एक अधूरी कविता

रोहित वेमुला के जाने के चार दिन बाद (२१ जनवरी २०१६) को ये कविता लिखने की कोशिश की थी -


"एक अधूरी कविता - वेमुला के लिए"



मैं ज्यादा कुछ नहीं कर सकता, रोहित
सिवाय एक अधूरी कविता लिखने के।
पर
मैं परेशान हूँ
पिछले दो दिनों से।
क्या इसलिए कि
वास्तव में
तुम्हारी मृत्यु में मेरा भी हाथ था
और ये सिर्फ मुझे ही पता है;
या इसलिए
कि तुम्हारी आत्महत्या
मुझे रूबरू कराती है
अपनी मृत्यु से,
अपने अंदर जड़ता से,
उस लोथ से
जो अब खून से
संचारित भी नहीँ होता
क्योंकि वो कभी का मर चुका है।


तो शायद
आत्महत्या
मेरी थी;
तुम्हारी तो शहादत थी -
हालांकि
शहादत शब्द से भी
मुझे अब कभी कभी
बेचैनी होने लगती है।