पेयजल समस्या का समाधान, गांव से पलायन

मामला उतरकाशी के डुंडा ब्लॉक के भंडारस्यूं पट्टी के ग्राम पंचायत टिपरी के जोगियाड़ा गांव का है। जहां उत्तराखंड राज्य बनने के 18 वर्ष बाद भी ग्रामीणो की पेयजल की समस्या नहीं सुधरी और ग्रामीणों ने गांव छोड़ दिया।


||पेयजल समस्या का समाधान, गांव से पलायन|| 

बिन पानी सब सून। ये कविता की पंक्तियां चरितार्थ कर गई जोगियाड़ा गांव के निवासियों को। वैसे भी मनुष्य तो पानी के बिना खड़ा भी हो पाये गनिमत है। यही संकट उतराखण्ड के सीमान्त जनपद उतरकाशी के जागियाड़ा के ग्रामीणो के सामने खड़ा हो गया है। संकट ऐसा कि ग्रामीण एक एक करके गांव छोड़ते गये। गांव की बिरान देहरियां बताती है कि कभी गांव आबाद रहा होगा। यदि आबाद रहा है तो यहां पीने के पानी और पानी की अन्य आवश्यकताओं की पूर्ती भी हुई होगी। कुछ लोगो को मानना है कि गांव में जो पानी के प्राकृतिक स्रोत थे वे मौजूदा समय में सूख गये। कुछ लोगो का मानना है कि ग्रामीणो की इस मूलभूत सुविधा के लिए विकासीय योजनाओं की उपेक्षा का दंश झेल रही है। कुछ भी हो ग्रामीणो ने पानी के बिना गांव छोड़ना मुनासिब समझा। 


उल्लेखनीय हो कि पृथक उत्तराखंड राज्य ने 18 वर्ष के अन्तराल में लोगो की मूलभूत समस्याओं की तरफ अपना ध्यान नहीं दिया, जिसका हश्र यह हुआ कि जोगियाड़ा के ग्रामीणो को गांव छोड़ना पड़ा। इस तरह के गांव राज्य में और भी लाईन पर लगे है। लोग पेयजल जैसी मूलभूत समस्याओं की तरफ सरकार का ध्यान कई बार आकृषित कर रहे हैं, मगर सरकारी तन्त्र की बेरूखी से लोग संकट का सामना करने में जगह परिवर्तन को हथियार बना रहे हैं। कुछ कुछ ऐसा ही मामला है उतरकाशी जिले के डुंडा ब्लॉक स्थित जोगियाड़ा गांव का। जहां सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण ग्रामीण वर्षों से पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं। जिससे ग्रामीणों को दूर दराज स्थित प्राकृतिक स्रोत से पानी लाना पड़ रहा है। वहीं गांव में बनी इस समस्या को देखते हुए अब यहां की बहु-बेटियों ने भी गांव जाना ही छोड़ दिया है। 


गांव छोड़ने का मामला तब सामने आया जब पास के ग्रामीणो को अपनो-पराय को मिलने व अन्य पारिवारिक रश्मो को निभाने बावत जोगियाड़ा निवासियो को मिलने अलग-अलग जगहो पर जाना पड़ता है। पास के टिपरी गावं निवासी सोहन का कहना है कि कुछ वर्ष पहले जोगियाड़ा के ग्रामीण तीज-त्यौहार को मनाने गांव आ ही जाते थे। किन्तु पिछले पांच वर्षो से यह तारतम्य भी खत्म हो गया। अब तो गांव कमोवेश खाली ही हो गया है। सोहन कहता है कि जोगियाड़ा उनके गांव के पास ही है इसलिए वे उनकी समस्या से वाकिफ है। बताया गया कि गामीणो की इस पेयजल की समस्या ने उन्हे अपने पैत्रिक गांव से बेरूख कर दिया। उनकी यह नारजगी जग जाहीर है। वे पिछले 18 वर्षो से ग्राम प्रधान से लेकर मुख्यमंत्री तक के दरवाजे कई बार खटखटा चुके है। उनकी एकमात्र पेयजल की समस्या का समाधान सरकार के पास नहीं था। ऐसे में उन्हें यही सुझा कि वे कहीं अन्यत्र बसेरा करेंगे तो कम से कम उनके सामने पानी का संकट तो नहीं रहेगा।


