अब तक 60 रूपय का भी निवेश नहीं

|| अब तक 60 रूपय का भी निवेश नहीं|| 



- इन्वेस्टर समिट में हुऐ थे लगभग 60 हजार करोड़ के एमओयू हस्ताक्षर


- उतराखण्ड पहाड़ में जो लोग फुड/फ्रुट प्रोसेसिंग के काम में लगे हैं उन्हे कोई भी बैंक कर्ज देने के लिए तैयार नहीं है।



उत्तराखण्ड राज्य बनने के 18 साल बाद यह पहला मौका था जहां देश के नामचीन उद्योगपती जुटे। खूब स्वागत हुआ, खूब मेहमान नवाजी हुई। प्रधानमंन्त्री भी मौजूद रहे। जिसे इन्वेस्टर समिट का नाम दिया गया। अखबारो में विज्ञापन छपवाये गये। इस समिट के बाद लोगो की नजरे टिकी हुई है कि ये उद्योग जगत के लोग प्रधानमंत्री के कहने पर कम से कम राज्य में विकास की गंगा बहायेंगे। दो माह से लोग सचिवालय और उद्योग से जुड़े अफसरानों के सम्पर्क में है कि कब कुछ होने वाला है। पर कुछ सार्थकता लोगो को नजर नहीं आ रही है।


उल्लेखनीय हो कि उत्तराखण्ड में जमीन की कमी की वजह से भारी उद्योग यहां स्थापित करना मुश्किल होगा। यहां सूक्ष्म एवं लघुउद्योग धन्धो को विकसित किया जा सकता है। जिसके लिए राज्य के सभी बैंको को सरकार विश्वास में ले सकती है। चूंकि ऐसा 18 बरस में दिखाई नहीं दिया। हुआ उसका उल्टा। की देश के नामचीन उद्योगपतियों को राजधानी देहरादून में एकत्रित करके सिर्फ एमओयू हस्ताक्षर करवाये गये। उदाहरण स्वरूप सीमान्त जनपद के दूरस्थ गांव हिमरोल के भरत सिंह राणा खुद की जमीन पर फुड/फ्रुट प्रोसेसिंग के काम को बढाना चाहता है। वे पांच वर्षो से लगातार बैंको के चक्कर काट रहे है कि उन्हे इस युनिट के लिए सिर्फ व सिर्फ मशिनों बावत कर्ज की जरूरत है। अन्य जरूरतें वे खुद के संसाधनों से पूर्ण करेंगे। ऐसे राज्य में सैकड़ो लोग हैं जो सूक्ष्म उद्योग की स्थापना करने से चूक रहे हैं। यहां दिलचस्प है कि राज्य के प्रगतिशील लोगो के लिए ना तो कोई सिंगल बिंडो है और ना ही सर्वाधिक बिंडो है। कुलमिलाकार जितनी भी बिंडो है वे देश के नामचीन उद्योगपतियों के लिए है जो यहां सिर्फ एमओयू हस्ताक्षर करने आये है। और कुछ होने वाला नहीं है। यह उद्गार उतराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह, उतराखण्ड क्रांतीदल के पुष्पेश पन्त, राजनीतिक कार्यकर्ता भागर्व चन्दोला, वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत के हैं। वे कहते हैं कि होना ऐसा चाहिए था कि जो लोग राज्य में इस दिशा में पूर्व से ही कुछ कर गुजरने की लालसा रखे हैं ऐसे प्रगतिशील लोगो के लिए सरकार सुविधा मुहैया कराये। जो पिछले 18 वर्षो से हुआ नहीं है।


सिर्फ एमओयू हस्ताक्षर


मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपस्थिति में एरोमा के क्षेत्र में उत्पादन के लिए कुल 630 करोड़ रूपए के एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। उन्होंने एरोमा पार्क पॉलिसी भी लागू कर दी है। इससे पहले सरकार ने एक एमओयू मैसर्स इसेंसियल ऑयल एसोशियेशन ऑफ इंडिया के साथ किया। इस हेतु कैप के निदेशक डॉ. नृपेंद्र चैहान व मैसर्स इसेंसियल ऑयल एसोशियेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ए.के.जैन ने हस्ताक्षर किए। इसके अलावा फर्म भी लगभग 500 करोड़ रूपए का निवेश उत्तराखण्ड में करेगी। इससे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 11 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। एरोमेटिक उत्पादन से सगंध तेल का आसवन व निष्कर्षण किया जाएगा। फर्म इत्र व फ्लेवर का निर्माण, धूप व अगरबत्ती निर्माण, परफ्यूम व डियोड्रेंट, विभिन्न एरोमा उत्पादों की डिजाइन व पैकेजिंग, फ्लेवर्ड चाय, एरोमा मोमबत्ती, हैंडमेड साबुन, एरोमा थेरेपी आदि का उत्पादन करेगी। सुगंध व्यापार संघ ने भी 50 करोड़ रूपए के निवेश का प्रस्ताव किया। मैसर्स रूसान फार्मा लिमिटेड भी प्रदेश में 80 करोड़ का निवेश करेगी। पर्यटन के क्षेत्र में 13328 करोड़ रुपए के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए।


