कुछ कहना है
मुझे भी कुछ कहना है,
कुछ बातें हैं करनी बाकी
कहूं किससे, किसे बताऊँ,
नहीं कुछ कह पाती।।
मन में कुछ डर सा छाया,
मोहमाया ने डेरा जमाया।
लेकिन कब तक चुप रहूँ मैं?
अब मुझे भी सुनेगें,
कुछ मेरी भी कहेंगे।
अब ये ना सोचू करना क्या है?
बस ये सोचूं क्या कर पाऊँ।
ये ना सोचूँ राह कहाँ है,
बस ये सोचूँ पार है जाना।