जलग्रहण विकास में सफलता के प्रपत्र

जलग्रहण विकास में सफलता के प्रपत्र


सन्दर्भ - वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा राजस्थान


                पिछली इकाई में हमने अध्ययन किया है कि जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रमों से किस प्रकार सफलता के आँकड़े रिकार्ड किये जाते हैं एवं उनका विश्लेषण किया जाता है। जलग्रहण परियोजना का कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व यह आवश्यक है कि चयनित क्षेत्र की वर्तमान स्थिति का डाटा एकत्रित किया जावे एवं उसे विधिवत रूप से रजिस्टर्स में रिकार्ड किया जावें। परियोजना समाप्ति के उपरान्त मध्यवर्ती मूल्यांकन के समय उक्त बैचमार्क, डेटा तुलना करने के उद्देश्य से बहुउपयोगी सिद्ध होते हैं। प्रायः जिस प्रकार के डेटा प्रमुख रूप से रिकार्ड किये जाते हैं, वे निम्न प्रकार हैं-



  • जलग्रहण क्षेत्र में आने वाली विभिन्न प्रकार की भूमि का वर्गीकरण एवं क्षेत्रफल।

  • वर्तमान में उत्पादन की जा रही फसलें, प्रजातियाँ/कुल जोत क्षेत्र, प्रति इकाई उत्पादन एवं कुल उत्पादन।

  • वर्षा सम्बन्धी आॅकडे, कुएँ नलकूपों की संख्या एवं वर्तमान जल स्तर, सिंचाई के साधन, तकनीकी ज्ञान का स्तर, कृषि यन्त्रों का प्रयोग, उन्नत कृषि विधियों का प्रयोग।

  • परिवारों की सामाजिक आर्थिक स्थिति, प्रति परिवार आय, शैक्षणिक स्तर, स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या, पशुओं की प्रजाति एवं जनसंख्या, रोजगार के साधन, अन्यत्र पलायन की स्थिति, लघु एवं कुटीर उद्योगों की व्यवस्था, विपणन व्यवस्थाएं, सहाकारी व्यवस्थाएं, बैंक/डाकघर/चिकित्सालय एवं स्कूलों की स्थिति, चारागाह भूमि की उपलब्धता उपयोग एवं उत्पादन इत्यादि।


                इस अध्याय में यह प्रयास किया गया है कि प्रत्येक जलग्रहण क्षेत्र में कृषक परिवार को ध्यानं में रखते हुए उन्हें दी जा रही सुविधाओं का तथा होने वाले लाभों का विस्तृत रिकार्ड संधारित किया जावें, जिससे कि सफलता का प्रबोधन किया जा सके।


5.2          कृषक डायरी एवं लाभार्थियों के लिए सूचक पत्र


                5.2.1      कृषक डायरी


                यह देखा गया है कि वर्तमान में जलग्रहण परियोजना से प्रत्येक कृषक परिवार को दिये जाने वाले लाभों का विस्तृत विवरण प्रत्येक जलग्रहण क्षेत्र में संधारित नहीं किया जाता है। आने वाले समय में यह आवश्यक होगा कि प्रत्येक परिवार को आधार मानकर समस्त प्रकार के रिकार्ड, जिसमें उस परिवार के दी गई सुविधाओं का विस्तार से वर्णन हो, संधारित किया जावे।


                जलग्रहण विकास परियोजना में कृषकों/लाभार्थियों द्वारा मूल्यांकन हेतु प्रावधान किया गया है। किसी विशिष्ट किसान के लिए कृषक पासबुक संधारित करने का प्रावधान किया जा सकता है, जिसे कि कृषक डायरी का नाम दिया जा सकता है। इसके अतिरिक्त भूमिहीन मजदूरों के लिये लाभार्थी सूचक पत्र की व्यवस्था की गई है। उक्त पासबुक तथा सूचक पत्र में किसी विशिष्ट लाभार्थी को दी जाने वाली समस्त सहायता का विवरण अंकित किया जाता है। इन अभिलेखों से निरीक्षण करने वाले अधिकारियों के लिये कार्यक्रम के मूल्यांकन में सहायता मिल सकती है।


