अभि और अच्छा करना है आप को

यह आलेख युवा पत्रकार पंकज कुशवाह का दिल्ली के पहले मतदान चरण का है। अब परिणाम आ चुके हैं। आम आदमी पार्टी को यह आलेख भविश्य के लिए कुछ और अगाह कर रहा है। इसलिए यहां पोश्ट कर रहे हैं। 



||अभि और अच्छा करना है आप को||


दिल्ली में परिणाम वैसे नहीं रहेंगे जैसे टीवी न्यूज चैनल दिखा रहे हैं। भाजपा की सीटों में बढ़ोत्तरी होगी और वोट शेयर भी बढ़ेगा। दिल्ली में चुनावी समर का आखिरी सप्ताह एक नई कहानी लिख गया। दिल्ली चुनाव में केजरीवाल ने काम के दम पर चुनाव लड़ा लेकिन चीजें आखिरी हफ्ते में काफी प्रभावित हुई। योगी आदित्यनाथ के विवादित बयानों के साथ ही शाहीन बाग ने भी केजरीवाल के काम आधारित कैंपेनिंग को बुरी तरह से प्रभावित किया है। हालांकि, दिल्ली के दिल में क्या है यह दिल्ली ही जाने लेकिन नजदीक से देखने पर इसका असर साफ लगा। दिल्ली के हित में है कि अगर वहां आप-2 की वापसी हुई तो वह पचास सीटों से कम न हो वरना 50 से कम विधायक चुने गये तो पांच साल सरकार चलाना अरविंद केजरीवाल के लिए आसान न होगा। केजरीवाल के टिकटों के वितरण का तंत्र भी इस बार भाजपा कांग्रेस से आगे निकल गया। अपराधियों के लिहाज से सर्वाधिक आपराधिक मामलों वाले लोगों को आम आदमी पार्टी ने टिकट दिया। अमीर प्रत्याशियों के मामले में केजरीवाल की आप अव्वल रही। पार्टी में करोड़पति प्रत्याशियों की तादात करीब 73 फीसद है, उनके 70 प्रत्याशियों में से 51 करोड़पति है और प्रत्याशियों की औसत संपति के मामले में आम आदमी पार्टी सबसे उपर है। पार्टी के प्रत्याशियों की औसतन आमदनी 15 करोड़ रूपये से अधिक है जबकि कांग्रेस की 12 करोड़ और भाजपा के प्रत्याशियों की औसतन 10 करोड़ रूपये।
अपराधियों को टिकट देने में इस दफा अरविंद केजरीवाल ने नया रेकार्ड बना दिया। आप के 70 प्रत्याशियों में से 42 प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज है जो कुल प्रत्याशियों का 68 फीसद है जबकि 36 प्रत्याशियों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज है। जबकि, भाजपा के 26 प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले जो 39 फीसद है जबकि 17 प्रत्याशियों यानि कुल प्रत्याशियों के 21 फीसद पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज है।


जबकि, 2015 चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कुल 23 ऐसे प्रत्याशियों को टिकट दिया जिन पर कोई न कोई आपराधिक मामला दर्ज था जो कि उनके प्रत्याशियों का कुल 33 फीसदी था जबकि 14 ऐसे प्रत्याशी थे जिनपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे। जबकि, 2015 में भाजपा आपराधिक पृष्ठभूमि के प्रत्याशियों को टिकट देने में अव्वल थी, उसके कुल 39 फीसदी प्रत्याशी आपराधिक मामलों वाले थे लेकिन इस बार आप ने पिछली बार से दोगुने आपराधिक मामलों वाले प्रत्याशियों को टिकट दिए। 2015 के चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों की औसतन संपति 5 करोड़ रूपये थी जो इस बार 15 करोड़ रूपये हैं जबकि, भाजपा के प्रत्याशियों की 7 करोड़ रूपये थी जो इस दफा 12 करोड़ रूपये है। यानि अमीरों को टिकट देने के मामले में आम आदमी पार्टी ने तीन गुना छलांग लगाई।


यह लेख अब प्रासंगिक नही है क्योंकि दिल्ली अपना मत डाल चुकी है। मैं आम आदमी पार्टी के शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कार्यों का मुरीद रहा हूं लेकिन राजनीति में उनसे ज्यादा अपेक्षा बेमानी है। दिल्ली में बड़े इलाके आज भी पानी की गंभीर समस्याओं से जूझ रहे है, केजरीवाल ने पिछली दफा दावा किया था कि पानी के टैंकर माफियाओं से निजात दिलाई जाएगी लेकिन अभी भी बड़ा इलाका इन पानी टैंकरों के भरोसे ही चल रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य में बेहतर काम ने केजरीवाल सरकार के सारे पाप भी धो दिए हैं लेकिन तस्वीर उतनी अच्छी नहीं है जितनी दिखाई जाती है। करोड़पतियों को टिकट बांटने, आपराधिक मामलों में फंसे प्रत्याशियों को टिकट बांटने में दो गुनी तीन गुनी छलांग लगाते हुए सब पार्टियों से आगे निकल जाना आम आदमी पार्टी के नैतिक पतन की बानगी भी है। सब तारीफ कर रहे हैं इसलिए तारीफ की जाए यह जरूरी नहीं है।


आप मुझसे भी सवाल पूछ सकते हैं कि यह सब मैं तब क्यों लिख रहा हूं जब चुनाव निपट गये तो भाईयों और बहनों मैं सुधीर चैधरी, अबरनब गोस्वामी तो हूं नहीं कि लोगों के मत को प्रभावित करने का माद्दा रखता होउं, दूसरा बीमारी की हालत में लेपटाॅप के कीबोर्ड पर उंगलियां चलाना समझदारी नहीं होती खासकर जब आप न्यूरो संबंधी दिक्कतों से बुरी तरह से जूझ रहे हो। तीसरा कि शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे पर चुनाव होते देख यह खामोशी लाजिम थी कि आखिरकार लंबे समय बाद कोई सरकार अपने काम गिनाकर वोट मांग रही है और लोग वोट देने को भी तैयार दिख रहे हैं।


खैर, कुल हासिल जो भी केजरीवाल की आप 2 की 11 फरवरी को वापसी तय है, भाजपा भी अपना वोट और सीट बढ़ाकर चैकाएंगी, कांग्रेस के लिए आर्यभट्ट ने शून्य का अविष्कार किया था, लेकिन शून्य के बाद एक भी आता है ओर कांग्रेस इन पांच सालों में इतनी तरक्की तो कर ही चुकी है कि शून्य से एक पर आ जाए।