ग्राम ग्वाड़

ग्राम ग्वाड़


मेरे गाँव, ग्वाड़, का महिला संगठन बहुत पुराना है। गाँव के सभी निवासी मिलजुल कार्य करते हैं तथा दुःख-सुख में एक-दूसरे का साथ देते हैं। महिलाओ का मुख्य कार्य गाय-भैंस पालन तथा खेती-बाड़ी है। इस गाँव में पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इस वजह से लोग सब्जी का उत्पादन करते हैं तथा बाजार पर कम निर्भर रहते हैं।


ग्रामवासी शिक्षा के प्रति बहुत जागरुक हैं। ग्वाड़ गाँव, जिला चमोली, में तीन विद्यालय हैं। सन् 2014 मे हाई-स्कूल से इन्टर कॉलेज का उच्चीकरण हुआ। पहले बच्चे पढ़ने के लिए दूर जाते थे लेकिन अब गाँव में विद्यालय होने से सुविधा हुई है।


महिलायें दिन भर घर और खेती के काम-काज में व्यस्त रहती हैं। जंगल से घास लाना होता हैसर्दियों के मौसम में महिलायें रात के तीन बजे घास काटने ऊँचे जंगलों में जाती हैं।


अंधेरा होने की वजह से जंगल में मुँह से टार्च पकड़ कर घास काटती हैं। जिस परिवार में महिला अकेली होती है।  वह ढंग से समयानुसार अपने बच्चों को खाना भी नहीं खिला पाती। घास की समस्या का असर है, कि माँ को बच्चों की देखभाल का समय भी मुश्किल से मिलता है। 


वैसे तो गाँव में खेती अच्छी होती है। लेकिन अब जंगली जानवरों का आतंक होने से बदलाव आया है। लोगों ने आधी से ज्यादा जमीन बंजर कर दी है। जमीन के बंजर होने का मुख्य कारण है जंगलों का दोहन और क्षेत्र से शहरों की ओर पलायन लोगों ने जंगलो का नाश किया । वहाँ पर अवैध कब्जा कर लिया, इससे जंगली जानवर मानव बस्ती की तरफ आ रहे हैं। जंगलों से सटे हुए खेत बंजर हो गये हैं। इन खेतों मे घास भी नही होती। घास को भी बारहसिंगा खा लेते है। इसकी शिकायत वन-पंचायत में की गयी लेकिन कोई हल नहीं निकला।


यदि गंभीरता से सोचा जाए तो समझ में आता है कि खेती में हो रहे नुकसान के मूल में मानव की ही गलती है। यदि मनुष्य जंगलों को बेतरतीबी से नहीं काटता तो शायद जंगली जानवर खेतों की ओर नहीं आतेमानव ने उनके घरों को उजाड़ दिया, अब वे मानव के घरों को उजाड़ रहे हैं। इसके अलावा, ग्रामवासी सड़कों की ओर पलायन कर रहे हैं। वे सुविधा वाले स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। इससे नुकसान यह है कि जिस भूमि पर उत्पादन हो रहा था वहाँ मकान बना दिया। इससे अनाज की पैदावार प्रभावित हुई है। कम पैदावार होने से भी लोग शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं।


मेरे गाँव मे किशोरियों की संख्या किशोरों से अधिक है। लड़कियों को उच्च शिक्षा दी जाती है। उन की शादी अठारह वर्ष के बाद ही होती है। गाँव के लोग सभी सामाजिक कार्यों जैसे-शादी, चूडाकर्म-संस्कार, नामकरण, गृह-स्थापन आदि मिलजुल कर करते हैं। सबसे ज्यादा योगदान परिवार की महिलायें देती हैं। साथ ही, महिलायें मिलजुल कर सामुहिक हित के कार्य करती हैं। जैसे-रास्तों को साफ करना गाँव मे जब कोई पंचायती कार्य होते हैं तो लोग संगठन के माध्यम से कार्यों को पूरा करते हैं। 


ग्वाड़ गाँव में लोग एक-दूसरे की मदद करते हैं। जैसे-गाँव में एक गरीब परिवार है। उस परिवार में माता-पिता और दो बच्चे हैंएक बार, अचानक दोनों बच्चे बीमार हो गये। दोनों की रीढ़ की हड्डी में दर्द हो गया। दोनों भाई-बहन लगभग दो महीने तक बिस्तर पर लेटे रहे। पिताजी की आमदनी इतनी नहीं थी कि वे उनका इलाज करवा सकें। तब ग्रामवासियों ने अपनी-अपनी इच्छा से और सामर्थ्य के अनुसार उनके इलाज के लिए धन जमा किया। साथ ही, आस-पास के विद्यालयों और गाँवों से धन इकट्ठा करके बच्चों के इलाज में मदद की । आज वे दोनों भाई-बहन स्वस्थ हैं। इस तरह दुःख–कष्ट एवं गरीबी की स्थिति में सभी ग्रामवासी आपस में सहयोग करते हैं। एक-दूसरे की मदद धन से तो होती है, परस्पर मन का सहयोग और प्रेम भी जरूरी हैइसी प्रेम और भाई-बिरादरी की भावना से गाँव का जीवन चलता है। वर्ना गाँव और शहर में फर्क ही क्या रहेगा?