मतदान

मतदान


मतदान का आशय निर्भय होकर अपनी इच्छानुसार मत देना है। देश के हर नागरिक का दायित्व है कि अपनी इच्छानुसार कर्मठ, ईमानदार, साहसी और संघर्षशील प्रत्याशियों का चयन करे आज हमारे देश के लोग मतदान के महत्व को नहीं समझ रहे वे ऐसे प्रत्याशियों को मत दे रहे हैं जो ना तो ईमानदार हैं, ना संघर्षशील और कर्मशील ही हैं। देश के नागरिक धर्म, क्षेत्र और जाति के आधार पर मतदान कर रहे हैं। यह एक अत्यंत चिंताजनक विषय है।


यदि चुनावों में कोई भी प्रत्याशी जनता को शराब, धन अथवा कंबल या अन्य किसी वस्तु का प्रलोभन दे कर मत खरीदने का यत्न करे तो अवश्य ही उसका विरोध करना चाहिए । जनता अपने अमूल्य मत को क्यों बेच रही है? अगर चुनावी प्रक्रिया ही बाधित रही तो देश का विकास कैसे होगा?


चुनावों के बाद नागरिक सरकार को दोषी करार देते हैं लेकिन दोष तो जनता का भी है, जो अपना अमूल्य मत बेच देती है। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। हम लोग स्वयं एक सुव्यवस्थित सरकार का गठन कर सकते हैं यदि अच्छे उम्मीदवारों का चयन करें, मतों का सदुपयोग करें तो निश्चित ही बेहतर व्यवस्था बनेगी। हमें ऐसे व्यक्ति को मत देना है जो सभी को निष्पक्ष भाव से सहयोग दे । “वोट दो उसे जो सब को साथ लेकर चले ।


उम्मीदवारों में कुछ गुण होने चाहिए। जैसे संविधान के अनुसार प्रत्याशी वही बन सकता है जो पागल, दिवालिया व अपराधी ना हो महिला परिषद् ने ये गुण भी जोड़े हैं कि उम्मीदवार संघर्षशील, ईमानदार, कर्मशील और विनम्र हो । मतदाता धर्म, जाति, क्षेत्रवाद से प्रभावित होने के बजाय कुशल, मेहनती उम्मीदवार को प्राथमिकता दें मैं तो यही मानती हूँ कि "सदगुण न हो तो रूप व्यर्थ है, विनम्रता न हो तो विद्या व्यर्थ है। होश न हो तो जोश व्यर्थ है, परोपकार न हो तो जीवन व्यर्थ है।"