ग्राम स्वराज्य की कल्पना को साकार किया सावित्री देवी ने

||ग्राम स्वराज्य की कल्पना को साकार किया सावित्री देवी ने||



ये कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीन ब्लाॅक के सतगढ़ ग्राम पंचायत की प्रधान जिसने अपने दम पर पूरे गांव की तस्वीर ही बदल डाली। हर घर डेयरी व्यवसाय से जुड़ा है। जागरूकता का यह आलम है कि गंदगी देखते ही पूरा गांव सफाई में जुट जाता है। गांव में ऐसा कोई घर नहीं जिसमें शौचालय न हो। शिक्षा में भी आगे है। यही वजह है कि दूसरों के लिए मिसाल बने इस गांव को राज्य के पहले राष्ट्रीय गौरव ग्राम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।


टनकपुर-तवाघाट हाइवे से लगे सतगढ़ गांव में कुछ दशकों पूर्व तक जंगली घास बखौल से कागज बनाया जाता था। उस समय इस कागज का जन्म कुंडली से लेकर हुंडी बनाने में भी इस्तेमाल होता था। इस कागज की स्थानीय स्तर पर खासी मांग रहती थी। सतगढ़ में हुए कार्यों का विकास खंड में उदाहरण दिया जाता है। पहाड़ में जहां अन्यत्र दुग्ध का अभाव है।


वहीं सतगढ़ में महिला डेयरी के माध्यम से दूध बिकने के लिए पिथौरागढ़, डीडीहाट, ओगला, कनालीछीना, नारायणगढ़ तक पहुंच रहा है। गौरव ग्राम सभा पुरस्कार के लिए सरकार की तरफ से तय मापदंडों पर गांव खरा उतरा। इन्हीं खूबियों के चलते केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने सतगढ़ ग्राम पंचायत का चयन किया। आदर्श ग्राम बनाने में वर्तमान प्रधान सावित्री देवी की भूमिका अहम रही है। राष्ट्रीय पंचायत दिवस पर नई दिल्ली में केंद्रीय पंचायती राज मंत्री चैधरी विरेंद्र सिंह ने सतगढ़ की ग्राम प्रधान सावित्री कापड़ी को सम्मान पत्र और दस लाख रूपये के चेक से सम्मानित किया।


ग्राम प्रधान कापड़ी का कहना है कि गांववासियों के सहयोग और कार्यों से ही गांव को यह सम्मान मिला है। राष्ट्रीय गौरव ग्रांम सभा पुरस्कार मिलने से गांव ही नहीं अपितु पूरे जिले का गौरव बढ़ा है। इसी के साथ गांव में कुछ नया करने के लिए भी हौसला बढ़ा है।