महिला संगठनों का पुस्तकालय में सहयोग

महिला संगठनों का पुस्तकालय में सहयोग


 जायसी नेगी


पुस्तकालय केन्द्र शिक्षा काएक अनिवार्य हिस्सा बन गया है। गाँव में पुस्तकालय होने से बच्चों के चेहरे पर एक विशेष खुशी नजर आती है। शायद इसकी वजह उनका बढ़ता हुआ आत्मविश्वास है। पुस्तकालय के माध्यम से बच्चों को विद्यालय से हटकर एक नया वातावरण तथा कुछ अलग सीखने-समझने का मौका मिल रहा है। वे बिना रोक-टोक के अपनी इच्छा के अनुरूप कार्य करते हैं। इससे बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। कहानियाँ पढ़ने व लिखने के साथ ही बच्चे गणित सीखने के लिए डाइस ब्लॉक तथा जोडो-ज्ञान के अन्तर्गत विभिन्न गतिविधियों का उच्चतम उपयोग करते हैं।


पढ़ने के साथ-साथ सभी बच्चे खेलों में रूचि रखते हैं। पुस्तकालय की शुरूआत के समय कुछ किशोरियाँ खेलों में भाग नहीं लेती थीहमने धीरे-धीरे उन्हें भी सभी खेलों में शामिल किया, उनकी झिझक दूर हुई और अब सभी बच्चे मिलजुलकर एक साथ खेलते हैं।केन्द्र की शुरूआत के समय महिलायें पुस्तकालय में नहीं आती थी। इस समस्या को हल करने के लिए संगठन की मासिक गोष्ठी में पुस्तकालय की जानकारी दी गयी । उन्हें पुस्तकालय में आने के लिए प्रेरित किया। शुरूआत में कभी दो तो कभी तीन महिलायें आती। धीरे-धीरे आपस में चर्चाएं होने लगीं। कार्यक्रम में महिलाओं की रूचि बढ़ीसाथ ही, गाँव में साक्षरता एवं शिक्षण केन्द्र खुला तो महिलाओं ने पढ़ना-लिखना सीखा।इस का लाभ पुस्तकालय को भी मिला।


आज अधिक से अधिक महिलायें, खासकर युवा बहुएं, पढ़ने के लिए आती हैं तथा किताबें घर भी ले जाती हैं। वर्ष 2014 में शेप संस्था बधाणी द्वारा जूनियर हाईस्कूल पुडियानी में पुस्तक मेले का आयोजन किया गया। मेले में गाँव की सभी महिलायें उपस्थित थीं। बच्चों के उत्साहवर्धन के लिए महिलाओं ने एक सामूहिक लोक-गीत भी प्रस्तुत किया। मुझे बच्चों के साथ पढ़ना व खेलना बहुत अच्छा लगता है। बच्चों के साथ काम करने का ऐसा सुनहरा अवसर मिला, जिससे मैं बहुत खुश हूँ। मैंने अपने आप में बदलाव महसूस किया है। साथ ही, मुझे महिलाओं के साथ मिलकर रहना तथा गोष्ठी एवं सम्मेलनों में भाग लेना काफी पसंद है। आखिर हमारा जीवन हमारे हाथों में है। हम उसे जैसा बनाना चाहें, बना सकते हैं। इसी तरह, गाँव की उन्नति की कुंजी महिला संगठन के हाथों में है। महिला संगठनों के कार्यों से गाँव समाज एकजुट होता है और उन्नत भी।