यह संघर्षों के ताप से निकली हुई कामयाबी है

||यह संघर्षों के ताप से निकली हुई कामयाबी है||


आखिर वो दिन आया। भतीजा अभिषेक Abhishek एयरफोर्स में पायलट बन गया है। आज हैदराबाद में एयरफोर्स अकादमी में पासिंग आउट परेड के बाद वह विधिवत रूप से देश की वायुसेना का हिस्सा हो गया। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल RKS भदौरिया ने परेड के दौरान अभिषेक के सीने पर विंग्स लगाए तो अपना भी सीना चौड़ा हो गया।


अभिषेक का घर का नाम रूपक है। उसे मैंने भी बचपन से गोद में खिलाया है, कंधे पे बिठाके घुमाया है, खुद घोडा बनके उसे पीठ पर बैठानेवाला बच्चों का खेल खेला है। आज उसकी ऊंची उड़ान देखकर मेरे खुद के पाँव भी ज़मीन पर नहीं है। यूँ समझ लीजै कि शब्दों से परे का एहसास है।



इस लड़के ने अपने जज़्बे, अपने जीवट, अपनी मज़बूत इच्छाशक्ति से वो कर दिखाया, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते थे। लौह इरादों वाला बन्दा है, एकदम अपने पिता Virendra Panwar, अपने भाई Avijit Panwar और चट्टानी शख्सियत वाले दादा_दादी की तरह। जो ठान लिया, उसके लिए खुद को झोंकने वाले लोग।


रूपक की कामयाबी मुझे इसलिए भी रोमांचित करती है क्योंकि उसने धारा के ख़िलाफ़ चलकर दिखाया। ऐसे समय में जबकि उत्तराखंड के पहाड़ों से लोग खुशहाली के सपनो की गठरी लेकर लगातार मैदानों की ओर पलायन कर रहे हैं, रूपक ने पहाड़ में ही रहकर वहीँ पढाई करके और सेल्फ स्टडी के दम पर बेहद टफ माने जाने वाले Air Force Combined Admission Test में पिछले साल शानदार कामयाबी हासिल की थी। उसने तब एयर फोर्स का टेस्ट पास ही नहीं किया था, तब उसने देश के कई मेधावी नौजवानों को पछाड़कर शानदार रैंकिंग हासिल की थी। आज उसका चमकदार परिणाम मिला है।


यह संघर्षों के ताप से निकली हुई कामयाबी है। ऐसे सुनहरे सपनों की खातिर हमारी दो पीढ़ियां खप गयीं। इस रौशन भविष्य की बुनियाद में हमारी पिछली पीढी के न जाने कितने अँधेरे समय की दास्तानें दर्ज हैं। दिन के 18-18 घंटे खपकर एक मजदूर पिता और जिंदगीभर ज़िम्मेदारियों की चक्की में पिसती माँ ने पहाड़ में हम भाई-बहनों को बेहद तंगहाली और अभावों में पाला, पोसा, बढ़ा किया है। आज जब देश के वायु सेना प्रमुख ने भतीजे रूपक के सीने में विंग्स लगाए तो कसम से आंसू छलक पड़े।