यह उतराखण्ड में यमुना नदी के आर-पार बसे समुदाय जौनसार, रवांई और जौनपुरी भाषा के लोक गीत है। जिसे पाठको तक पंहुचाने के लिए गीत और भावार्थ सहित हिन्दी रूपान्तर किया गया है।
||विस्सू विस्सू रे त्यौहार||
भेडूदे पडे अटडेला बाकरूंदे पीशू, पीशू रे पीशू रणसिंगा बाकरून्दे पीशे ....2
ओ नेडा नाडी आईगा ला बाकरून्दे पीशू, पीशू रे पीशू -2
ओ नेडा नाडी आईगा ला रेणुका रा विशू, विशू रे विशू रणसिंगा रेणुका रा विशू ......2
ओ भला जुड़ो बढयाला रेणुकारा विशू, बिशू रे विशू रणसिंगा रेणुका रा विशू .......2
ओर कांसे रे बेलुटीया ला मरोली जुणों, मरोली जुणों वेणीया ला मरोली जूणों ......2
ओ जुवले रा विशू आईरे साथो के कुणों, साथके कुणों बेणीऐ रा साथके कुणों ....2
बाजे रे बजेणुआला बाजोला बाणा, बाजोला बाण बैणीऐला बाजोला बाणा ...........2
ओ तावके पड़ो वैणीयाला विशूके जाणों, विशूके जाणों बैणीएला विशूके जाणों ......2
ओ हाथे चुंगा डागुठा ला लेगुडा लेवा, ओ जुवले रा विशु हाई रे चाँदीणें डेआ ....2
हिन्दी रूपान्तर
मेरे सामने ये त्यौहार रेणुका विस्सू, विस्सू विस्सू रे त्यौहार रेणुका विस्सू -2
आना आना तू यार रेणुका विस्सू, रेणुका विस्सू तू आना रेणुका विस्सू -2
आना हो या जाना भाई रेणुका विस्सू, रेणुका विस्सू मेरे भाई रेणुका विस्सू -2
रेणुका विस्सू जायेगा साथी होंगे कौन, कौन रे कौन मेरे भाई साथी होगे कौन -2
मिलजुलकर जायेंगे रेणुका विस्सू, रेणुका विस्सू जायेंगे रेणुका विस्सू -2
भावार्थ
पूरे जौनसार-बावर के लोग हिमांचल के रेणुका स्थित विस्सू को देखने हर साल जाते है। इसकी पूर्व तैयार के लिए जो कुछ करना होता है जैसे कौन कौन साथ में होंगे, नौजवान लड़ा लड़किया होंगे, कपड़े आदि सिलवाने होंगे, एक दूसरे को पूर्व से ही सन्देश होगा कि अगले साल विस्सू मेले मे जाना है आदि आदि परिस्थितियों पर यह लोक गीत है। आज रेणुका तक का सफर बहुत ही सुहाना हो चुका है, उन दिनों पैदल ही जाना होता था, और अगले काम या आयोजन की तैयारी एक साल पहले ही हो जाती थी। क्योंकि संचार और यातायात की उन दिनो कोई सुविधा नहीं थी। इस तरह से लोक कलाकारो ने इस गीत की रचना की है। आज यह लोक गीत हर आयोजन का हिस्सा होता है। इसे भी हारूल गीत कहते है।