उत्तराखंड में हर्षिल व् राजमा

|| उत्तराखंड में हर्षिल व् राजमा|| 


हिमालय के आंचल में बसा  प्रकृति कासुरम्यक्रीडा स्थल देव भूमि उत्तराखंड ह्रदय वीणा के तारों को संकृत कर देने न वाले यहां के झरने कल कल अविरल बहती यहां की नदियां,सीढ़ी नुमा  खेतों की मनमोहक छवि टेढ़े मेरे रास्ते घुमावदार सड़कों के अद्भुत दृश्य घने जंगल पर्वत श्रृंखलाएं बर्फ से ढके पर्वत पर्वतीय गांव में बने सुंदर मकान वास्तव में देव लोक का ही एहसास दिलाते हैं।


53483  वर्ग किलोमीटर भूभाग में फैला है उत्तराखंड इसका 65% हिस्सा वन क्षेत्र है  16% भूभाग में होती है खेतीकिसानी क्षेत्रफल के हिसाब से प्रदेश का सबसे बड़ा जिला हैउत्तरकाशी जिसका कुल भौगोलिक क्षेत्र है 8016 वर्ग किलोमीटर  जिसमें वन क्षेत्र है 567 वर्ग किलोमीटर और कृषि क्षेत्र है 34104 हेक्टेयर इसका 5695 हेक्टेयर सिंचित है तो 28408 हेक्टेयरअसिंचित हम आपको उत्तरकाशी जिले के हरसिल क्षेत्र में लिए चलते हैं, जहां के किसानों वबागवानों ने  अपने अथक परिश्रम से खेती वबागवानी के क्षेत्र में एक इतिहास रच डाला है.


जी हां  यहां बात हो रही है हरसिल के सेबऔरराजमा की जिनकी मांग न सिर्फ भारत में है बल्कि  अंतरराष्ट्रीय बाजारों  में बहुत अधिक है इंटरक्रॉपिंग फसल के रूप में यहां के सफेद राजमा की मांग भी बहुत है जिसे कि किसान इंटरक्रॉपिंग फसल के रूप में पैदा करता है.


इस यात्रा वृत्तांत में देहरादून से हरसिल के मुख्य मार्ग में पढ़ने वाले स्थानों को फिल्माया जाएगा वहां की लोक संस्कृति खान पान व ऐतिहासिक धार्मिक पक्षों से भी अवगत कराया जाएगा उत्तरकाशी से लगभग 73 किलोमीटर की दूरी पर गंगोत्री को जाने वाले मार्ग पर स्थित है हरसिल गांव समुद्र तल से इसकी ऊंचाई है 7860 यहां की मुख्य खेती है शेर और फसल है सफेद जो कि इंटरक्रॉपिंग के रूप में अंतरराष्ट्रीय बाजार में उभरी है अंतर्राष्ट्रीय बाजार में यहां के शेरों की बहुत अधिक मांग है.


यहां की राजमा ₹12000 क्विंटल तक बिक जाती है अपनी जरूरत के अलावा किसान 40 हजार तक की राजमा बेचकर अपना पूरे साल का खर्च निकाल लेते हैं प्रसिद्ध फिल्मकार राज कपूर की फिल्म राम तेरी गंगा मैली का फिल्मांकन इसी क्षेत्र में हुआ था जिसे आज भी इसके मनमोहक दृश्य के कारण याद किया जाता है भागीरथी नदी के तट पर बसी है यह खूबसूरत घाटी गंगोत्री यहां से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर है देहरादून से पहाड़ों की रानी मसूरी होते हुए सुआ खोली के सुंदर पर्वतीय नजारों को कैद करते हुए रॉकीवेली से निकलते हुए हम पहुंचे हैं खूबसूरत झील जो कि भागीरथी नदी पर बना बांध से बनी है.


यह बांध देश का प्रमुख बांधों में से एक है यहीं पर एक भारतीय वायु सेना की एक हवाई पट्टी का भी निर्माण किया गया है केवीके का सुंदर नजारा लेते हुए यह हमने बात की श्री पंकज नौटियाल जी और इनसे यहां हो रहे कृषि कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं वहां के ट्रेनिंग सेंटर के बाय-बाय करते हैं और रास्ते के दृश्य अपनी मंजिल की खूबसूरत वादियां यह जो आप देख रहे हैं है कहां से आया इसकी शुरुआत कहां से हुई होगी इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है प्रेम कहानी है जी हां जो यहां आए पर्यटकों स्थानीय लोगों में बड़ी उत्सुकता से सुनाई जाती है रोचक कहानी है गुलाबो की कहा जाता है कि 1857 के सैनिक विद्रोह के बादबाद ब्रिटिश सेना त्याग दी उसने तत्कालीन टिहरी नरेश से शरण मांगी किंतु अंग्रेजों के साथ दोस्ती होने के कारण टिहरी के राजा ने उसे शरण देने से मना कर दिया विल्सन वहां से भागता चिता भागीरथी नदी के साथ साथ चलता हुआ मुख्य गांव पहुंचा जो कि हर साल के निकट ही है.


वही एक परिवार ने उसे शरण दी तथा उसी परिवार की बेटी से उसने विवाह कर घर बसा लिया यहीं से उस ने कठोर मेहनत शुरू की लकड़ी का कारोबार शुरू किए कर दिया उसने पहाड़ी नदी के बहाव में उसने लकड़ियों को नीचे पहुंचाना शुरू किया और धीरे-धीरे वह मान गया और उस इलाके में अपनी शान और शौकत के लिए प्रसिद्ध हो गया उसे राजा के रूप में भी जाने जाना जाने जाना जाने भैरव घाटी में लगभग 350 का उसी की देन है जो अभी तक कायम है वन विभाग के कई अतिथि गृह भी उनकी ही देन है मसूरी के भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के लिए जो प्रशिक्षण अकादमी आप देख रहे हैं यह उन्हीं का एक आलीशान होटल चार्ली विलय का स्वरूप है विल्सन लकड़ी के व्यापार से हटकर कुछ हटकर करने की सोचने लगा सिल्वर आसपास की जलवायु आलू राजमा की खेती शुरू कर दी धीरे धीरे उसका विल्सन से दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गया रोबोट की कई किताबों के अलावा दिल के बारे में वर्णन मिलता है.


जमाने में उसने वहां किसानों को इंटरक्रॉपिंग की विधि समझाई अर्थ सेव के साथ राजमा की पैदावार दोस्तों यह शिवराज की कहानी उन्हीं के कारण आम भागीरथी घाटी की बागवानी क्षेत्र में इतनी समृद्ध हुई है कुछ बुद्धिजीवी वैज्ञानिकों से बातचीत घाटी की सांस्कृतिक परंपराओं से अवगत करवाते हैं यहां मेले तारों को लोक परंपराओं को बड़े धूमधाम से मनाने का रिवाज है पर धीरे-धीरे विकास व पलायन के कारण यहां के गीतों पर भी पड़ा है ताकि वहां के प्रसिद्ध हैचोपतिवहां के प्रसिद्ध नृत्य हैं