कृषि व होल्टिकल्चर के क्षेत्र में 4834 करोड का एमओयू साइन हुआ। जिसे 1325 करोड का एरोमा सेक्टर आगर्निक खेती, 1309 करोड व 2200 करोड हाल्टिकलचर के क्षेत्र में इन्वेस्ट किया जायेगा। रसना द्वारा भी 500 करोड का निवेश राज्य में किया जायेगा। फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में काम करेगा। चाय उद्योग के लिए अर्जेटिना हर्बल निवेश करना चाहता है। आयुर्वेद के क्षेत्र में भी तीन हजार करोड़ का एमओयू हस्ताक्षर हो चुका है। इस तरह लगभग 60 हजार करोड़ से भी अधिक के हस्ताक्षर देश के नामचीन उद्योगपतियों और उत्तराखण्ड सरकार के बीच हो चुके हैं।


सरकारी आश्वासन


इन्वेस्टर्स समिट में विभिन्न उद्यमियों व व्यापारिक संगठनों से मिले सुझावों के अनुसार सरकार ने दस नीतियां बनाई है। निवेश के अनुकूल प्राविधान किए गए, मध्यम व लघु व्यवसायियों को विषेश सहूलियतें होगी, जीएसटी में छोटे व्यापारियों का विशेष ध्यान रखा जायेगा। 20 लाख तक के टर्नओवर के उद्यमों को जीएसटी के अन्तर्गत छूट प्रदान की जायेगी। एम.एस.एम.ई. के उद्योग सहित अन्य बडे व छोटे उद्योग भी स्थापित है। यदि उद्यमी पिथौरागढ़, चम्पावत, चमोली, उत्तरकाशी व हिमालय से लगे हुए क्षेत्रों में उद्यम स्थापित करते है, तो भूमि खरीद में स्टाॅम्प शुल्क में भी सब्सिडी दी जायेगी।


इस सबंध में वित्त मंत्री प्रकाश पन्त का कहना है कि प्रदेश में प्रतिवर्ष 800 किलोमीटर सड़क का निर्माण होता है। कर्णप्रयाग-ऋषिकेश रेल लाईन का कार्य भी गतिमान है। आॅल वेदर रोड का कार्य भी तेज गति से किया जा रहा है। स्टार्ट-अप शुरू करने वाले सामान्य युवाओं को एक साल तक प्रतिमाह 10 हजार रूपये जबकि पहाड के युवाओं के साथ ही महिलाओं, एस.सी., एस.टी को प्रतिमाह 15 हजार मिलेंगे। स्टार्ट-अप के तहत स्थापित हुए उद्योगों को एसजीएसटी में तीन साल तक छूट मिलेगी।


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मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निवेशकों को संबोधित करते  हुए कहा कि राज्य में औद्योगिक तथा पर्यटन  संरचनाओं के विकास से स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन होगा। उन्होंने कहा कि पलायन की समस्या से निजात पाने में यह इन्वेस्टमेंट सम्मिट  मील का पत्थर साबित होगा।



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राज्य मंत्री श्रीमती रेखा आर्या कहती है कि पशुपालन के माध्यम से जैविक खेती संभव है। उन्नतशील नस्ल के पशुओं हेतु प्रदेश में सीमेन लैब बनाई जा रही है। वैसे राज्य में महिलाएं भी आधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हुए मुर्गी पालन, डेयरी, मत्स्य पालन, मशरूम आदि क्षेत्रों में आगे आईं है।


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तत्कालीन वित्त मंत्री प्रकाश पंत के अनुसार राज्य में कुशल मानव संसाधन, सस्ती बिजली व कानून व्यवस्था है। उद्योग के क्षेत्र में राज्य से बेहतर वातावरण देश में किसी अन्य राज्य में नही मिलेगा। राज्य सरकार द्वारा कौशल विकास के क्षेत्र में 13800 बच्चों को प्रशिक्षित किया है। इस वर्ष एक लाख बच्चों को प्रशिक्षित कर स्किल करने का लक्ष्य रखा है। पूंजी निवेश के माध्यम से एम.एस.एम.ई. को और बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर पैदा करना है। उत्तराखण्ड में 300 हेक्टेयर भूमि में चाय की खेती की जा रही है। जिसे आगामी वर्षो में 1300 हेक्टेयर किया जायेगा। वर्तमान में 1 लाख एकड़ में आर्गेनिक खेती की जा रही है। अगले वर्ष तक इसे बढ़ाकर 3 लाख एकड़ में किया जायेगा।