नन्दा राजजात
मैं ईड़ा बधाणी गाँव, जिला चमोली, का निवासी हूँ। पिछले चार वर्षों से गाँव में शेप संस्था द्वारा संचालित पुस्तकालय केन्द्र का संचालन कर रहा हूँ। इस वर्ष, सितंबर 2014 में मेरे गाँव ईड़ा बधाणी में नंदा राजजात का आयोजन हुआ। नन्दा देवी राजजात का प्रथम पड़ाव ईड़ा बधाणी गाँव हैमैं इस आयोजन में स्वेच्छा से सुरक्षा वालंटियर के रूप में काम करता रहा। इस कार्य में जो अनुभव हुआ, उसी की चर्चा इस लेख में करूँगा। मैंने मुख्यतः मंदिर परिसर की सुरक्षा एवं गाँव में भगदड़ की रोकथाम के लिए प्रशासन की मदद का काम किया।
राजजात से पहले ग्रामवासियों ने अपने गाँव के देवी-देवताओं की पूजा की। कर्णप्रयाग के कर्ण मंदिर में पेरूल देवता की मूर्ति स्थापित है। पेरूल देवता राजजात के समय हवा को बहा कर बारिश का रूख मोड़ देते हैं। यह देवालय अलकनंदा और पिण्डर नदी के संगम पर है। ग्रामवासियों ने राजजात की सफलता की कामना से पेरूल देवता की पूजा-अर्चना की। इसके बाद लाटू देवता (बारिश के देवता) की पूजा की। लाटू देवता का मंदिर चौण्डली गाँव के निचले हिस्से और बधाणी गाँव के बीच घने जंगल में स्थित है। नन्दा देवी की पूजा कांसुवा कुबरों के द्वारा की जाती है। पुजारी राजगुरू नौटी के नौटियाल हैं।
नियम और समय के अनुसार नन्दा देवी राजजात अठारह अगस्त 2014 को नौटी से बधाणी गाँव में आयी। भक्तों की संख्या काफी बढ़ गयी थी। भीड़ को देखते हुए मंदिर समिति ने सुरक्षा व्यवस्था ठीक की। इसमें तीन समितियाँ बनाई गयीं। पहली समिति का काम था मंदिर के भीतर की व्यवस्था को सुचारू बनाए रखना। दूसरी समिति का काम था भक्तों, अतिथियों, पर्यटकों, जिज्ञासुओं आदि के खाने एवं रहने की व्यवस्था करना । तीसरी समिति सुरक्षा समिति थी। इस समिति का काम था, मंदिर की सुरक्षा एवं देवी-देवताओं और भक्तों की सेवा करना। सुरक्षा समिति और प्रशासन का साथ-साथ काम करना सुनिश्चित किया गया।
जब नन्दा देवी राजजात का आगमन ईड़ा-बधाणी गाँव में हुआ तो भक्तों की संख्या लगभग पन्द्रह से बीस हजार तक होने का अनुमान था । जब नन्दा देवी बधाणी गाँव में आयी तो भीड़ की वजह से देवी को मंदिर में पहुँचते हुए लगभग तीन घण्टे का समय लगा। इसके बाद सभी भक्तों के खाने-पीने की व्यवस्था भण्डारे के माध्यम से की गयी। भण्डारे की व्यवस्था इस प्रकार से थी-
1. रामलीला कमेटी, कर्णप्रयाग, का भण्डारा
2. शांति कुंज, हरिद्वार, का भण्डारा
3. टैक्सी यूनियन, कर्णप्रयाग, का भण्डारा
4. यूथ क्लब, कर्णप्रयाग, ने जूस एवं फलों की व्यवस्था की
___ नन्दा राजजात के सफल संचालन में सभी ग्रामवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहामंदिर की सुरक्षा के लिए सुरक्षा वालंटियर बने । इसमें गाँव के सभी युवा साथी सम्मिलित थे। मंदिर परिसर में जगह कम होने के कारण सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया। भक्तों को देवी के दर्शन कराने के लिए कतारें बनायी गयी थीं। सभी भक्तों को एक-एक करके दर्शन करने का अवसर मिला । चौसिंगा-खाडू और राज छंतोली के दर्शन रात साढ़े नौ बजे के बाद बंद कर दिये गये। उसके बाद रात दस बजे से जागरण का आयोजन हुआ। लोक संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड के कलाकारों ने नन्दा-जागरण प्रस्तुत किया। जागरण मंच, कर्णप्रयाग के प्रतिनिधि संजय डिमरी ने सुबह चार बजे तक नन्दा के भजनों की प्रस्तुति दी। सुबह चार बजे सभी युवाओं ने मिलकर चाय बनायी और भक्तों को दी।
उन्नीस अगस्त नन्दादेवी की विदाई का दिन था। जैसे ही पौ फटी, हम सभी वालंटियर प्रशासन के साथ मिलकर सुरक्षा व्यवस्था संभालने में जुट गये। सुबह छ: बजे भक्तजन दर्शनों के लिए लम्बी कतारों में खड़े हो गये । हमने प्रत्येक भक्त को राज छंतोली और चौसींगा खाडू के दर्शन करने में मदद की। मंदिर-समिति ने प्रसाद वितरण किया। प्रशासन का पूरा सहयोग सभी ग्रामवासियों को मिलानगर पंचायत, कर्णप्रयाग, ने सफाई की व्यवस्था की। गाँव में सुलभ शौचालयों की भी व्यवस्था की गयी थी। उस रात बिजली की रोशनी से पूरा गाँव जगमगा रहा था।
धीरे-धीरे वह पल आ गया जब माँ नन्दा हमारे गाँव से विदा होने लगी। हम सभी ग्रामवासियों और सुरक्षा वालंटियरों की आँखों से आँसू आने लगे। हमें यह अहसास हुआ कि अपनी बेटी और बहन को विदा कर रहे हैं। हम सभी ग्रामवासी देवी को विदा करने के लिए जुलूस के साथ-साथ रिठोली गाँव तक गएजैसे-जैसे यात्रा और पड़ाव आगे बढ़े, व्यवस्था की खामियाँ भी दिखाई दी लेकिन भक्तों ने यही कहा कि जैसी व्यवस्था ईडा बधाणी गाँव में थी, वह जन सहयोग और भाईचारे का अनोखा उदाहरण है।
दिनाँक तीन सितम्बर, 2014 को ईड़ा बधाणी गाँव में नन्दा पाती का आयोजन किया गया। राजजात यात्रा के दौरान उल्लेखनीय सहयोग देने वाले भक्तों को ईडा बधाणी की मंदिर समिति ने पुरस्कार दिया। पुरस्कार में प्रशस्ति-पत्र और प्रसाद दिया। उपजिलाधिकारी कर्णप्रयाग ने राजजात के सफल समापन के लिए ग्रामवासियों और युवा वालंटियरों का धन्यवाद किया। प्रशासन ने युवाओं को तीन हजार रूपये का नकद पुरस्कार दियापुरस्कार की राशि प्राप्त करते हुए ईड़ा बधाणी के ग्रामवासी गर्व से भर उठे । खासकर, युवाओं ने नन्दा राजजात यात्रा के सफल संचालन के लिए स्वैच्छिक तौर पर, उमंग से भरे हृदय लिए, जो कार्य किया वह काबिले-तारीफ था।