मैट्रो सीटी में ही क्यों? अब नौगांव में भी मिलेगी वही शिक्षा

||मैट्रो सीटी में ही क्यों? अब नौगांव में भी मिलेगी वही शिक्षा||



यमुना घाटी राज्य का एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां पलायन नाम की कोई चीज नहीं है। इसलिए इस घाटी की राज्य में अलग ही पहचान है। अब एक और प्रयोग कर डाला शशीमोहन रावत ने। की जो स्कूलिंग मैट्रो सीटी में मिलती है, क्या? यह यमुना घाटी के सूदूर नौगांव में नही मिल सकती? जी! हो सकती है। यह झलकियां तब सामने आई जब पिछले दिनों ''यमुना वैली पब्लिक स्कूल'' का वार्षिक उत्सव सम्पन्न हुआ।


इस दौरान वरिष्ठ साहित्कार डा॰ हेमचन्द सकलानी, राज्य के चर्चित रंगकर्मी नन्दलाल भारती, वरिष्ठ राजनीतिक व चिन्तक सकलचन्द रावत, व्यापारी नेता जगदीश असवाल, लेखक इन्द्र सिंह नेगी, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक अतर सिंह पंवार, रिवर्स पलायन का चर्चित चेहरा रमेश सेमवाल तो वही मौजूदा जिला पंचायत उत्तरकाशी की अध्यक्षा जशोदा राणा, पूर्व जिला पंचायत सदस्य सोबेन्द्र सिंह रावत, छात्र नेता नीतिन रमोला स्कूल परिवार अभिभावक संघ के अध्यक्ष शिक्षक भजन सिंह पंवार व क्षेत्र पंचायत सदस्य केदार सिंह चैहान, यशवन्त रावत, राष्ट्रीय स्वयं सेवक के वरिष्ट प्रचारक श्री बिजल्वाण, श्री सेमवाल एक साथ इस स्कूल की प्रंशसा करने में पीछे नहीं दिखे।


ज्ञात हो कि यमुना वैली पब्लिक स्कूल जहां अपने शिक्षण कार्य से अन्य विद्यालयों के जैसे अध्यापन का कार्य कर रही है उससे हटकर इस विद्यालय के प्रयोग ''नई शिक्षा पद्धति'' के अनुकूल सामने दिखी। बच्चो में इस दौरान उत्साह ही नहीं था वे विश्वास से इतने लबरेज थे कि उनकी प्रस्तुति ही स्कूल का भविष्य दिखा रहा था। विद्यालय की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए विद्यालय के प्रबन्धक शशीमोहन रावत ने जो अपने वक्तव्य में बताया कि वे बच्चों के साथ सिर्फ सीखाने का कार्य नहीं करते, अपितु वे तो सीखने व सीखाने का दोनो कार्य करते हैं। इस कारण बच्चों की दक्षता को अच्छी तरह से समझने का मौका मिलता है। वे परिसर में कम्प्यूटर शिक्षा, गणित हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान के साथ-साथ परिवेशीय शिक्षा के लिए भी विशेष सत्र चलाते है।


उनका मानना है कि इस विद्यालय के बच्चे जहां भाषाई ज्ञान से शिक्षित हों वहीं वे आज की आधुनिक शिक्षा से भी जुड़ सके। इसलिए उन्होने विद्यालय के सभी दस्तावेज आॅनलाईन करने के प्रयास कर दिये हैं। की अमुक का बच्चा स्कूल कब आया, कब गया, और स्कूल में अमुक बच्चे की प्रस्तुति व प्रगति कैसी है, इसकी सूचना सीधी अभिभावक के मोबाईल में एक मैसेज के मार्फत प्रतिदिन मिल जायेगी। यही नहीं उन्होने बताया कि वे स्कूल में अध्यापको से लेकर बच्चों के साथ किताबों से बाहर के अनुभव के शिक्षण-प्रशिक्षण का कार्य समय-समय पर करते रहते हैं। कहा कि अब समय आ गया कि रटने से नहीं बल्कि ''करके सीखने'' से बच्चो के विकास में नये प्रयोग होंगे।


दिलचस्प यह है कि आम तौर पर स्कूलो के वार्षिक उत्सवों में रंगारंग कार्यक्रम और स्कूल की प्रगति के अलावा कुछ विशेष प्रस्तुति दिखने को नहीं मिलती। परन्तु यमुना वैली पब्लिक स्कूल के बच्चो ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में समाज के लिए एक संन्देश देने का काम किया। ''बेटी बचाओ-बेटी पढाओ'' की नृत्य नाटिका में बच्चो की मार्मिक प्रस्तुति ने एक बारगी के लिए मौजूद लोगो को सोचने के लिए विवश कर दिया। यही नहीं समाज के लिए एक सवाल खड़ा किया कि क्या बिना महिला के नये समाज की रचना की जा सकती है? इस प्रस्तुति को देखते ही देखते दर्शको की आंखे भर आई।



कुलमिलाकर यमुना पब्लिक स्कूल ने यह सन्देश दे दिया कि जिस तरह से यमुना घाटी में पलायन नहीं है उसी तरह आने वाले दिनों में लोग शिक्षा के लिए कमसे कम यमुना घाटी से पलायन नहीं करेंगे। जबकि इस दौरान सभी वक्ताओं ने स्कूल की प्रधानाचार्य सीमा रावत, तकनीकी शिक्षिका गीता गुसाई और सभी शिक्षको की प्रसंशा इस मायने में की कि संसाधनो के अभाव में भी ऐसे शिक्षको ने शिक्षण कार्य बाध्य नहीं होने दिया। स्कूल की प्रगति और स्कूल परिवार के दृढ संकल्प को देखते हुए जिला पंचायत अध्यक्षा जशोदा राणा ने स्कूल प्रांगण की चार दिवारी के लिए दो लाख भी स्वीकृत किये।