फ्लैट 50 रुपये में

||फ्लैट 50 रुपये में||


खण्डवा के बॉम्बे बाजार में झम्मन की दूकान । बोर्ड लगा थाफ्लैट 50 रुपये में दुकान जैसे ही खोली । पहले एक-दो-तीन फिर लाईन ऐसे बढ़ने लगी जैसे मीठे पर चींटे चुनाव में नेता, बारात में भुक्खड़ और मेरे घर में चूहे, झम्मन परेशान अरे दुकान तो खोलने दो । खैर जैसे- तैसे टेबल पर पानी का पोंछा मारा और कुर्सी पर बैठे ही थे।


एक मेरा, दो मुझे दो, अरे तीन मेरे । देखते ही देखते ही झम्मन की दुकान के आगे बढ़ती भीड़ को देखकर किसी ने पुलिस को फोन कर दिया झम्मन न जाने क्या बेच रहे हैं । इतनी लम्बी लाईन, यह और लम्बी होती जा । रही बढ़ती भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस तो क्या मिलिट्री को भी बुलाना पड़ सकता है।


झम्मन ने लड़के से कहा जा पहले एक मोटा रजिस्टर लेकर आकर, रसीद बुक तो खत्म हो गई। झम्मन कुर्सी से खड़े हो गए और भाइयों-भाइयों चिल्लाने लगे। कोई सुनने के लिए तैयार नहीं । बस एक ही आवाज आ रही एक मेरे लिए, दो मेरे लिए, तीन मेरे लिए, अरे चार मेरे लिए भी कर देना।


इतने में भागता हआ लडका आ पहंचा । परे चार सौ पेज का रजिस्टर । झम्मन की सांस में सांस आई । परी मुस्तैदी से लडके को तैनात कर दिया। जिसके रुपये आएं उसका नाम लिखें । अब तो स्थिति काबू से बाहर होती जा रही थी। झम्मन ने बड़े मियां को फोन किया। अब आप भी आ जाइये, यहां मुझसे भीड़ नहीं संभल रही है।


पुलिस की तीन बसें आ गई और लाईन लगाने में जुट गई। शाम तक आशापुर, भीकनगांव और न जाने कौन-कौन से गांव के लोग लाइन में शामिल होने लगेभीड़ बढ़ती जा रही थी। तिजोरी में नोट बढ़ रहे थेतिजोरी छोटी पड़ने लगी । लोहे का बक्सा घर से मंगाया गया ताकि नोटों को भरा जा सके।


रात के आठ बज चुके थे, लेकिन आवाजें कम नहीं हो रही थीं। एक मेरा, दो मेरे, तीन मेरे और चार मेरे झम्मन की गर्दन 90 डिग्री के अंश तक झुकी, ऐसी झुकी कि झुकी ही रह गई। बीबी का दिया हुआ खाना गरम से ठंडा और ठंडे से बर्फ बन गया । झम्मन को फुरसत नहीं थी नोट गिनने, आदमी गिनने की, ना आदमियों को फुरसत की बोर्ड को पढ़ा जाए। सभी एक मेरा और दो मेरा करते चिल्लाये जा रहे थे। 


रात के बारह बज चुके थे। मेले का माहौल बन गया था जो चाट के ठेले त्रियुग टाकीज के बाहर लगे थे, सब झम्मन की दुकान के 100 मीटर के दायरे में आ गये गन्ने के रस वाले आनन्द नगर से भागे-भागे आ गए। ऐसा कोई नहीं था, जो नहीं पहुंच रहा हो । पोहा बनाने वालों ने दो-दो कड़ाहे में पोहे बनाये और वो भी समाप्ति की ओर बढ़ रहे थेजलेबी तो ऐसे गायब हो गई जैसे विधायक का चुनाव जीत लिया हो।


आखिरकार कलेक्टर को स्वयं स्थिति संभालने के लिए झम्मन के इलाके में आना पड़ा । रिजर्व पुलिस को भी तैनात किया गया था । कलेक्टर साहब ने आते ही-पूछा, यह भीड़ किस बात के लिएएक ने कहा-फ्लैट 50 रुपये में।


कलेक्टर साहब तमतमा गए । गार्डों के साथ भीड़ को चीरते हुए सीधे झम्मन के सामने पहुंच गए।


झम्मन की सिट्टी-पिट्टी गुम झम्मन की बोलती बंद कलेक्टर साहब को देख कर चेहरे का रंग सफेद हो गया।


कलेक्टर साहब- फ्लैट 50 रुपये में?


झम्मन –हां साहब 50 रुपये फ्लैट।


कलेक्टर साहब भी हंसे बिना नहीं रहे सके और पूछा क्या दे रहे हो फ्लैट 50 रुपये में।


झम्मन-चप्पल की सेल लगाई है, फ्लैट 50 रुपये में। आप भी कोई सी ले लो। आपसे क्या पैसा लेना साहब । आप तो माई बाप हैं, हमारे ।


एक समान दर यानी फ्लैट रेट को अंग्रेज़ी का फ्लैट यानी मकान समझ कर लोगों की लग गई थी भीड़।


स्रोत - समाचार भारती, समाचार सेवा प्रभाग, आकाशवाणी