कृषि से समृद्धि

कृषि से समृद्धि


विनीता भट्ट


परिवर्तन सृष्टि का नियम है। आदि मानव से आधुनिक मानव, बैलगाड़ी से वायुयान, कलम और तख्ती से कम्प्यूटर और लैपटॉप तक के सफर ने हमारी जीवन-शैली को बदल दिया है। इस परिवर्तन के मूल में विज्ञान की शक्ति है। विज्ञान ने मनुष्य को प्रौद्योगिकी की ओर मोड़ा है, इसलिए आज हम कल्पना को यथार्थ के धरातल पर खड़ा पाते हैं। मनुष्य अपनी रोजमर्रा की जरूरतों की पूर्ति के लिए विज्ञान का ऋणी है। विज्ञान से हर क्षेत्र में उन्नति हुई है ऐसा ही एक क्षेत्र है, कृषि ।


आजादी के बाद देश की बागडोर जब अंग्रेजों के हाथों से निकल कर भारतीयों के पास पहुंची तो उस वक्त देश की अर्थव्यवस्था मजबूत करना एक बड़ी चुनौती थी। इसके लिए शिक्षा व अनुसंधान के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी व्यापक प्रयास किये गये। कृषि अर्थव्यवस्था का आधार है, इसलिए खेती की उन्नति के लिए अनेक योजनाएं बनायी गयीं। आज देश ने कृषि के क्षेत्र में बहुत प्रगति की है। देश के किसान जागरूक हुए हैं। अब वे वर्षा के लिए घंटो हाथ जोड़ कर मेघों के सामने चिरौरी नहीं करते। सिंचाई के उन्नत साधन मौजूद हैं। शिक्षा के प्रकाश से किसानों के जीवन में समृद्धि का प्रकाश फैला है। वे उन्नत फसल हेतु सुझाव व जानकारी टेलीफोन के जरिये प्राप्त कर सकते हैं।


खेती के लिए आवश्यक उर्वरक बाजार से अच्छे दामों में खरीद सकते हैं,वे उन्नत फसलों के उत्पादन के लिए पारंपरिक साधनों पर निर्भर नहीं रहते । आज विदेशों से लाए गए फलों, जैसे कीवी, की खेती देश के कई पहाड़ी और ठंडे इलाकों में की जाती है। 1200 से 2000 मीटर तक की ऊँचाई में होने वाले इस फल में हम समृद्ध भविष्य की कल्पना करते हैंआडु, प्लम, नाशपाती, सेब, खुबानी, अखरोट आदि तरह-तरह के फलों की खेती पहाड़ों में होती हैमाटी को खोदने से उसमें जो बीज पनपता है, वह कृषकों के परिश्रम की गाथा कहता है। छोटे-छोटे फलों से लदे पेड़ों, खेतों में लहलहाती फसलों और खिले हुए छोटे-छोटे फूलों को देख कर हृदय आनन्द से भर जाता है।धरती माता को नमन कर उठता है।धरा की सुन्दरता को खेतों में महसूस किया जा सकता है।


आज बागवानी से उन्नत परिणाम प्राप्त करने के बाद किसान आय को एकाश्रित न करते हुए मत्स्य पालन, मधुमक्खी-पालन, पशुपालन, फूलों की खेती आदि से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। यह देश के उज्जवल भविष्य के प्रति शुभ संकेत है। हमें अपने समृद्ध होते भाग्य की अवमानना नहीं करनी चाहिए यदि कर्म साथ न हो तो भाग्य का एक पहिया पकड़ कर हम जीवन की गाड़ी नहीं दौड़ा सकते । यदि मनुष्य आलस्य की व्याधि का शिकार हो कर परिश्रम की औषधि से दूर भागता है तो वह रोगी बनता जाता है, स्वस्थ नहीं रह सकता। परिश्रम सफलता की कुंजी है। यदि मनुष्य को जीवन में सफलता के परचम फहराने हैं तो उसे परिश्रम करना ही होगा। मनुष्य एक रचनात्मक प्राणी है। सफल मनुष्य की पहचान सकारात्मक रचना है। मनुष्य को कृषि का क्षेत्र रचनात्मक कार्य के लिए एक बहुत बड़ा मंच प्रदान करता हैआधुनिक काल में यदि मनुष्य परिश्रम करता हुआ अपनी संपूर्ण प्रतिभा का उपयोग करे तो उसे सफलता प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता। 


कृषि जैसे क्षेत्र में सफलता पाने के लिए अत्यधिक मेहनत की आवश्यकता है। कृषि में जरूरतों के साथ-साथ पर्यावरण की उपयोगिता का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। इस के लिए वनों का संरक्षण करना जरूरी है । वृक्षों का कटान कम हो, लुप्त होते जंगलों में वृक्षारोपण हो तो कृषि की दशा भी सुधरेगी। बहुमूल्य वृक्षों में कल्पवृक्ष कहे जाने वाले बाँज के पेड़ों का रोपण होना जरूरी हैबाँज के पेड़ पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं बाँज के जंगलों से जमीन नम बनी रहती है। इसकी लकड़ी कृषि के लिए उपकरण बनाने तथा पत्तियाँ पशुओं के लिए चारे के रूप में प्रयोग होती हैं। यह एक बहुपयोगी पेड़ है बाँज के वृक्षारोपण से पर्यावरण तथा मानव सुरक्षित रहेंगे।


ग्रामवासियों को अपने आस-पास का वातावरण साफ-सुथरा रखना चाहिए। खाना बनाने के लिए प्रयोग की जाने वाली लकड़ी के स्थान पर बायोगैस या सूर्य के ताप का प्रयोग किया जा सकता है। वर्षा के जल को संरक्षित करके सिंचाई के लिए प्रयोग में लाने से खेतों में उत्पादन बढ़ेगा और गाँवों में समृद्धि आयेगी।उपरोक्त बातों को ध्यान में रखने से कृषि के स्वर्णिम काल को प्राप्त करने से हमें कोई नहीं रोक सकता आज भी हमारी देश की अर्थव्यवस्था का एक बहुत बड़ा भाग कृषि पर आश्रित है। यदि देश के किसानों की आय का जरिया मजबूत होगा तो अर्थव्यवस्था के उन्नत होने में कोई संदेह नहीं है।