दहेज
घर–घरों मां फैली दहेज की महामारी ,
दूर भगौला हम यो बुरी बीमारी ।
दहेज नी ल्यौण मिन बोल्याली,
दहेज नी द्यौण तुम सुणयाला।
बेटी से बडु दहेज क्या हवन्दू ,
सोनू ना चाँदी, धन ना दौलत।
धन-दौलत चार दिन की चाँदनी छन,
चार दिन बीति फिर अंधेरी रात छन ।।
बेटी ते तुम बोझ ना समझाया,
या त साक्षात् लक्ष्मी रूप छैन ।।
मैत्यों का बाना बेटी का मन मा,
माया कु भण्डार सदैव रेना।।
करवी दहेज का बाना, बेटी फंस खादी,
करवी जुल्म देखी, ब्वारी आग लगान्दी ।।
सैती पाली नौनी बिराणी हवैन,
दहेज का खातिर जान गवैन ।
दहेज से कतिगा घटना द्वेणी छन,
या बीमारी तेजी से बढ़णी छन।
अगने बढ़ला नया समाज बणौला ,
दहेज प्रथा जड़ से मिटौला।
दहेज नहीं ल्यौण मिन बोल्याली,
दहेज नी द्यौण तुम सुणयाला ।