्ञापन, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जलग्रहण विकास के लिए तैयार की गई प्रक्रियात्मक मार्गदर्शिका की निर्धारित शर्तो के अनुसार बनाया गया तथा निष्पादित किया गया है जो कि एम. ओ. ए. और एम. ओ. आर. डी. द्वारा सयुंक्त रूप से जलग्रहण विकास के लिए विकसित किये गये सामान्य सिद्धान्तों पर आधारित है।


7.5 संदर्भ सामग्री



  1. जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग के वार्षिक प्रतिवेदन

  2. बारानी क्षेत्रों की राष्ट्रीय जलग्रहण विकास परियोजना हेतु जारी वरसा-7 मार्गदर्शिका

  3. प्रशिक्षण पुस्तिका-जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी

  4. जलग्रहण मार्गदर्शिका-संरक्षण एवं उत्पादन विधियों हेतु दिशा निर्देश-जलग्रहण विकास एवं भू सरक्षण विभाग द्वारा जारी ?

  5. जलग्रहण विकास हेतु तकनीकी मैनुअल-जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी

  6. राजस्थान में जलग्रहण विकास गतिविधियाँ-जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी

  7. कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी राष्ट्रीय जलग्रहण विकास परियोजना के लिए जलग्रहण विकास पर तकनीकी मैनुअल

  8. वाटरशेड मैनेजमेन्ट-श्री वी.वी. ध्रुवनारायण, श्री जी, शास्त्री, श्री वी.एस. पटनायक

  9. ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी जलग्रहण विकास-दिशा निर्देशिका

  10. ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी जलग्रहण विकास-हरियाली मार्गदर्शिका

  11. जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी

  12. विभन्न परिपत्र-राज्य सरकार/जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग

  13. जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी स्वयं सहायता समूह मार्गदर्शिका

  14. इन्दिरा गाँधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान द्वारा विकसित संदर्भ सामग्री-जलग्रहण प्रकोष्ठ

  15. कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी वरसा जन सहभागिता मार्गदर्शिका

  16. प्रसार शिक्षा निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा विकसित सामग्री

  17. जलग्रहण प्रबन्धन-श्री बिरदी चन्द जाट

  18. आई.एम.टी.आई. कोटा द्वारा विकसित प्रशिक्षण सामग्री

  19. 8.3 जलग्रहण विकास कार्यक्रमों की सूचनाएं निर्धारित प्रपत्र