हाथी सजाओ

यह उतराखण्ड में यमुना नदी के आर-पार बसे समुदाय जौनसार, रवांई और जौनपुरी भाषा के लोक गीत है। जिसे पाठको तक पंहुचाने के लिए गीत और भावार्थ सहित हिन्दी रूपान्तर किया गया है।


||हाथी सजाओ||


हाथी कथूके रूशों हाथी मातों, हाथी कथूके .......2
हाथी मनाई लैवणों हाथी मातों, हाथी मनाई लैवणों ......2
ओ तुजा खाती राजा हाथी मातों, हाथी मनाई लेवणों हाथी मातों ....2
हाथी कथूके रूशों हाथी मातों ...2
हाथी मनाई लैवणों हाथी मातों.।......2
दुपे ना धुनयारे हाथी मातों, हाथी मनाई लेवणों हाथी मातों............2
हाथी कथूके रूशों  हाथी मातों....2
हाथी पईराई करों हाथी मातों, हाथी पईराई करों हाथी मातों ..........2
हाथी पाणी पिवाणों हाथी मातों, हाथी पाणी पिवाणों हाथी मातों ..........2
हाथी कथूके रूशों हाथी मातों .......2
हाथी पाणी पीआई कैई हाथी मातों, हाथी कथूके रूशों हाथी मातों ..........2


हिन्दी रूपान्तर
हाथी सजाओ, भाई बहनो, नाराज मत करना भाई बहनों -2
हाथी अर्जुन की सवारी भाई बहनों, नाराज मत करना भाई बहनों -2
हाथी को पानी पिलाओ भाई बहनों, हाथी को सजाओं भाई बहनों -2
नाराज मत करना भाई बहनों, मना मना करके ले आना भाई बहनों -2
हाथी सजाओ, भाई बहनो, नाराज मत करना भाई बहनों -2
श्रृंगार करके भाई बहनों, हाथी को खूब सजाओं भाई बहनों -2


भावार्थ
जौनसार-बावर, रवांई-जौनपुर जनजातिय क्षेत्र में साल में एक बार गांव गांव पाण्डव नृत्य का आयोजन होता है। इस नृत्य में हाथी काल्पनिक बनाया जाता है। कहीं काष्ट का हाथी तो कहीं कुछ लोग मिलकर हाथी की आकृति में आते है। इस दौरान अर्जुन को इस काल्पनिक हाथी के ऊपर चढाया जाता है और अर्जुन के वेश में जो व्यक्ति होता है वह अर्जुन की धनुष विद्या की नकल के करतब करता है। इसे देखने गांव गांव में लोग तमाशबीन हो जाते है। अर्थात कह सकते हैं कि पाण्डव की स्मृति में यह दृश्य ग्रामीणो द्वारा इजाद किया जाता है। यह गीत सिर्फ व सिर्फ पाण्डव नृत्य के दौरान ही यहां गाया जाता है। की हाथी को सजाओ, हाथी को नाराज मत होने देना, हाथी को पानी पिलाओं, हाथी पर अर्जुन बैठेगा बगैरह।