जिला पंचायत सदस्य बनने का सफर

जिला पंचायत सदस्य बनने का सफर


गायत्री नेगी


मेरा विवाह सन् 1999 में हुआ। उस समय मेरी उम्र अठारह वर्ष की थी। पुडियाणी गाँव में बहू के रूप में आई तो कुछ दिनों तक माहौल अपरिचित सा लगा। धीरे-धीरे गाँव के सभी निवासियों से मिलने-जुलने लगी। गोष्ठियों में भाग लेने लगी। हर महीने की एक तारीख को महिला संगठन की बैठक होती थी। मैं अपनी बात को रखने में हिचकिचाती थी। फिर सोचा कि अगर अपनी बातें न कह सकूँ तो गोष्ठी में आना व्यर्थ है।


कुछ समय बाद साहस करके महिला संगठन की एक गोष्ठी के दौरान गाँव में साफ-सफाई की बात अध्यक्षा से कही। उन्होंने मेरी बात मान ली । उस दिन से पुडियाणी गाँव में हमेशा शादी-ब्याह में सफाई होती है। उस समय संगठन की अध्यक्षा श्रीमती उषा देवी थीं। 2007 में उन्होंने अध्यक्षा पद से इस्तीफा दे दिया । उसके बाद महिलाओं ने एक बैठक की और उनका इस्तीफा मंजूर किया । मुझे अध्यक्षा के रूप में मनोनीत किया। हमने श्रीमती उषा देवी को अध्यक्षा पद से विदाई दी। मैं एक साल तक अध्यक्षा के पद पर काम करती रही।


सन् 2008 में क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए महिला सीट आई । मैंने सभी महिलाओं से राय ली।  ग्रामवासियों ने सहयोग देने का आश्वासन दिया। जब मैं टिकट लेने गई तो संगठन की दो सदस्याएं मेरे साथ आई। हमने नामांकन किया। उसके बाद महिलाओं के साथ मैं ग्राम सभा कुकड़ई, कोली आदि क्षेत्रों में प्रचार करने के लिए गई। इसी तरह, एक दिन सभी शुभचिंतकों की कोशिशों से कामयाबी प्राप्त की। क्षेत्र पंचायत सदस्य बन जाने से काफी खुशी हुईडरती थी कि मैं तीन ग्राम सभाओं का कार्य–भार कैसे संभाल सकूँगी। हिम्मत जुटा कर धीरे-धीरे अपने कार्य-क्षेत्र की ग्राम सभाओं की समस्याओं को देखकर विकास के कार्यों की शुरूआत की। तमाम रास्ते, प्रतिक्षालय, खेल-कूद का मैदान, शौचालय आदि बनवाये ।


पुडियाणी गाँव की महिलाओं ने हजारों वृक्षों का एक जंगल पाल रखा है। उस जंगल को पत्रकारों के माध्यम से आगे लाई, ताकि अन्य गाँवों की महिलायें भी इस से प्रेरणा ले कर अच्छा, घना जंगल बनायेंइसी तरह, पंचायतों के माध्यम से पाँच साल तक विकास के कार्य किये । सन् 2013 में क्षेत्र पंचायत का कार्यकाल खत्म हुआ।  2014 में जिला पंचायत की महिला सीट आई। क्षेत्र के निवासियों ने मुझसे पुनः टिकट लेने को कहा। मैं जिला पंचायत सदस्य के उम्मीदवार के रूप में टिकट ले आई। समस्त क्षेत्रवासियों ने मेरे साथ काफी मेहनत की,हम चौंतीस ग्राम सभाओं में वोट माँगने गये। मेरे गाँव और आसपास के महिला संगठनों की सदस्याओं ने कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग दिया। सत्ताइस जून 2014 को क्षेत्रीय जनता के पूर्ण सहयोग से पुनः विजयी हुई । आज मुझे गर्व है कि क्षेत्र की जनता ने मुझे जिले तक पहुँचाया चौंतीस ग्राम सभाओं के विकास की जिम्मेदारी मुझे दी


मैं क्षेत्र की समस्त जनता को विश्वास दिलाना चाहती हूँ कि उन्होंने एक महिला को जो जिम्मेदारी दे रखी है, वह उसे अच्छे ढंग से निभायेगी। मैं उत्तराखण्ड महिला परिषद्, अल्मोड़ा का तहे दिल से आभार व्यक्त करती हूँ। परिषद् ने ग्रामीण महिलाओं को आगे लाने का प्रयास किया। अपनी बात रखने का मौका दिया। इसी वजह से ग्रामीण महिलायें पंचायतों में भाग लेने का साहस जुटा पायी हैं। पचास प्रतिशत आरक्षण का भरपूर फायदा ले रही हैं। मेरा सभी महिलाओं से अनुरोध है कि हम मिलकर समस्याओं को दूर करने का प्रयास करें। सभी के साथ मिलकर अत्याचारों का मुकाबला करें, यही मेरा संघर्ष है, यही लक्ष्य है।