पर्यटक स्थल देवरियाताल सारी

पर्यटक स्थल देवरियाताल सारी


मैं सारी गाँव, जिला रूद्रप्रयाग, की रहने वाली हूँ। यह गाँव एक पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैगाँव के समीप 2430 मीटर की ऊँचाई पर स्थित देवरियाताल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होने के साथ-साथ आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैयहाँ देश-विदेश से लोग दर्शन एवं पर्यटन के मकसद से आते हैं।


देवरियाताल का आध्यात्मिक महत्व होने के कारण स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा श्रीकृष्ण की झाँकियाँ बनायी जाती हैं। विभिन्न गाँवों से भगवान श्रीकृष्ण की झाँकियाँ देवरियाताल पहुँचती हैं। पर्यटक ऊखीमठ विकासखण्ड मुख्यालय से आठ किमी की दूरी मोटरमार्ग से तय करते हुए सारी गाँव में पहुँचते हैं। गाँव सारी से तीन किमी की खड़ी चढ़ाई पैदल तय करनी होती है। देवरियाताल के चारों ओर विभिन्न प्रजातियों के असंख्य पेड़-पौधे लगे हुए हैं।


किंवदतियो के अनुसार प्रतिवर्ष देवरियाताल में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर नाग-नागिन का एक जोड़ा श्रृद्धालुओं को दर्शन देता है। एक बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर नागराज ने आम जनमानस को दर्शन दियेवहाँ उत्सव-नृत्य करने वाली एक जोड़ी ने नागराज से पुनः दर्शन देने को कहा। नागराज फिर अवतरित हुए लेकिन उस जोड़ी ने नागराज से पुनः दर्शन की माँग कर दी। जब तीसरी बार नागराज ने दर्शन दिये,  तो नृत्य करने वाली जोड़ी को ही अपने फन में लपेटकर देवरियाताल में समा गये । कहा जाता है कि वे आज भी तालाब में तपस्यारत हैं ।


इसी वजह से स्थानीय जनता प्रतिवर्ष देवरियाताल में एक भव्य मेले का आयोजन करती है। इस मेले का आयोजन बहुत हर्षोल्लास के साथ किया जाता है। देवरियाताल के समीप स्थित होने से हमारे गाँव सारी का बड़ा प्रचार–प्रसार हुआ है। देवरियाताल में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। महिला संगठनों की सदस्याएं नाटक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेती हैं।  ग्रामवासी मेले का इंतजार करते हैं कि उन्हें भी भाषण या अन्य कोई कार्यक्रम आयोजित करने का मौका मिलेगाहमारे गाँव के महिला संगठन की सदस्याएं तालाब की सफाई करती हैं।


मैं चाहती हूँ कि मेरा गाँव एक स्वस्थ, निर्मल और आदर्श स्थान बने । पर्यटक और अतिथि भी इस बात का ध्यान रखें कि देवरियाताल और उसके आस-पास के वनों और गाँवों की साफ-सफाई बनी रहे। कूड़ा-करकट, खासकर प्लास्टिक, फेंककर इस क्षेत्र के सौंदर्य को धुंधलाने का कोई प्रयास ना होयह कार्य जन-शिक्षण से ही संभव है। ग्रामवासी जागरूक हैं। वे इस स्थल की साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं। ऐसा ही व्यवहार पर्यटकों को भी करना होगा, तभी इस क्षेत्र का भौतिक और आध्यात्मिक सौंदर्य कायम रहेगा।