पलायन रोकने के लिए एक छोटी सी कोशिश

||पलायन रोकने के लिए एक छोटी सी कोशिश||


राज्य गठन के 19 वर्ष बाद भी पहाड़ की बुनियादी समस्याओं का कोई समाधान नहीं हुआ है। शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य जैसी समस्याएं पहाड़ में विकट रूप धारण कर रही हैं। इन समस्याओं का समाधान तलाशने में राजनेता असफल साबित हो रहे हैं लेकिन कुछ सच्चे पहाड़ी ऐसे हैं जो कि अपने छोटे-छोटे प्रयासों सेपहाड बचाने में जटे हए हैं। ऐसी ही एक महिमचलारहे हैं राकेश बिज्लवाणबहुआयामी प्रतिभा के धनी राकेश पहाड़ के प्रति समर्पित हैं। उनके मन में पहाड़ के अभावों और समस्याओं के लिए एक टीस है। यही कारण है कि वे पहाड़ में रिवर्स गागडेशन के पक्षधर है। उन्होंने अपनी सोचकोधरातल पर उतारा है और पौडी व टिहरी में कई स्थानों पर युवाओं को रोजगार देने का काम किया है। उनका यह प्रयास युवाओं और अन्य प्रवासी उत्तराखंडियों के लिए प्रेरणादायक साबित हो सकता है।


सकता है। देहरादून के हरिद्वार-बाईपास रोड पर मेडिकल सप्लायर और विचार एक नई सोच वेब पोर्टल के संचालक राकेश मल रूप से टिहरी के बाची मठियाना के निवासी हैं। वह बालावाला में रहते हैं। उनके पिता सिंचाई विभाग में थे। राकेश ने ऋषिकेश के शिशु मंदिर, भरत मंदिर से शिक्षा हासिल की और बाद में ललित मोहन पीजी कालेजसे बीएससी किया।


ठान लिया था कि सरकारी नौकरी नहीं करनी


नौकरी नहीं करनी आज जहां युवाओं को सरकारी नौकरी की दरकार है वही राकेश पहले से तय कर चुके थे कि सरकारी नौकरी नहीं करनी, क्योंकि उसमें अभाव ही अभाव हैं। उन्होंने यह सबक अपने पितासे लिया थाभलेही सरकारी नौकरी हो लेकिन यदि वो ईमानदार है तो गुजर-बसर मुश्किल होती है। यही सब अनुभव राकेशको मिले थे। ऐसे में उन्होंने तय किया कि कुछ अलग हट कर करना है। शुरुआत मुरादाबाद में मेडिकल रिप्रजेंटिव यानी एमआर से की। मन में पहले से था कि अपना ही काम करना है तो 2001 में नौकरी छोड़ दी। वे बताते हैं कि 2001 से 2005 तकसंघर्षरहा। इसके बाद अपनी दवाओं की एजेंसीली और यह कार्य चल निकला। तबसेदवाओंकीएजेंसीका कार्यकररहे हैं।


पहाड़ को लेकर मन में है टीस


राकेश बिज्लवाण के अनुसार उनके मन में पहाड़ को लेकर पहले से ही टीस थी। पहाड में पहाड जैसी समस्याओंको बचपन से देखते आए हैं। उन्होंने एहसास किया है कि एक मां मैदान की ओर जाते अपने बेटे को देख कैसा दर्द महसूस करती है। राकेश का कहना है कि यह टीस आज भी बनी हुई है। इस कारण उन्होंने तय किया कि जब थोड़ा सक्षम हो जाऊंगा तो पहाड़ के लिए कुछ करूंगा। उससोच पर वेकायमरहे और उसे अबधरातल पर उतार रहे हैं।


पौड़ी में खोला पहला मेडिकल स्टोर


मेडिकल स्टोर राकेश के अनुसार एक बार पौड़ी गये तो वहां उन्हें लगा कि शुरुआत यहां से करनी चाहिए। उन्होंने पौड़ी में मेडिकल स्टोर खोला और यहां तीन युवाओं को रोजगार दिया। मेडिकल स्टोर उनके हवाल कर दी और उन्हें डिस्काउटिट दवाएं मरीजों को देने के लिए कहा। पौड़ी में एकमात्र मेडिकल स्टोर उनका ही है जो रियायती दरों पर दवाएं देता है जबकि अन्य स्टोर एमआरपी पर दवा बेचते हैं। सस्ती दवाएं मिलने से मरीजों को भी लाभ होने लगा। इसके बाद उन्होंने घंडियाल गांव में चौखम्भा मेडिकल स्टोर खोला और यहां भी उन्होंने मरीजों को रियायती दरों पर दवाएं दी। यह अनूठी बात है कि पहाड में दवा सस्ती बेची जाएं क्योंकि पहाड़ के मरीजों को दवाएं लेने के लिए भी देहरादून, रामनगर या श्रीनगर आना पड़ता है। राकेश बिज्लवाण के अनुसार पहाड़ में मेडिकल स्टोर के साथ ही उन्होंने पैथोलॉजी सेंटर भी शुरू किया। यहां भी सबसे सस्ता और रियायती दरों पर टेस्ट किये जाते हैं। इससे मरीज को सुविधा भी मिलती है और उनके समय और धन की भी बचत होती है। इस सुविधा से ग्रामीणखश हैं। यह स्टोर नोलॉसनो प्रॉफिट बेस पर चल रहा है। घंडियाल गांव में भी फार्मासिस्ट समेत तीन लोगों को रोजगार मिला है।


गांवों में लगाते हैं मेडिकल कैंप


राकेश बिज्लवाण के अनुसार वह गांवों में भी मेडिकल कैंप आयोजित करते हैं। इन कैंप में मरीजों की फ्री में जांच की जाती है और उनको दवा दी जाती हैअब तक उन्होंने बांघाट, ग्वालदम, मेल्ठा समेत एक दर्जन गांवों में मेडिकल कैंप किया है। यहां मरीजों के रक्त की जांच की जाती है। कई स्थानों में उनके अनुसार जल्द ही वह वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मरीजों के एक्स-रे व अन्य जांच कर उन्हें दवा देने की सविधा भी शुरू कर रहे हैं। उन्होंने कई मेडिकल कैंप आयोजित कर मरीजों कीन्यूरो, ईएनटी और सर्जरी भी कराई है। इसके लिए जिला अस्पताल के साथ मिलकर आपरेशन कराया जाता है, यह निशुल्क कराये गये।


रिवर्स माइग्रेसन को लेकर गंभीर


को लेकर गंभीर राकेश कहते हैं कि वह पहाड़ में रिवर्स माइग्रेशन के पक्षधर हैं। उनका सपना है कि पहाड़ दोबारा से आबाद हों। इसी कड़ी में उन्होंने घंडियाल गांव में होम स्टे योजना पर काम करने की तैयारी की है। होम स्टे योजना शुरू होते ही कुछ अन्य युवाओं को भी रोजगार मिलेगा। उनके अनुसार यदिहर सक्षम व्यक्तिपहाड़ में स्वरोजगार और रोजगार की दिशा में काम करेगा तो नौकरी के लिए मैदानों में भटक रहे युवा वापस गांव की ओर लौट आएंगे।