शिक्षा की आवश्यकता
मेरा नाम मनीषा नेगी है। मैं ग्राम चौण्डली, जिला चमोली, में पुस्तकालय केन्द्र चलाती हूँ। यह पुस्तकालय शेप संस्था, बधाणी के सहयोग से चलता हैपुस्तकालय केन्द्र में जुड़कर मुझे बहुत सी नयी बातें सीखने को मिली। केन्द्र में बच्चे नियमित रूप से आते हैं। गर्मी के मौसम में विद्यालयों की छुट्टी के दिनों में बाहर से गाँव में आये हुए बच्चे भी पुस्तकालय में पढ़ने और खेलने के लिए आ जाते हैं। वे ग्रामीण बच्चों से जोड़ो-ज्ञान की सामग्री के उपयोग और क्रिया-विधि के विषय में पूछते हैं तो बच्चे उन्हें उत्साह से बताते हैं। इस प्रकार, सभी बच्चे खेल की सामग्री का उपयोग आपस में एक दूसरे के साथ मिलजुलकर करते हैं। केन्द्र कहानियों की किताबों से भरा रहता है। विद्यालय की किताबों से अलग साज-सज्जा और रूचिपरक कथाओं से भरपूर इन पुस्तकों को बच्चे-बूढ़े सभी पढ़ना पसंद करते हैं। जिन बच्चों को पढ़ना नहीं आता, वे चित्रों को देखकर लाभ उठाते हैं। बच्चे पुस्तकालय केन्द्र में खुश रहते हैं। खास कर, चित्रांकन का कार्य बहुत मनोहर ढंग से करते हैं।
पुस्तकालय केन्द्र में नियमित रूप से अखबार आता है। अखबार को गाँव के बुजुर्ग व युवा भी पढ़ते हैं। गाँव की ही दो-तीन महिलायें पढ़ने के लिए किताबें घर ले जाती हैं। खेती के काम की वजह से महिलायें पुस्तकालय केन्द्र में कम आती हैं। केन्द्र में बच्चे अधिक संख्या में आते हैंबच्चों के उत्साह की वजह से पता नहीं चलता कि कब समय बीत गया। पहले से मैं स्वयं ही कभी अखबार नहीं पढ़ती थी। जब से पुस्तकालय केन्द्र में कार्य कर रही हूँ ,तब से अखबार पढ़ने में मेरी रूचि बनी है।