नजर अब पहाड़ों पर

❝नजर अब पहाड़ों पर❞
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शहर में कंक्रीट उगाकर नजर पहाड़ों पर है
रिस्पना को नाला बनाकर नजर इन धारों पर है


पाँच सितारा होटल की बंदिसों से जब उब गये
अब नजर मखमली मुलायम इन बुग्यालों पर है


जब सरकारें खुलकर उनके साथ आ चुकी हो
अब उनकी नजर हमारे इन गाँव चौबारों पर है


शहर को हॉर्न की आवाज से बहरा बनाकर
अब नजर इन शांत पड़ी सड़क के किनारों पर है


शहर के जाम में अपनी जवानी खपा दी उन्होंने
अब नजर उनकी उजड़ी पहाड़ की दीवारों पर है


साँस घुटने लगी उनकी शहर की आबो हवा में
अब नजर उनकी पलायन से हुए बिरानो पर है||



प्रदीप सिंह रावत ❝खुदेड़❞