घर पर मनाये मौण

यह उतराखण्ड में यमुना नदी के आर-पार बसे समुदाय जौनसार, रवांई और जौनपुरी भाषा के लोक गीत है। जिसे पाठको तक पंहुचाने के लिए गीत और भावार्थ सहित हिन्दी रूपान्तर किया गया है।


||घर पर मनाये मौण||


गुडो साथे बले विजुडी सेरीया
थईयू साथे घणों ऐ थईयू साथे घणों
घणों सेरीया घईयू साथे घणों ऐ.।......2 
जाया नू जातेरू सैरीया घरे बाजेदीया मौणों ऐ
घरे बाजेदीया मौणों सैरीया घरें बाजेदीया मोणों ऐ.....2 
ओ शीडीया सैरीन्दी सैरीया घणी फूलोली आरू ऐ
घणी फूलोली आरू सैरीया घणी फूलोली आरू ऐ.....2 
टो सुनाणु रूपाणु री सैरीया माणशू की मारू ऐ
माणशू की मारू सैरीया माणशू री मारू ऐ....2 
ओ ढेको गोटो बले ताऊके सैरीया 
ढेका काईना मानीए ढेको काईना मानी सैरीया
ढेको काईना मानी ऐ.....2 
ओ बेनावडे धारान्दा सेरीया बातों बहोला हुरू
बातों बहोला हुरू सेरीया बातों बहोला हुरू.....2
ओ जुदा नाचों बले सैरीया बाँका
जुदा बागाकं रा फुरू ऐ 
जुदा बागोंरा फुरू सैरीया जुदा बागोरा फुरू ऐं......2
ओ गुडु साथे बले बिजेडी सेरीया
धयँू साथे घणों ऐ धयँू ू साथे घणों
घणों सेरीया घईयू साथे घणों ऐ.।......
जाया नू जातेरू सैरीया घरे बाजेदीया मौणों ऐ
घरे बाजेदीया मौणों सैरीया घरें बाजेदीया मोणों ऐ.....2


हिन्दी रूपान्तर
सेरीया मेरे गांवों के, मेरे संग तूने रहना है
मेरे संग तूने रहना सेरीया, मेरे संग तूने -2
नहीं जायेंगे मौण मेले में, यहीं रहेंगे संग संग
यहीं रहेंगे संग संग सेरीया, यही रहेंगे संग संग।।
अच्छा नहीं होता सेरीया वाद-विवाद का राग, वाद विवाद -2
सुनाणू रापाणू के बहाने, अच्छे-बुरे का क्या भाग, अच्छे बुरे -2
मौसम की करबट सेरीया, मौसम की करबट, सेरीया मौसम -2
घर पर मनाये मौण, सेरीया नहीं दौड़ना सरपट, नही दौड़ना सरपट सेरीय -2


भावार्थ 
यह मौण मेले का एक क्रूर अंश है। मौण मेला यानि मछली मारने का मेला। जो यमुनाघाटी के जनजातिय क्षेत्र में मनाया जाता है। इस मेले में उन दिनों झगड़े बहुत हुआ करते थे। सेरीया नाम के युवा को उनके परिवार वाले समझा रहे हैं, साथ ही गांव के सुनाणू-रूपाणू के परिवार वाले भी समझा रहे हैं कि मत जा मौण मेले में, कोई जरूरी नहीं है। वे घर-पर ही मौण मेले का आयोजन कर देंगे। क्योंकि मौण मेले के झगड़े में पुरानी रंजिश इतनी बढ जाती थी कि कुनबे के कुनबे मर मिटने को तैयार हो जाते थे। इस परिस्थिति पर यह लोक गीत है, जिसे रासो नृत्य कहते है।