अब कुमाऊं में भी मशरूम गर्ल्स 


|| अब कुमाऊं में भी मशरूम गर्ल्स|| 


देहरादून की दिव्या रावत के बाद हल्द्वानी की दो युवतियों ने मशरूम उत्पादन की दिशा में कदम बढ़ाया है। एमएससी बायोटेक की पढ़ाई करने वाली दोनों युवतियों ने रोजगार की आश में महानगरों का रुख करने वाले युवाओं को आईना दिखाने का काम किया है। खास बात ये है कि दोनों किसान की बेटियां हैं। हल्द्वानी आनंदपुर की दीपिका बिष्ट (23) और मदनपुर गौलापार की श्वेता जोशी (23) ने स्वरोजगार की दिशा में अहम कदम बढ़ाया है। दोनों ने हल्द्वानी से 12 किमी दूर मदनपुर गांव में मशरूम प्लांट शुरू किया है। मशरूम उत्पादन की शुरुआत बटन प्रजाति से हुई है। स्कूल में पढ़ाने के बाद दोनों प्लांट में मशरूम उत्पादन का काम देखती है। छुट्टी का दिन प्लांट में बीतता है। मशरूम की पहली खेप बाजार में आने के लिए तैयार है। 


देहरादून से लिया प्रशिक्षण
एमएससी की पढ़ाई करने के बाद दीपिका व श्वेता ने टैगजीन ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून से एक माह का मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया। इस दौरान मशरूम की उपयोगिता, उत्पादन, देखरेख आदि की बारीकी सीखी।


परिवार ने दिया साथ, बढ़ाया हौसला 
श्वेता का भाई सीए की पढ़ाई कर रहे और बहन बीकॉम की शिक्षा ले रही है। दीपिका के भाई एमकॉम कर रहे हैं। श्वेता के पिता भुवन चंद्र जोशी, दीपिका के पिता हरीश सिंह बिष्ट व परिवार के अन्य सदस्यों ने दोनों का हौसला बढ़ाया। दून अल्पाइन कॉलेज के डॉ. कार्तिक उनियाल, उत्तम कुमार ने भी प्रेरित किया।


छह साल पहले शुरू हुई दोस्ती 
हल्द्वानी एमबीपीजी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई करने के दौरान छह साल पहले दोनों की दोस्ती हुई। बाद में देहरादून अल्पाइन इंस्टीट्यूट से एमएससी बायोटेक किया। 


खुद के पैसे से शुरू किया प्लांट
दीपिका ग्रीनवुड ग्लोबल स्कूल व श्वेता वेंडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाती हैं। स्कूल से मिलने वाली राशि से दोनों ने प्लांट शुरू किया। 20 फिट गुणा 17 फिट का प्लांट के लिए 50 हजार रुपये निवेश किया। लोहे के एंगल में बांस, सुतली, पॉलीथिन आदि से प्लांट का आकार दिया।


खरीदारी को घर पर आ रहे लोग 
मशरूम की विधिवत बिक्री शुरू नहीं हुई है, लेकिन खरीदारी के लिए रिश्तेदार व परिचित प्लांट पर आने लगे हैं। प्रचार के लिए दोनों ने सोशल मीडिया को माध्यम बनाया है। होटल, रेस्टोरेंट संचालकों से भी संपर्क कर रही हैं। 


इस तहत व्यवस्थित किया तापमान 
प्लांट के ऊपर प्लास्टिक की पन्नी डाली है। पन्नी ठंडी रहे इसके लिए बाहर से पुराने बोरे लगाए हैं। बोरों पर पानी का छिड़का जाता है। इससे प्लास्टिक ठंडी रहती है व भीतर का तापमान बाहर की अपेक्षा कम रहता है।