समन्वय और समपर्ण की प्रतिमूर्ती बड़ेथी स्कूल


||समन्वय और समपर्ण की प्रतिमूर्ती बड़ेथी स्कूल||

एक ऐसा विद्यालय जहां अध्ययनरत् बच्चे ना कोई ट्यूशन पढते हैं और ना ही कोई अतिरिक्त फीस भरते हैं। पर बच्चो का अध्ययन का स्तर उच्चस्तरीय है। यह इस मायने में की वहां अध्यापन कार्य से जुड़े शिक्षक ही हैं जो बच्चों को हर स्तर पर तरासने का काम करते है। शिक्षको का आपसी समन्वय ही बताता है कि क्यों न कोई अभिभावक अपने पाल्यों को उत्तरकाशी के बड़ेथी गांव स्थित राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय में दाखिला करवायें। आास-पास के गांवो से दूर-दूर तक इस विद्यालय की गूंज सुनाई दे रही है। यहां प्राथमिक स्तर पर बच्चे कम्पयूटर के अलावा गणित, विज्ञान को खेल-खेल के माध्यम से सीखते है। कह सकते हैं कि सरकारी स्तर पर यह पहला विद्यालय होगा जहां ''लरनिंग बाय डूईंग'' जैसे पद्वत्ति का उपयोग हो रहा है और रट्टू जैसी प्रवृति से ये बच्चे छुटकारा पा चुके हैं।


समर वेकेशन से पहले मुझे भी इस विद्यालय में बच्चो के साथ मुखातिब होने का मौका मिला। मौका था बच्चो के साथ थियेटर कार्यशाला का। जिसमें बच्चो की ''दक्षता विकास'' पर गतिविधियां करनी थी, वह भी खेल खेल में। वैसे भी हम कोशिश करते हैं कि बच्चो को रटने  वाली प्रक्रिया से बाहर निकाला जाये। सलेबस को सरल और आकर्षण बनाया जाये। ऐसा ही हुआ, और बच्चो के साथ पांच दिन तक सीखने व सिखाने का दौर चला। जिसका नाम दिया गया ''सृजनात्मक लेखन कार्यशाला''। आरम्भ में ही बच्चों में बहुत उत्साह, विश्वास से ओतप्रोत, जिज्ञासा और सीखने की ललक, सवाल करने की क्षमता दिखाई दी। इस सब के लिए बच्चे ही बता रहे थे कि उन्हे यह विद्या उनके शिक्षक सीखाते हैं। पहले व दूसरे दिन तक बच्चो ने कहानी, कविता, गीत लिखने की सामान्य जानकारी सीखने का प्रयास किया। यही नहीं बच्चो ने पिछले दिनों की गतिविधियों को भी समाचार आधारित प्रक्रिया द्वारा प्रस्तुत किया। इसी प्रकार बच्चों ने डायलॉग डिलेवरी, डिक्सन, कल्पनाशीलता और शब्द संयोजन सहित हमिंग, एकाग्रता जैसी विधाओ की बारीकियों को सीखने का भरसक प्रयास किया।


बता दें कि ''हैलो जिंदगी'' कार्यक्रम के तत्वाधान में राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय बड़ेथी उत्तरकाशी के छात्र-छात्राओ के साथ यह पांच दिवसीय ''सृजनात्मक लेखन कार्यशाला'' आयोजित हुई। हैलो जिंदगी कार्यक्रम की संयोजिका अशिता डोभाल का कहना है कि उत्साह से लबरेज ये बच्चे और पांच दिनों में मिले टिप्स ने उनकी सृजनशीलता दुगुना कर दिया है। बच्चों का प्रदर्शन बता रहा है कि इस कार्यशाला से इनमें नई ऊर्जा का संचार हुआ है। इधर इस आदर्श विद्यालय की उपलब्धि इन बच्चो का विश्वाश बताता है। यही नही विद्यालय में शिक्षकों का समन्वय भी यह दर्शाता है कि इन अध्यनरत छात्र-छात्राओं में पढ़ने की जो ललक पैदा हुई है। तारिफकाबिल यह कि बच्चो में यह जिज्ञासा व आत्मविश्वाश प्रधानाध्यापक संजय कुकसाल, अंग्रेजी की अध्यापिका मीना भट्ट, ईवीएस के मुरारी राणा, हिंदी की शुशीला राणा, विज्ञान की बिंदु पडियार, गणित के डॉ' मुकेश नौटियाल ने कूट-कूटकर भरी है। इसके अलावा भोजन माता अंजू एवं बीना देवी के संयुक्त प्रयास भी बच्चो को परोसा जा रहा भोजन यानी मध्यांतर भोजन भी उनके अध्ययन कार्य में कोई व्यवधान नहीं डाल रहा है। फलस्वरूप इसके विद्यालय में हर सत्र के दौरान छात्र संख्या में वृद्धि होना भी आदर्श विद्यालय को प्रमाणित करता है। कार्यशाला के समापन अवसर पर मौजूद रहे राजकीय इण्टरमीडिएट काॅलेज बड़ेथी के प्रधानाचार्य बीएस भण्डारी ने कहा कि रा0आ0प्रा0वि0 बड़ेथी बच्चों को हर स्तर का मंच उपलब्ध करवा रहा है। कहा कि बिना बजट के जैसे किसी बड़े प्राइवेट विधालय के छात्रों को हर विभाग में प्रतिस्पर्धा देने का हूनर बताया जाता है वैसे ही इस विद्यालय के बच्चे हर स्तर पर प्रतिस्पर्धा में भाग लेते है। वह तब जब इस विद्यालय में ऐसे हर संभव सृजनात्मक माहौल बनाया जाता है। उन्होंने अध्यापक-अध्यापिकाओं की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे शिक्षको के निर्देशन में ये फूल अब फुलवारी का रूप ले रहे हैं जिसकी सुगंध दूर-दूर तक मसहूस की जायेगी।



