ग्राम टोली सुन्दर गाँव

ग्राम टोली सुन्दर गाँव


अन्जू सगोई


मेरे गाँव, टोली सुन्दर गाँव, की महिलाओं का बहुत विकास हुआ है। कुछ साल पहले जब मैं बच्ची ही थी तो गाँव में हम सभी यूँ ही इधर-उधर घूमते रहते थे। जब से हमारे गाँव में बालवाड़ी केन्द्र खुला तो बच्चे नयी-नयी आदतें और व्यवहार सीखने लगे। वे अनेक प्रकार के गीत-खेल सीखते थे। महिलायें संगठन की बैठकों में हिस्सा लेतीं और सामूहिक विकास के लिए कार्य करती थीं। संगठनों की बैठकों में भाग लेते हुए महिलाओं ने सार्वजनिक क्षेत्र में बोलना सीखाविकास के मुद्दों पर विचार प्रकट करने लगीं। गढ़वाली बोली के साथ ही हिंदी भाषा के अनेक शब्द और छोटे-छोटे वाक्य बोलने लगीं।


अब गाँव की स्थिति बहुत सुविधा–जनक है। पहले गाँव में विवाद होने के कारण महिलाओं का संगठन नहीं बन पा रहा थाफिर भी गाँव में थोड़ा-बहुत मेलजोल था। अब सभी लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करते हैं। हमारे गाँव में जो व्यक्ति गलत काम करता है उससे दंड लिया जाता हैइस तरह, जमा हो रहे धन से ग्रामवासी गाँव की पंचायत के लिए बर्तन, बाल्टी, गिलास, कटोरियाँ इत्यादि सामान खरीदते हैं। गाँव में अब अच्छा विकास हो रहा हैइससे सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों से बातचीत करने में मदद मिली। साथ ही, संगठन की सदस्याएं पंचायतों में भाग लेने लगी हैं।


अब गाँव की स्थिति बहुत सुविधा–जनक है। पहले गाँव में विवाद होने के कारण महिलाओं का संगठन नहीं बन पा रहा था। फिर भी गाँव में थोड़ा-बहुत मेलजोल था। अब सभी लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करते हैं। हमारे गाँव में जो व्यक्ति गलत काम करता है उससे दंड लिया जाता हैइस तरह, जमा हो रहे धन से ग्रामवासी गाँव की पंचायत के लिए बर्तन, बाल्टी, गिलास, कटोरियाँ इत्यादि सामान खरीदते हैं। गाँव में अब अच्छा विकास हो रहा है।


बालवाड़ी से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता हैंउन्हें रोज बालवाड़ी जाने की आदत हो जाती है। बाद में वे रोज विद्यालय जाने लगते हैं। बालवाड़ी में शिक्षण के बाद जब बच्चे विद्यालय में जाते हैं तो वे पहले से ही बहुत सी गतिविधियाँ सीख चुके होते हैं। इस वजह से उन्हें विद्यालय की पढ़ाई करने में कठिनाई का अनुभव नहीं होता। बालवाड़ी से निकलकर विद्यालयों में जा रहे बच्चे खेल-गीत, नाटक-कविता आदि गतिविधियों में भी आगे रहते हैं।