समस्याएं कैसी-कैसी

||समस्याएं कैसी-कैसी||


एक परिवार में सात बच्चे और उनके माता-पिता रहते थे। सात बच्चों में से छ: लड़कियाँ और एक लड़का थालड़कियों ने अपने पिताजी से कहा कि वे बारहवीं कक्षा से आगे पढ़ना चाहती हैं लेकिन उन्हें पढ़ने की आज्ञा नहीं मिलीपिताजी ने निर्णय लिया कि वे बेटे को पढ़ायेंगे। लड़के का मन पढ़ने में नहीं लगता था। वह दसवीं कक्षा भी उत्तीर्ण नहीं कर पाया.


सभी लड़कियों की शादी अठारह-बीस साल की उम्र में हो गई। लड़के ने शादी के लिए जिद की तो बीस साल की उम्र में उसका भी विवाह कर दिया । ढाई-तीन साल में तीन बच्चे हो गए । अब लड़का तनाव में रहने लगा। बहुत इलाज करवाया पर ठीक नहीं हुआबहू भी घर का कोई खास काम नहीं करती थी। अगर सास उसके कमरे में खाना ना ले जाये तो हाय-तौबा मचाती। हर वक्त यह उलाहना देती कि इस घर में शादी होने से उसका जीवन बरबाद हो गया.


इसी तरह गुजर-बसर हो रही थी कि अचानक ससुर जी की तबीयत काफी खराब हो गयी। नाराजगी के कारण बहू उन्हें देखने नहीं गयीउसके ससुरजी को बस एक ही चिंता लगी रहती कि मेरे बाद बेटे और उसके छोटे बच्चों की देखभाल कौन करेगा। इसी चिंता में उन्होंने प्राण त्याग दिये।


ससुरजी की मौत को चार महीने भी नहीं हुए थे कि बहू ने सास को मारने की कोशिश की। जब पति की बहनें आयीं तो उन्हें भी अपशब्द कहे। गाँव के लोग कुछ कहते तो उनसे भी उल्टा ही बोलने लगी। बेटियाँ माँ से उनके घर चलने का निवेदन करती लेकिन वह अपने बेटे को छोड़कर कहीं भी जाने को राजी नहीं होती थी। माँ सोचती कि जब तक वह जीवित है, बेटे और उसके बच्चों की परवरिश अच्छी तरह से हो सकेगीअगर वह चली गई तो बच्चों को कौन देखेगा? बह को कई लोगों ने समझाया। यहाँ तक कि उसकी माँ ने भी समझाया कि वह सबके साथ मिलजुलकर रहे परिवार की देखभाल करे । खुद भी खुश रहे और अपने बच्चों को भी खुशनुमा माहौल देने की कोशिश करे लेकिन उसने अपनी माँ को भी घर में आने से मना कर दिया। काफी समझाने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ। अब सभी महिलाओं और ग्रामवासियों को सोचना है कि इस समस्या का निदान किस प्रकार से हो सकेगाइस घर में खुशहाली और परस्पर प्रेमभाव पैदा करने के लिए महिला संगठन क्या काम कर सकता है, यही चर्चा मासिक गोष्ठियों में हो रही है।