दक्षता विकास कार्यशाला
कुल तीस बच्चों ने इस कार्यशाला में भाग लिया है। इस दौरान बच्चों ने लिखना, बोलना, सुनना व सुनाना, गायन, जैसी विद्या से कविता का सृजन करना, कहानी का सृजन करना, लघुनाटक आदि क्षमताओं का प्रदर्शन किया। बच्चों की कल्पनाशक्ति का विकास, अध्ययन के सरल तरीको जैसे आयाम इजाद हुए है। बच्चों ने माना कि ''रटू'' जैसी प्रक्रिया पठन-पाठन में पिछड़ने का काम करती है। इसलिए वे ''लरनिंग बाय डूईंग'' प्रक्रिया को सहज ही स्वीकारते हैं जो कि बच्चों ने अलग-अलग दिनों में अपने-अपने प्रस्तुतिकरण में बताया।


प्रधानाध्यापक संजय कुकसाल 
राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय बड़ेथी में बच्चों के प्रवेश हेतु उन्होंने शोसल मीडिया का खूब इस्तेमाल किया है। वे अपील कर रहे हैं कि उनके विद्यालय में कम्प्यूटर का ज्ञान। सरल व नई विद्या से पठन पाठन का कार्य, बच्चों की क्षमता विकास के लिए शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले विद्वानो से बच्चो को मुखतिब करवाना, विषयगत सामग्री के अलावा बच्चों को उनके मुताबिक सामान्य ज्ञान से जोड़ना। लिहाजा उनके विद्यालय का फायदा लोग अपने पाल्यों के पक्ष में उठाये। यह सकारात्मक ऊर्जा इस विद्यालय में हर संभव दिखाई देती है। वे अपनी पोष्ट पर बाकायदा विद्यालय के आस-पास के गांव बड़ेथी, धरासू, धनपुर, नागनी, फेडी, दिकोलि, नालूपानी के ग्रामिणों को आह्वान करते हैं। 



विद्यालय की विशेषता 
राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय बड़ेथी में तैनात शिक्षिका श्रीमती सुशीला रावत हिन्दी भाषा की जानकर है। वे बच्चे के मनोविज्ञान को पढ़कर उसे भाषा में दक्ष बनाती है। मुरारी राणा सामान्य ज्ञान के विशेषज्ञ अध्यापक हैं, वे अपने अध्यापन का विषय समाज और आसपास की घटनाओं को बनाते हैं, इसके नीमित वे बच्चों को देश व दुनियां से मुखतिब करवाते हैं। डॉ0 मुकेश नौटियाल गणितज्ञ हैं, वे बच्चों को सरल भाषा में गणित पढाते हैं। उनका पठन-पाठन का तरीका भी बडा रोचक है। वे गणित को रोजमर्रा की चीजों से जोड़ते हैं। इसी को माध्यम बनाकर गणित को वे रोचक विषय बना देते हैं। श्रीमती मीना भट्ट अंग्रेजी भाषाविद् हैं। मौजूदा हालात के साथ चलने वाली यानि आधुनिक अंग्रेजी भाषा की जानकर हैं। बोलचाल में अग्रेजी कैसे सरल रूप से बोले। उन्होंने बच्चों के साथ खेल खेल में अग्रेजी सिखाने का नया तरीका इजाद किया हुआ है। श्रीमती बिंदु गुंसाई पडियार भी विज्ञान और क्राफ्ट को कैसे खेल खेल में सीखे और कबाड़ को दैनिक जीवन में कैसे सदुपयोग करें और विद्यालय एवं घर को कैसे सजाएं जैसे विषय की पूर्ण विशेषज्ञ हैं। यही वजह है कि इस विद्यालय के बच्चों की कुशलता आईना की तरह साफ दिखाई दे रही है। हालांकि बड़ेथी (उत्तरकाशी) का यह सरकारी प्राथमिक विद्यालय है। यहां कमोबेश लड़के और लड़कियों की संख्या समान है। लड़के और लड़कियां का एक साथ मिलकर बैठना ही अच्छा संकेत माना जाता है।