'आज के उद्यमीय संदर्भों में उपयोगी पुस्तक'

||'आज के उद्यमीय संदर्भों में उपयोगी पुस्तक'||


कल की पोस्ट 'महान अन्वेषक अमर सिंह रावत के अमर प्रयास' पर सैंकडों सकारात्मक प्रतिक्रिया के साथ मिञों का उत्साह, सुझाव और सहयोग ने अचंभित सा किया. विभिन्न माध्यमों से मुझे लगातार संदेश मिल रहे हैं। इस पोस्ट ने मेरे फेसबुक खजाने में कई नये युवा दोस्तों को शामिल कर दिया. उनके संदेशों से लगा कुछ सार्थक पहल हुयी. सीरौं गांव के अजेय उद्यमी अमर सिंह रावतजी के अदभुत कार्यों को आज की पीढ़ी नये संदर्भों में साकार करेगी, एेसा सबका दिल कहता है. और ये बात सबको पता है कि दिल कभी भी झूठ नहीं बोलता है, विशेषकर युवा मन. अत: सबका धन्यवाद और शुभकामनायें।


अमर सिंह रावतजी ने अपनी खोजों को व्यवहारिक रूप देने के साथ उन्हें लिपिबद्ध भी किया. विभिन्न उत्पादों के निर्माण की तकनीकी एवं फार्मूलों को उल्लेखित करते हुए सन् 1940 में 'पर्वतीय प्रदेशों में औद्योगिक क्रान्ति' पुस्तक तैयार की. पर जीते जी उसे प्रकाशित नहीं कर पाये. अमर सिंह जी की मृत्यु के बाद उनके परम मिञ, राजनेता और गढ़वाल सांसद भक्त दर्शनजी ने सन् 1983 में उक्त पुस्तक को प्रकाशित किया.


यह पुस्तक भक्त दर्शन जी ने अपने प्रभाव/प्रयास से सभी उत्तराखंड के सभी विकासखण्डों और राजकीय पुस्तकालयों में इस आशय से भिजवायी थी कि स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों से नवीन स्व:रोजगार के अवसर विकसित करने में अमर सिंहजी प्रयास विकासकर्मियों के काम आ सके. पर 'देवो! क्य ब्यन तब' विगत 36 वर्षों में किसी सरकारी एवं गैर सरकारी नुमाइंदे ने इस पुस्तक को देखा भी हो.


हमारी वर्तमान सरकार ने कहा कि वो चीड़, कंडाली/सिसौंण, रामबांस आदि से कागज एवं कपडे बनाने की तकनीकी विकसित कर रही है, जिसमें प्रारंभिक सफलता भी मिली है.


हुजूर ! आज से 90 वर्ष पूर्व हमारे अमर सिंह रावतजी जैसे पुरखे चीड़, भांग, कंडाली, रामबांस आदि के साथ सभी प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग की आधारभूत तकनीकी ईजाद, अजमाकर और इस्तेमाल कर गये हैं. उन्होने व्यावसायिक उत्पादन भी किया। उनके अनुभव व ज्ञान‌ की ओर भी ध्यान दें और आगे बढें.


कई मित्रों और शुभचितंकों ने अमर सिंह रावतजी के कार्यों पर शंका जाहिर करते हुए प्रमाणिक श्रोत्र जानना चाहा है। उनके सुलभ अवलोकनार्थ निम्न संदर्भ दे रहा हूं।
1. मेरी खोज और अनुभव- अमर सिंह रावत
साप्ताहिक कर्मभूमि, लैंसडौन, 1 अप्रैल, 1940
2. पर्वतीय प्रदेशों में औद्योगिक क्रांति-
लेखक अमर सिंह रावत (सन् 1940)
संपादन- भक्त दर्शन
प्रथम संस्करण-1983
3. गढ़वाल की दिवंगत विभूतियां
संपादक- भक्त दर्शन, पृष्ठ- 397-401
4. पिरूल की जैकेट, पृष्ठ-27, प्रेरक प्रसंग भाग-2 कक्षा-7 के लिए हिंदी की सहायक पाठ्यपुस्तक 2010-11, एससीईआरटी, उत्तराखंड।


फोटो सौजन्य- जयप्रकाश रावत


अरुण कुकसाल
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