बता दें कि यह गांव उतरकाशी जनपद मुख्यालय से लगभग 50 किमी के फासले पर है। डुण्डा विकासखण्ड मुख्यालय भी कोई 35 किमी के फासले पर है। जबकि यह गांव टिपरी ग्राम पंचायत का हिस्सा है। टिपरी गांव भी मात्र आधा किमी के फासले पर है। कई बार जिम्मेदार अधिकारी और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि इस गांव की तरफ से गुजरे। गांव में भी आये। ग्रामीणो ने हर वक्त अपनी समस्या सरकार और शासन तक लिखित व मौखिक रूप में पंहुचाई। पर किसी के कान पर इस पेयजल की समस्या के लिए जूं तक नहीं रेंगी।
आसपास के गांव में पेयजल के लिए स्वजल जैसी योजना है तो वही जल संस्थान, जल निगम जैसी संस्थाऐं पेयजल की आपूर्ती कर रहे है। पर जोगियाड़ा गांव की तरफ किसी का ध्यान इतना ओझल क्यों हो गया है? जो बार-बार सवाल करता है। एक लम्बे समय तक गांव में कोई पेयजल योजना का निर्माण न होने की वजह से गांव की महिलायें, पुरूष तथा स्कूली बच्चे दूर-दराज स्थित प्राकृतिक स्रोत से पानी लाने को विवश हुए। जिसमें खासकर गांव के 60 वर्ष से अधिक बुजुर्गों को परेशानी उठानी पड़ती थी।


हालात ऐसे हो गये हैं कि गांव की वर्तमान स्थिति देखें तो गांव में एक दशक पूर्व 50 से 60 परिवार निवास करते थे। लेकिन निरंतर बनी पेयजल समस्या को देखते हुए गांव में अब मात्र 15 परिवार ही शेष रह गए हैं। गांव में अब जो 15 परिवार निवास कर रहे हैं वे भी पेयजल आपूर्ति के लिए जल प्रबंधन ईकाई सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों, विधायक, मंत्री सहित पेयजल की गुहार लगा चुके हैं। लेकिन नासूर बनी जोगियाड़ा गांव की पेयजल की समस्या पर आज तक कोई कार्यवाही नजर तक नहीं आ रही है। अब तो ग्रामीणों को सरकारी सिस्टम से भरोषा ही उड़ गया है। गांव में पानी न ढोना पड़े इसके लिए गांव की बहू-बेटियों ने गांव जाना ही छोड़ दिया है। वहीं गांव से पलायन का दौर पेयजल की पीड़ा के कारण बदस्तूर जारी है।


क्या कहते हैं अधिकारी व जनप्रतिनिधि
डुण्डा विकास खण्ड के कनिष्ठ प्रमुख सविता सेमवाल ने बताया कि उन्होंने टिपरी ग्राम पंचायत के जोगियाड़ा गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए जल संस्थान व जल निगम को पत्र प्रेषित किया था। लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही विभाग की ओर से नहीं की गई। जिसके लिए उन्हें खेद है। जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मण सिंह भंडारी कहते हैं कि जोगियाड़ा गांव में पेयजल की समस्या से हो रहे पलायन व पेयजल आपूर्ति के लिए जनता दरबार सहित जिले के प्रभारी मंत्री को भी समस्या से रूबरू करवाया गया था। लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। 


ज्ञात हो कि स्थानीय ग्रामीण प्रकाश मणि कहते हैं कि यमुनोत्री के विधायक केदार सिंह रावत ने गत दो वर्ष पूर्व गांव में पेयजल लाइन बनाने का आश्वासन दिया था। लेकिन अभी तक गांव में किसी प्रकार का कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है। ग्रामीण धर्मानंद भट्ट, कृति मणि बताते हैं कि गांव में पेयजल आपूर्ति न होने के कारण बुजुर्गों व स्कूली बच्चों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है। गांव में पानी की ढुलान न करनी पड़े इसके लिए अधिकांश बहु बेटियां भी गांव आने को तैयार नही है। उधर उतरकाशी जिले के संबधित विभाग के आला अधिकारी बजट ना होने का रोना रोते है। कुलमिलाकर यह अकेला गांव है जहां के लिए पेयजल आपूर्ती हेतु सरकार के पास बजट नहीं है, जो क्षेत्र में कौतुहल का विषय बना हुआ है।