प्रार्थना

   


    प्रार्थना


मन कोमल हो, मन निश्चल हो,


कठिनाइयों से ना दुर्बल हो।


हे ईश, सदा तेरा ध्यान रहे,


यही प्रार्थना, यही वन्दन है।


कुण्ठाओं से न त्रस्त रहे,


परहित में लगा रहे जीवन।


वाणी में सौम्यता झलके,


सरल, सहज बने आचरण।


यही प्रार्थना, यही वन्दन है।


मानव में मानवता जागे,


हो मर्यादित सबका व्यवहार।


पर पीड़ा से मन विचलित हो,


परहित को, सदा रहे तैयार।


शीश झुकाकर, चरणों में,


यही प्रार्थना, यही वन्दन है।


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