दन्यां क्षेत्र का साक्षरता कार्यक्रम

दन्यां क्षेत्र का साक्षरता कार्यक्रम


उत्तराखण्ड महिला परिषद्, अल्मोड़ा के सहयोग से संस्था द्वारा दन्यां क्षेत्र के आठ गाँवों में साक्षरता कार्यक्रम चलाया गया। इसमें लगभग आठ गाँवों की 185 महिलाओं को पूर्णतया साक्षर और शिक्षित करने का कार्य हुआ। कार्यक्रम की शुरूआत में संस्था के कार्यकर्ताओं ने आसपास के सभी गाँवों में जाकर गोष्ठियाँ की। महिलाओं व पुरूषों के विचार लिये । गाँवों में पुरूषों ने भी सहयोग दिया, महिलाओं का हौसला बढ़ाया समस्त ग्रामवासियों ने साक्षरता केन्द्र खोलने के लिए सहमति दी।


गाँवों से केन्द्रों का संचालन करने के लिए चुनी गयी बहनें उत्तराखण्ड महिला परिषद्, अल्मोड़ा में गईं। वहाँ छ: दिवसीय प्रशिक्षण हुआ। इस प्रशिक्षण में मार्गदर्शिकाओं और संचालिकाओं ने भाग लिया। उत्तराखण्ड महिला परिषद् ने काफी मेहनत से महिला साक्षरता और शिक्षण का पाठ्यक्रम बनाया है। सभी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण लेने के बाद कार्यकर्त्ता गाँवों में वापस आये। सभी केन्द्रों में उद्घाटन हुआ। उद्घाटन के कार्यक्रमों में ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, पंच, संगठन की अध्यक्षाएं, संस्था के प्रतिनिधि एवं उत्तराखण्ड महिला परिषद् के कार्यकर्त्ता सम्मिलित हुए। उत्साह के साथ महिला साक्षरता एवं शिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ ।महिलाओं ने प्रार्थनाएं एवं स्वागत गीत गाये गाँव में बच्चे कहने लगे कि अब तो उनकी माँ-चाची भी स्कूल जाने लगी हैं।


धीरे-धीरे महिलायें साक्षरता केन्द्रों में आने लगीं। शुरूआत में उन्हें पेसिल पकड़ना नहीं आया। वे उल्टा "अ' बनाती थी। चित्रांकन में सभी महिलाओं की खूब रूचि थी। अपने पसन्द के चित्र बनाती थीं। इस से पेंसिल और कलम पकड़ने का अभ्यास हुआ। साक्षरता केन्द्र खुलने का समय दोपहर में दो से पाँच बजे तक थामहिलायें घर का सभी काम निपटाने के बाद केन्द्र में आतीं। फिर अपनी-अपनी कापियाँ ढूँढती।


गौली गाँव की पचहत्तर वर्ष की एक महिला को इस कार्यक्रम में बहुत रूचि थी। वह काफी सुन्दर चित्र बनाती। फिर गाँव में और संस्था के कार्यकर्ताओं को दिखाती अपना नाम लिखती, फिर खूब हँसती वह कहती कि हमारे लिये केन्द्र बना है। हमें पढ़ना-लिखना सीखना है। उसे हर दिन केन्द्र में आता हुआ देखकर अन्य महिलायें भी आ जातीं। महिलाओं को साक्षरता पाठ्यक्रम में भाग-एक, भाग-दो, भाग-तीन की किताबों से काफी नयी जानकारियाँ हुईं। इन किताबों में पंचायत, मनरेगा, सूचना का अधिकार, जॉब-कार्ड, राशन कार्ड, पेंशन, बैंक में खाता खोलने सम्बन्धी काफी जानकारियाँ हैं।


केन्द्र में कुछ साक्षर महिलायें भी आती थीं। वे किताबों से किसी एक अध्याय को पढ़कर सभी महिलाओं को सुनाती । केन्द्र में उपस्थित अन्य सभी महिलायें ध्यान से सुनती और उसके बाद पढ़े गये अध्याय पर चर्चा करती। इन किताबों से महिलाओं ने बैंक का फार्म भरना, पैसा निकालने एवं जमा करने हेतु जानकारी ली। राशनकार्ड में हर माह का राशन चढ़ा है या नहीं, यह देखना सीख गयीं। पेंशन–सम्बन्धी कागज बनाना सीखा। बैंक और पोस्ट ऑफिस में जाकर खाते में पेंशन आई है या नहीं, इसकी जानकारी लेने लगी। महिला साक्षरता एवं शिक्षण कार्यक्रम का मतलब केवल महिलाओं को साक्षर करना नहीं है बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। इस पाठ्यक्रम से पढ़ाई के साथ-साथ महिलाओं का सामाजिक शिक्षण भी हुआ है।


महिलायें गोष्ठियों में अपने गाँव और संगठन के बारे में चर्चा करती हैं। मंच पर जाकर नाटकों के माध्यम से क्षेत्र की समस्याएं बताती हैं। भाषण देती हैं। महिलाओं में काफी आत्मविश्वास आया है। उन्हें अक्षर-बोध भी हो गया है कुछ महिलायें कहानी की किताबें पढ़ती हैं। साथ ही, उन्हें आवेदन-पत्र लिखने की जानकारी हुई है। गाँव की कुछ महिलायें शिक्षा-समिति व स्वास्थ्य-समिति की गोष्ठियों में जाती हैं। वे पहले अंगूठे का निशान लगाती थीं लेकिन अब हस्ताक्षर करने लगी हैं। यह सब साक्षरता-कार्यक्रम की देन और महिलाओं की स्वयं की मेहनत और लगन से संभव हुआ हैउत्तराखण्ड महिला परिषद् के सहयोग से यह कार्यक्रम दन्यां क्षेत्र में तीन साल तक चला। इस कार्यक्रम से महिलाओं में स्वयं की शिक्षा के प्रति काफी जागरूकता आई।


आज के बदलते परिवेश में शिक्षित होना जरूरी है। दन्यां के आसपास हर गाँव में महिला संगठन बने हैं। महिलायें माह में एक बार गोष्ठी करती हैं। कोष में रूपया जमा करती हैं। कुछ पूँजी इकट्ठा हो जाने के बाद गाँव की जरूरत का सामान खरीदती हैं। कोष से आन्तरिक ऋण लेती हैं और बाद में ब्याज सहित पैसा लौटा देती हैं। महिला संगठनों की सदस्याओं को समय-समय पर उत्तराखण्ड महिला परिषद द्वारा आयोजित गोष्ठियों में अल्मोडा बुलाया जाता है। जहाँ पर उन्हें नई-नई जानकारियाँ मिलती हैंइस तरह संगठन अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो रहे हैं । भविष्य में भी उत्तराखण्ड महिला परिषद् के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं।