सोशल मीडिया और खेती-किसानी

||सोशल मीडिया और खेती-किसानी||


और ये बात न ट गाना , पानातरण । मोशन नादिया की एक आहा गया है। सोशल मीडिया काम गायनारा को, पगार सिकारिया और किया। माया की जानकारीक रवानान्तरण ॥ अहम भागको पा रहा है। सोशल मीडिया के व्हायपण, सबक, दिवार, यून जोर इस्टाग्राम और उपकरणों के माध्यम से खेती किसाा यजली जानकारी लोगमाडा करते है और उपयोगी सलाह का आदान-प्रदान करते हैं। सोशल मीडिया पर कपि संबंधित उपकरणों के चित्र साझा करने से छोटे किसान को जल्दी जानकारी का लाभ मिल जाता है। सोशल मीडिया का नेटवर्क ग्रामीण स्तर पर विस्तारित किया जाए तो खेती- किसानी में एक क्रांतिकारी पहल होगी। भारतकी 68 प्रतिशत आबादी गाँवों में रहती है और कपि कुल जनसंख्या के 58 फीसदी हिस्से के लिए आजीविका का मुख्य स्त्रोत है, इसलिए भारत में खेती-किसानी के उत्थान के लिए सोशल मीडिया की भूमिका पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। एक जमाना था कि खेत में किसी रोग या फसल नुकसान की सलाह समय रहते नहीं मिल पाती थी, लेकिन आज किसानों की समस्याओं को अब हम सब मिलकर सोशल मीडिया की मदद से लाभ पहुचा सकते हैं। समय रहते किसान की जरूरता का समझना और इनके अनुसार गाँव की कपि से जड़ी आधारभूत सुविधाएँ महैया कराना अति आवश्यक है। आज जिस तरह से कृषि क्षेत्र में सोशल मीडिया ने अपनी भूमिका प्रकाशित की है, इससे खेती में - नए प्रयोग कर पाने या खेती में होने वाली समस्याओं से निपट पाने में किसान सक्षम हुए हैं.


उसनेट सोशल मीडिया की रीढ की हड़ी है और इसके आने के बाद जनसंचार जगत में कई ऐसे आविष्कार हा जिनकी वजह से सोशल मीडिया दनिया भर में हावी हो गया और आज गाँव-देहात, किमान और खेती-किसानी के विकास में अपनी भमिका निभा रहा हैवर्तमान में भारत में लगभग 10 करोट इंटरनेट प्रयोगकर्ता हैं। इनमें से लगभग कोट इंटरनेट प्रयोगकर्ता ग्रामीण अंचलों में निवास करने वाले हैं। भारत में जिन ग्रामीण इलाका लोगों के द्वारा गोशल मीडिया का प्रयोग होने लगा हैवहाँ के लोगा। बीजो को देखने और महान का नजरिया हैबदल गया है। अजटीना, ब्राजील, माण अफ्रीका सेंट और बहन गेजतशील देशों के ग्रामीण इलाकों में लोगों ने सोशल मीडिया का कृषि और हमसे जले सेक्टर में प्रयोग करना शुरू कर दिया है। इन सभी देशों के ग्रामीण समाज ने सोशल मीडिया की मदद से खेती और उससे ताल्लक रखने वाले सभी कामों में अप्रतपूर्व उन्नति दिखाई है। आज भारत का किसान समाज और ग्रामीण इलाकों के लोग अब सोशल मीडिया के सहारे उन्नति और विकास के पथ पर अग्रसर हो उठे हैं। आज सोशल मीडिया के माध्यम से हम सभी देश के अलग-अलग राज्यों के किसानों से जड़े रह सकते हैं और कृषि से संबंधित सभी जानकारी घर बैठे अपने लैपटॉप या मोबाइल पर पा सकते हैंइससे किसान के समय की बचत होती है और तकनीकी जानकारी से लाभान्वित भी होते रहते हैं। अमेरिका और उत्तर अमेरिकी देशों के किसान और ग्रामीण जनता ने इसी सोशल मीडिया नेटवर्क की बदौलत खेती और हॉर्टिकल्चर में अपार उन्नति की है जिससे उनकी ग्रामीण अर्थव्यवस्था सशक्त हुई हैभारत में भी कछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। अब किसान और उसका बेटा दोनों ही इस जनसंचार के माध्यम से जुड़ कर अपना-अपना विकास कर रहे हैं जो आगे जाकर उनके आर्थिक विकासको जन्म देगा।


खेती किसानी में सोशल मीडिया सोशल मीडिया के माध्यम से किसानों को खेती से जुड़ी कोई भी समस्या हो वे व्हॉट्सएप एवं फेसबुक पर बने ग्रुप में बताकर निदान पूछते हैं और उसके जवाब मिलना शुरू हो जाते हैंव्हॉट्सएप एवं फेसबुक पर ग्रुप के माध्यम से कृषि वैज्ञानिक, कृषि सलाहकार, कृषि छात्र और किसान वैज्ञानिकों को जोड़ा जा सकता है। किसान जैविक खेती, फसल में लगने वाले राग, जानवर से फसलों को बचाने के तरीक, खेती में उत्पादन, प्राससिंग, सरकार की याजनाएं, व अनुदान जैसे मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से कृषि परिवर्तन खता, इंडियन फामिंग, कुरुक्षेत्र, विज्ञान प्रगति और योजना जैसी महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में किसान, कृषि छात्र और वैज्ञानिक खेती-किसानी की जानकारी के माथ-साथ 'किमान जागरूक' एवं 'जल संरक्षण' जैसे आलेखों को भी पढकर लाभान्वित हो सकते हैं। सोशल मीडिया का युटयब एक उपयागी उपकरण है जिससे किसान काफी लाभ ले रहे हैं। कपक समाज युटयब पर नई-नई फसलों के वीडियो को देख कर जानकारी ले रहा है और इस जानकारी के माध्यम से विभिन्न संस्थानों से जानकारी इकट्ठा कर रहा है। यूट्यूब पर विभिन्न संस्थानों के वीडियो कषक देख कर जानकारी ले रहे हैं, साथ ही साथ अपने खेत-खलिहानों के वीडियो को बनाकर अपलोड भी कर रहे हैं। खेतीकिसानी में सोशल मीडिया के कुछ महत्वपूर्ण उपकरण अग्रलिखित हैं -


व्हाट्सएप आज संचार यग में मोबाइल किसान के खेत की मेढ तक पहँच गया है, और यह बात तो आप सभी जानते हैं कि व्हॉटसएप आज हमारी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा बना हुआ है। व्हॉट्सएप का उपयोग लोग अब धडल्ले से अपने कार्यों में भी कर रहे हैं। व्हॉटसएप पर हम सभी 100 एमबी के पीडीएफ दस्तावेजों को भेज सकते हैं एवं फसलों के वीडियो बना कर भी एक-दूसरे से साझा किया जा सकता हैव्हॉट्सएप के माध्यम से किसान अपने गाँव एवं खेतों की सही लोकेशन गूगल मैप के द्वारा कृषि विभाग को भेज सकते हैंकिसान व्हॉट्सएप के द्वारा फ्री वीडियो कॉलिंग भी कर सकते हैं और अपने खेतों को लाइव में विशेषज्ञों को दिखाकर मदद ले सकते हैंव्हॉट्सएप पर किसान लोगों से संपर्क स्थापित करने के लिए व्हॉट्सएप ग्रुप बना सकते हैं और इस ग्रुप में 256 लोगों को जोडकर आपस में चर्चा कर सकते हैंबहत से किसान भाइयों को हमने व्हॉटसएप ग्रप के माध्यम से बातचीत करते देखा है। आप अपने व्हॉटसएप पर एणी जान पानिशील किसान मंच. किसान सलाह. अन्नदाता. कषक भाई, दशो खता, उन्नत खेती. जैविक विधि से खेती. औषधीय पौधा की खेती और अरोमा खेती आदि व्हॉट्सएप ग्रुप बना कर किसान. कषि छात्र और कषि वैज्ञानिका के अलावा तकनीकी कि करके लाभ उठा सकते हैं। तकनीकी विशेषज्ञों को भी सम्मिलित ho ke labh utha sakte hai.