                इस पासबुक तथा सूत्रक पत्रों को राज्य स्तर/जिला स्तर पर मुद्रित करा कर लघु जलग्रहण में रहने वाले किसानों में वितरित किया जा सकता है। जलग्रहण विकास परियोजना में समस्त गाँव को लघु जलग्रहण की एक इकाई के रूप में माना जा सकता है।


                कृषक डायरी में किसान का एक फोटो, जिसे कि किसान द्वारा ही उपलब्ध कराया जाये, भी होगा। इसको पोलीथीन के आवरण से ढका जा सकता है जिससे कि इसको धूल, नमी एवं अन्य इसी प्रकार के अन्य कारणों से होने वाली क्षति से बचाया जा सके।


                कृषक डायरी एक भलीभांति तैयार किया गया दस्तावेज है, जिससे कई उद्देश्यों की पूर्ति होती है-



  • बैच मार्क (आधारभूत) सूचनाओं का स्त्रोत।

  • जलग्रहण विकास परियोजना के अंतर्गत क्रियान्वित कार्यक्रमों से संबंधित अभिलेखों एवं कृषक स्तर पर प्रगति अभिलेख।

  • जलग्रहण विकास दल के निरीक्षण के समय अनुश्रवण में सुविधा तथा समय-समय पर परिवर्तन/सुधार के लिए स्त्रोत।

  • कृषकों के लिये उनके स्तर पर अनुश्रवण का स्त्रोत।

  • कृषक स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों के अन्तर्गत आ रही कठिनाइयों की जानकारी ताकि उन पर विचार कर उन्हें सुधारा जा सके तथा संबंधित विभागों के कार्य निष्पादन का मूल्यांकन किया जा सके।

  • मूल्यांकन हेतु सूचनाओं का स्त्रोत।

  • कृषकों में जागरूकता उत्पन्न करने हेतु महत्वपूर्ण अभिलेख।

  • कृषक डायरी में प्रविष्टि जलग्रहण विकास टीम के अध्यक्ष, कार्यक्रम की कार्यान्विति कर रही एजेन्सी तथा कार्यक्रम का निरीक्षण करने वाले अधिकारियों द्वारा डायरी के उपयुक्त पृष्ठ में की जाये। ऐसी किसी प्रविष्टि को करने से पूर्व इसके बारे में किसानों को जानकारी देनी होगी। इसी प्रकार निरीक्षण कर रहे अधिकारियों द्वारा भी डायरी की विषय सूची के बारे में चर्चा करनी होगी तथा उन्हें यह भी देखना होगा कि इस डायरी में अद्यतन प्रविष्टियाँ की जा रही है अथवा नहीं और साथ ही वे इसमें अंकित प्रविष्टियों का सत्यापन क्षेत्र में किये गये कार्यो से कर सकते हैं।


                यहाँ यह ध्यान रखना आवश्यक होगा कि इस पासबुक को रखने के उद्देश्य की प्राप्ति तब तक नहीं होगी जब तक कि इसमें अद्यतन प्रविष्टियाँ लाभार्थियों की जानकारी के अनुसार नहीं की जाये।


                5.2.2 लाभार्थी सूचक पत्र


                लघु जलग्रहण में रहने वाले भूमिहीन मजदूरों के लिये लाभार्थी सूचक पत्र उपलब्ध कराया जाये। यह लघु जलग्रहण में रहने वाले इन व्यक्तियों के लिये दिये गये लाभों के बारे में मूल्यांकन पत्र का कार्य करेगा। इस पत्र को किसी मोटे कागज पर दोनों ओर मुद्रित कराया जा सकता है। जब कभी भी भूमिहीन लाभार्थी बारानी क्षेत्रों की राष्ट्रीय जलग्रहण विकास परियोजना से मजदूरी, रोजगार या अन्य कोई लाभ प्राप्त करता है तो इसकी प्रविष्टि इस सूचक पत्र में की जायेगी। इस पत्र में अंकित प्रविष्टियों को समय-समय पर समीक्षा करने से लोगों के रहन-सहन में हुए बदलाव के बारे में जानकारी मिल सकेगी।