याराना....
मानो न मानो बहुत याद आयेगा ऐसा याराना....
वो यादगार छत, दोस्तों का दोस्ताना..
वो शरारती हवा वो दोस्तों का बतियाना...
वो करना बातें होठों से, और दिल ही दिल में मुस्कुराना..
वो दोस्तों के साथ छत का कठोर बिछौना
हर एक दोस्त दूसरे दोस्त का खिलौना...
वो छतों का अचानक से गायब हो जाना..
वो आसमां का अचानक काला हो जाना..
ये बिन बुलाई बारिश, ये इठलाती हवा..
ये रात की रोटी और उगते सूरज की सुबह..
मानो न मानो बहुत याद आयेगा ऐसा याराना...
वो छत के छोटे पेड़, और उससे टकराती हवा..
वो तकिया एक और चाहने वाले अनेक...
वो दोस्त ऐसे जैसे चेरी ऑन केक...
वो बादल कहीं के, वो बारिश कहीं की,
वो बिस्तर किसी का और सोना किसी का...
वो तकिए के झगड़े, वो रोना किसी का...
वो सड़कें किसी की वो रास्ते किसी के
वो यारी किसी की भरोसा किसी का...
वो नदियां किसी की वो नावें सभी की...
मानो न मानो बहुत याद आएगा ऐसा याराना
वो पानी किसी का, वो भीगना सभी का...
वो मन्दिर किसी का वो आरती किसी की...
वो बैठक किसी की और बातें किसी की...
वो तकना आसमां को और बातें ज़मीं की ...
वो इमारतें किसी की शरारतें किसी की...
वो सूरज किसी का वो शामें किसी की...
वो आसमां किसी का सितारे किसी के...
मानो न मानो बहुत याद आएगा ऐसा याराना
वो कहानियां किसी की वो किस्से किसी के...
वो बातें पुरानी वो यादें किसी की...
वो साथ में रोना किसी का और होना किसी का...
वो इंतज़ार सुबह का और होना बारिश का...
मानो न मानो बहुत याद आएगा ऐसा याराना
वो लैम्पपोस्ट किसी का वो रोशनी किसी की..
वो घंटों की महफिलें और बातें सभी की...
वो मिलना सभी से, वो बातें किसी की...
वो आमों के ढेर, वो मस्ती किसी की...
वो शामें अवध, वो मस्ती सभी की ...
स्रोत - समाचार भारती, समाचार सेवा प्रभाग, आकाशवाणी