फेसबुक


फेसबुक जैसे सो फायदे हैंफेसबक सकते हैं और अपने खेतो तैयार फसल का फोटो साझा करके ने हैं। किस मूल्य पर किस बाज़ार में फसलों । ' सोशल मीडिया प्लेटफार्म के कई सबक पर आप एक-दूसरे को देख अपने खेतों के फोटो को साझा कर साथ ही साथ फेसबुक पर आप अपनी का फोटो साझा करके बेच भी सकते किस बाजार में फसलों को बेचा बारे में समुचित जानकारी को किसान से साझा कर सकते हैं। जिन किसानों को नहीं आता. वे भी वीडियो को देखकर कर खेती के बारे में जानकारी ले लेते हैं। TIकार किसान को घर बैठे ही जानकारी उपलब्ध जाती है, जिससे समय व पैसों की बचत होती हैसबक पर बहुत सारे ग्रुप कृषि से जुड़े हुए बने हैं जो किसानों को जानकारी मुहैया कराने के साथ- साथ किसान के हक के लिए उनको जागरूक भी करते रहते हैं।


कृषि मोबाइल एप मोबाइल एप के माध्यम से किसान घर बैठे अपना आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं। किसानों को, का यत्र चयन तथा किसी भी कंपनी का किसी भी डालर से यत्र प्राप्त करने की स्वतन्त्रता रहती है। फसलों को रोपने और बीजाई करने के बारे में नयी तकनाको के बारे में जानकारी महैया हो जाती है। एगो-क्लाइमेटिक, यानी खेती के लिए अनकल मौसम आधारित अध्ययन के जरिए जरूरी सचना को प्राप्त किया जा सकता है। सभी फसलों के बारे में अलग-अलग तौर पर उनकी मांग और आपर्ति की जानकारी, ताकि ज्यादा मांग और कम आपति वाली फसलों के उत्पादन पर वे ज्यादा जोर दे सके कषि मोबाइल एप के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। एप के माध्यम से किसान भाई रबी. खरीफ और जायद की विभिन्न फसलों से रूबरू हो सकते हैं। मोबाइल एप के माध्यम से आप अपनी फसल को घर बैठे ही ऑनलाइन बेच सकते हैं। कषि से जडे महत्वपर्ण मोबाइल एप, जैसे- किसान सविधा. इफको किसान, कृषक मित्र, फसल बीमा. खेती-बाडी. कृष ज्ञान, पूसा कृषि, कृषि बाज़ार. एम किसान एग्री पोर्टल, मेरा किसान, डिजिटल मंडी. कषि केंद्र और लाइव बाज़ार आदि किसान भाई गुगल प्ले स्टोर से फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं। भारत के विभिन्न राज्यों के कृषि विभाग भी एप के माध्यम से खेती- किसानी एवं कृषि योजनाओं से जुड़ी जानकारी मुहैया करा रहे हैं.


सोशल मीडिया से भारत में किसान नवीनतम पल्या की जानकारी पर बैठेही पास कर सकते हो सोशल मीडिया से किसान अपने किसान गिास जलारा सकता है और एक दूसरे के खेतों से लेकर बाजार तक जड़ा रहता है। सोशल मीडिया । गाना हिन्दी गजराती और अंग्रेजी भाषा के साथ-साग अन्य भाषाओं में भी उपला हात । । किसानी की जानकारी से परिपूर्ण होत हावतमा किसान खेती के गर सोशल मीडिया पर एक-दूसरस साडा कर रहे हैं और इससे उनका मानना है। सोशल मीडिया के माध्यम से सरकारी योजनामा व नवाचार के बारे में विशेषज्ञों से जानकारा अन्य प्रांतों से मिल जाती है। सोशल माडया पर का वई-लर्निग की सीख अपनाकर अपने उत्पादन का संदी या किसी बिचौलिप को बेचने की बजाय साध अंतरराष्ट्रीय खरीददारों को बेचकर आय में इजाफा किया जा सकता है। बड़ी बात यह है कि किसान आज तेजी से सोशल मीडिया के जरिए खेतीकिसानी की जानकारी बटोर रहे हैं और उन्हें अपना खेती में उपयोग कर मोटा मुनाफा भी कमा रहे हैं। कषि के समावेशी विकास रथ को गति देने के लिए सोशल मीडिया के उपकरणों के सही प्रयोग से कृषि क्षेत्र के उद्योगों को एक दिशा मिलेगी.