कोटी गांव में बस्टाड़ी पन्यारा

||कोटी गांव में बस्टाड़ी पन्यारा||


कोटी गांव में बस्टाड़ी नामे तोक में पानी के धारे को नकासीदार पत्थरों से बनाया गया है। अब इसका भी सौन्दर्यकरण किया गया, किन्तु मुखनाम धारा बचा हुआ है।


जनश्रुती है कि इस धारे के पास वनदेविया आती थी। जो नृत्य व स्नान इसी धारे पर किया करती थी। इसी गांव में एक रावत विरादरी का व्यक्ति था, जो बड़ा बलशाली एंव सुन्दर था। उस व्यक्ति ने इस धारे को जन साधारण के लिए खोल दिया। परन्तु वनदेवियों को यह नागवार गुजरा कि यह जलधारा जनसाधारण के लिए क्यों खोला गया। जिसका खामियाजा उक्त रावत नाम के व्यक्ति को वनदेवियों के कारण मृत्युदण्ड के रूप में प्राप्त हुआ। मगर उक्त रावत नाम के व्यक्ति की किवंदतियां उसके पांच मजिला भवन में अवस्थित है।


लोग उक्त रावत नाम के व्यक्तित्व को वर्तमान में ''देवता'' के रूप में समय-समय पर पूजते हैं। आज भी इस क्षेत्र में जब वनदेवियों की पूजा होती है तो पहले ''रावत देवता'' की पूजा होती है तत्पश्चात अन्य पूजा-पाठ प्रत्येक वर्ष वसन्तऋतु के आगमन में बस्टाड़ी पन्यारा के पास होती ही है।