कालड़ी से केदार - एक महत्वपूर्ण दस्तावेज

||कालड़ी से केदार - एक महत्वपूर्ण दस्तावेज||


वरिष्ठ साहित्यकार श्री मुकेश नौटियाल की नवीनतम कृति "कालड़ी से केदार" इतिहास, समसामयिकी तथा संस्कृति पर आधारित एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है।


22 अध्यायों से सजी इस पुस्तक की खास बात यह है कि इसमें वर्णित अधिकांश तथ्यों को लेखक ने अपनी अनौपचारिक शोध यात्राओं के माध्यम से प्राप्त अनुभवों और जानकारियों के आधार पर उद्धृत किया है। तथ्यों की प्रामाणिकता की पुष्टि हेतु लेखक द्वारा केदार घाटी(उत्तराखंड) से कालड़ी(केरल) तक की यात्रा करना इस बात का द्योतक है कि पुस्तक में प्रत्येक तथ्य को कसौटी पर भलीभाँति कसा गया है, यही कारण है कि पुस्तक को पूर्णता प्रदान करने में लेखक को 6 वर्ष का समय लगा है।
पुस्तक में संकलित प्रत्येक आलेख अत्यंत रोचक, ज्ञानवर्धक और विचारों को उद्दीपित करने वाला है। वर्तनी आदि की आंशिक त्रुटियों को यदि छोड़ दिया जाय तो पुस्तक की भाषा शैली बहुत ही सरल, रोचक और प्रभावी है।


आद्य गुरु शंकराचार्य की केरल से केदार की यात्रा को विभिन्न सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, आध्यात्मिक तथा समसामयिक घटनाओं से जोड़ते हुए लेखक ने अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर पाठकों के लिए एक सूक्ष्म लेकिन अति महत्वपूर्ण और उपयोगी ज्ञानकोश तैयार किया है।


अमेज़न पर उपलब्ध समय साक्ष्य द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक (मूल्य मात्र ₹150) के


21 वें आलेख में लेखक ने 'शंकर' के मूल प्रदेश 'केरल' में वर्तमान शिक्षा व्यवस्था को भी अपनी यात्रा के अनुभवों के आधार पर वर्णित किया है। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर लेखक के द्वारा उद्धृत तथ्यों का एक अंश आप सभी पाठकों की विचारोत्तेजना हेतु प्रस्तुत है---