क्या लोकतंत्र में कुर्सी का ही किस्सा है


||क्या लोकतंत्र में कुर्सी का ही किस्सा है||


त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2019 की अंतिम पारी भी अपनी अवधी पूरी करके अगले पांच वर्ष के लिए विकास के खाका खींचने को तैयार हैं। अर्थात कल जो चुनाव था आज वह सत्ता में तब्दिल हो गया है। वनस्पत की कल जो वादे थे अब उन्हें निभाने का वक्त भी उनके सामने खडा है। देखना यह है कि विकास की गेंद को ये जिम्मेदार जनप्रतिनिधि कैसे खेलते हैं।


सीमान्त जिले उत्तरकाशी में चर्चा गरम हो गई है। होटल, ढाबो, खोमचो में लोग यही बतिया रहे हैं कि अगले पांच वर्ष विकास की गति के लिए क्या स्वर्णीम होगा, बैगरह! कुछ झोलाछाप राजनीतिक कार्यकर्ता भौहें खड़ी करके एक दूसरे को सुना रहे हैं कि राजनीति का सच्चा सिफाई वही है जो राजनैतिक मर्यादाओं और सत्ता के सकारत्मक मूल्यों के प्रति सवेदनशील दिखाई देगा। विश्वास को लोकहीत में प्रोत्साहित कर सामाजिक व नैतिक एवं व्यवहारिक मापदडं के प्रति अपनी भूमिका निभाते हुए दिखाई देगें। अन्यथा सत्ता आती है, जाती है, लेकिन मूल्य मूल्य ही रह जाते है।


राजननीतिक पंडितो का कहना है कि जनपद उत्तरकाशी में एक और नई सुबह की शुरुआत हो चुकी है। इस मायने में कि जनपद की कमान एक ऐसे युवा के हाथ सौंपी गई जिसके माथे पर लगातार संघर्ष की राह दिखती है। हर नागरिक को विकास से कैसे जोड़ा जाये, यह वह युवा पिछले पांच वर्ष जिला पंचायत सदस्य रहकर अपने क्षेत्र में कर चुका है। अब उनके हिस्से पूरा जनपद है। जिसका विकास वह किस हद तक ले जायेगा यह समय की गर्त में है। 


कुलमिलाकर दीपक बिजल्वाण के जिला पंचायत अध्यक्ष बनने पर जनपद उत्तरकाशी के युवाओं में एक प्रकार उत्साह भी दिखाई दे रहा है। खास बात यह है कि जनपद उत्तरकाशी के कुल 25 में से 15 सदस्य युवा जीतकर आये है। तात्पर्य यह है कि उत्तरकाशी में अब राजनैतिक समीकरण यानि जोड़-तोड़ की गणित से राहत की सांस ले रहा है और आगे के क्रियाकलाफों पर अपना ध्यान आकर्षित कर रहा है। अतएव जिला पंचायत उतरकाशी के अध्यक्ष के तौर पर दीपक विजल्वाण से लोगों की उम्मीद और बढ गई है।